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चिड़ावा की कोर्ट रोड दुकानों में अनियमित आवंटन का मामला:तत्कालीन प्रधान और विकास अधिकारी समेत अन्य पर FIR दर्ज करने के आदेश


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चिड़ावा की कोर्ट रोड दुकानों में अनियमित आवंटन का मामला:तत्कालीन प्रधान और विकास अधिकारी समेत अन्य पर FIR दर्ज करने के आदेश

चिड़ावा की कोर्ट रोड दुकानों में अनियमित आवंटन का मामला:तत्कालीन प्रधान और विकास अधिकारी समेत अन्य पर FIR दर्ज करने के आदेश

चिड़ावा : चिड़ावा की कोर्ट रोड पर पंचायत समिति की नवनिर्मित दुकानों के आवंटन में अनियमितताओं को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट चिड़ावा ने इस प्रकरण में तत्कालीन प्रधान इंद्रा डूडी, तत्कालीन विकास अधिकारी रणसिंह, सहायक अभियंता महेंद्रसिंह, सहायक लेखाधिकारी प्रथम महेश समेत अन्य कार्मिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं।

मिलीभगत कर किया गया था दुकान आवंटन, लोकसेवा शक्तियों का दुरुपयोग

यह आदेश परिवादी देवेंद्र कुमार द्वारा अधिवक्ता अवधेश पचार के माध्यम से कोर्ट में दायर इस्तगासे पर सुनवाई के बाद दिया गया। परिवादी ने आरोप लगाया कि पंचायत समिति चिड़ावा की नवनिर्मित दुकानों को बिना किसी सार्वजनिक सूचना के, आपसी मिलीभगत से रिश्तेदारों और जानकारों को आवंटित कर दिया गया। यह सब प्रक्रिया नियमों की अनदेखी कर, लोकसेवक के रूप में अपने पद का दुरुपयोग करते हुए किया गया, जिससे सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचा।

जांच में सामने आई प्रथम दृष्टया अनियमितता

कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पंचायत समिति विकास अधिकारी से रिपोर्ट तलब की थी। रिपोर्ट में सामने आया कि आवंटन प्रक्रिया में अनियमितता की प्रथम दृष्टया पुष्टि होती है। रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने पाया कि तत्कालीन विकास अधिकारी रणसिंह, सहायक अभियंता महेंद्रसिंह और सहायक लेखाधिकारी प्रथम महेश की भूमिका पूरी तरह दोषपूर्ण रही।

तत्कालीन प्रधान पर भी नियमों के विरुद्ध निर्णय का आरोप

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि तत्कालीन प्रधान इंद्रा डूडी को आवंटन में हो रही गड़बड़ियों की जानकारी थी, फिर भी उन्होंने निजी रिश्तेदारों और समिति सदस्यों के परिचितों के नाम दुकानें आवंटित कर दीं। यह स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन और पद का दुरुपयोग है।

FIR दर्ज कर जांच के आदेश, SP कार्यालय को भेजे दस्तावेज

अदालत ने इस पूरे मामले को प्रथम दृष्टया आपराधिक कृत्य की श्रेणी में मानते हुए एफआईआर दर्ज कर अनुसंधान शुरू करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय झुंझुनूं को यह निर्देश दिया गया है कि मामले की जांच उप पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी से करवाई जाए और रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत की जाए।

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