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डर के साए में झुंझुनूं तहसील:खस्ताहाल दफ्तर, खतरे में कर्मचारी, जानलेवा ‘जर्जर’ भवन, एक साल से ‘खतरनाक’ घोषित, फिर भी उसी भवन में दफ्तर, छत से गिर रहा मलबा


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डर के साए में झुंझुनूं तहसील:खस्ताहाल दफ्तर, खतरे में कर्मचारी, जानलेवा ‘जर्जर’ भवन, एक साल से ‘खतरनाक’ घोषित, फिर भी उसी भवन में दफ्तर, छत से गिर रहा मलबा

डर के साए में झुंझुनूं तहसील:खस्ताहाल दफ्तर, खतरे में कर्मचारी, जानलेवा 'जर्जर' भवन, एक साल से 'खतरनाक' घोषित, फिर भी उसी भवन में दफ्तर, छत से गिर रहा मलबा

झुंझुनूं : जिला मुख्यालय पर स्थित झुंझुनूं तहसीलदार कार्यालय की इमारत अब कभी भी जानलेवा हादसे का सबब बन सकती है। आलम यह है कि खुद तहसीलदार महेंद्र मूंड को अपने कक्ष की चौखट को लोहे की एंगल का सहारा देना पड़ रहा है ताकि वह भरभराकर गिर न पड़े। पिछले दिनों छत से मलबा गिरने के बाद कर्मचारियों में डर पैदा हो गया है। बारा जिले सरकारी में हुए हादसे के बाद तो अधिकारी और कर्मचारी डरे हुए है।

जब खुद प्रशासन की रिपोर्ट में भवन को खतरनाक घोषित किया जा चुका है, तो फिर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई? यह लापरवाही अब केवल ‘विलंब’ नहीं, बल्कि ‘उपेक्षा’ की श्रेणी में आ चुकी है। एक तरफ सरकार प्रशासनिक सुधार की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ अधिकारी खुद जर्जर भवनों में जान हथेली पर रखकर काम करने को मजबूर हैं।

खस्ताहाल दफ्तर, खतरे में कर्मचारी, जानलेवा 'जर्जर
खस्ताहाल दफ्तर, खतरे में कर्मचारी, जानलेवा ‘जर्जर

एक साल पहले ही ‘जर्जर’ घोषित हुआ भवन, फिर भी प्रशासन मौन

तहसीलदार महेंद्र मूंड ने बताया कि सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) ने एक साल पहले ही इस भवन को ‘जर्जर’ घोषित कर दिया था। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। उन्होंने कलेक्टर को लिखित दे दिया है। कलेक्टर को पुरी रिपोर्ट दे दी है।

जान हथेली पर रखकर काम कर रहे कर्मचारी

तहसीलदार कार्यालय की हालत इतनी बदतर है कि छत से मलबा गिरना और दीवारों में दरारें पड़ना आम बात हो गई है। हाल ही में छत से गिरे मलबे से बड़ा हादसा होते-होते बचा, क्योंकि गनीमत रही कि उस वक्त कोई कर्मचारी वहां मौजूद नहीं था। कार्यालय के कर्मचारी हर दिन इस डर में जीते हैं कि कहीं कोई दीवार या छत का हिस्सा उन पर न गिर पड़े। एक महिला कर्मचारी ने बताया, “पिछले हफ्ते मेरे ठीक ऊपर से सीमेंट की मोटी परत गिरी थी, बस सिर झुका हुआ था तो बच गई।”

छत पर सीलन
छत पर सीलन

दो विकल्प सुझाए, पर फाइलें कागजों में ही कैद

तहसील प्रशासन ने जिला कलेक्टर को दो सुरक्षित विकल्प सुझाए हैं – किसान भवन और आरटीडीसी भवन। इन दोनों भवनों में पर्याप्त जगह है और सुरक्षा की दृष्टि से भी ये बेहतर हैं। लेकिन, अफसोस! ये फाइलें अभी भी कागजों में ही घूम रही हैं और कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

जनता भी सहमी

रोजाना सैकड़ों लोग विभिन्न कार्यों के लिए तहसील कार्यालय आते हैं, लेकिन अब कई लोग तो अंदर जाने से भी कतराने लगे हैं। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “हम खेत से कागज लेकर आते हैं लेकिन अंदर जाने से डर लगता है। कहीं कुछ ऊपर से गिर गया तो?”

दीवारों से गिरता मलबा
दीवारों से गिरता मलबा

कर्मचारियों ने दी अंतिम चेतावनी: ‘अब मूकदर्शक नहीं रहेंगे

तहसील कार्यालय के सभी कर्मचारियों ने एक स्वर में कहा है कि वे अब अपनी जान को रोज दांव पर नहीं लगाएंगे। अगर शुक्रवार तक कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो वे तहसील भवन के बाहर टेंट लगाकर काम करेंगे या पूरी तरह से कार्यबहिष्कार करेंगे। उनकी मांग स्पष्ट है – उन्हें समाधान चाहिए, क्योंकि उनका धैर्य अब जवाब दे चुका है।

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