झुंझुनूं में अवैध सूदखोरी का जाल:पीड़ितों ने जिला कलेक्टर से लगाई न्याय की गुहार, SIT गठन की मांग
झुंझुनूं में अवैध सूदखोरी का जाल:पीड़ितों ने जिला कलेक्टर से लगाई न्याय की गुहार, SIT गठन की मांग

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले में अवैध सूदखोरी का भयावह चेहरा सोमवार को उस वक्त सामने आया जब जिला कलेक्टर कार्यालय पर सूदखोरी के शिकंजे में फंसे कई पीड़ित परिवार एकजुट हुए और जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। ‘सूदखोरों की गुलामी से मुक्ति संघर्ष समिति’ के बैनर तले एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा, जिसमें समसपुर निवासी गिरधारी लाल मांजू और उसके परिवार पर मनमानी ब्याज वसूलने, खाली चेक के आधार पर धमकाने और यहां तक कि आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। पीड़ितों ने प्रशासन से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
संगठित नेटवर्क और शोषण की कहानी: ‘पहले कम ब्याज, फिर बेतहाशा वसूली’
ज्ञापन में बताया गया कि गिरधारीलाल मांजू, उसके पुत्र राकेश मांजू, शीशराम मांजू और पोते कपिल व राजीव मांजू वर्षों से झुंझुनूं में एक संगठित सूदखोरी का नेटवर्क चला रहे हैं। आरोप है कि ये लोग आर्थिक तंगी में फंसे जरूरतमंदों को पहले कम ब्याज का लालच देकर कर्ज देते हैं, लेकिन बाद में ब्याज दर बेतहाशा बढ़ा देते हैं, जिससे मूल राशि से कई गुना अधिक वसूली की जाती है। जब कोई पीड़ित विरोध करता है, तो उन्हें खाली चेक बैंक में लगाकर पुलिस और कोर्ट में फंसा देने की धमकी दी जाती है, जिससे वे दबाव में आकर और अधिक पैसा चुकाने को मजबूर हो जाते हैं।

पीड़ितों की दर्दनाक आपबीती: ‘सब कुछ बिक गया, फिर भी पीछा नहीं छोड़ रहे’
प्रदर्शन में शामिल पीड़िता अल्पना योगी ने अपनी आपबीती सुनाते हुए बताया कि उनके पति प्रियंक योगी ने गिरधारी मांजू से 2 प्रति सैकड़ा की दर से पांच लाख रुपये उधार लिए थे। परिवार ने नियमित रूप से ब्याज और किस्तें चुकाईं, लेकिन कोविड काल में कुछ महीनों की देरी होने पर सूदखोर गिरधारीलाल और उसके परिवार ने उन्हें बुरी तरह प्रताड़ित करना शुरू कर दिया। अल्पना के अनुसार, अब तक वे 30 से 40 लाख रुपये वसूल चुके हैं।
अल्पना ने रोते हुए कहा, “हमने अपनी सारी संपत्ति तक बेच दी, लेकिन ये लोग अब भी खाली चेक को हथियार बनाकर हमें डरा रहे हैं। हमारे पास अब कुछ नहीं बचा है, फिर भी ये पीछा नहीं छोड़ रहे और हमें आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा है।”
एक अन्य पीड़ित महिला, शिल्पा की कहानी भी उतनी ही हृदयविदारक थी। उन्होंने बताया कि उनके पति ने चार लाख रुपये उधार लिए थे, जिसके बदले में अब तक वे 60 लाख रुपये चुका चुके हैं। सूदखोरों की प्रताड़ना से उनकी तीन नंबर रोड पर स्थित पुश्तैनी जमीन तक बिक गई है। शिल्पा ने भारी मन से कहा, “मेरे पति मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुके हैं। उन्होंने तीन बार आत्महत्या करने की कोशिश की। एक बार तो वह मोबाइल टावर पर चढ़ गए थे, लेकिन प्रशासन ने हमारी चीखें तक नहीं सुनीं।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गिरधारी मांजू के खिलाफ शिकायत दर्ज होने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

किसान नेता की मांग: ‘सूदखोरों के खिलाफ बने सित’
किसान नेता महिपाल पूनिया ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि झुंझुनूं जिले में सूदखोरी अब एक संगठित अपराध का रूप ले चुकी है। उन्होंने प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कहा, “हमने पहले भी प्रशासन को सूचित किया था कि गिरधारी मांजू जैसे लोग ग्रामीणों का जीना मुश्किल कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यदि प्रशासन ने जल्द ही कार्रवाई नहीं की, तो हम एक बड़ा जन आंदोलन करेंगे।” पूनिया ने मांग की कि जिले में चल रही अवैध सूदखोरी की उच्चस्तरीय जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया जाए।
पुलिस की भूमिका पर सवाल: ‘सूदखोरों की पहुंच, शिकायतें अनसुनी’
पीड़ितों ने पुलिस की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक किसी भी सूदखोर की गिरफ्तारी नहीं हुई है। वे बताते हैं कि गिरधारी मांजू जैसे सूदखोर कर्ज देते समय खाली चेक पर हस्ताक्षर करवाते हैं और बाद में जबरन बड़ी रकम भरकर उन्हें बैंक में लगाकर मुकदमा कर देते हैं। इससे पीड़ित परिवार पुलिस और कोर्ट के चक्कर काटते-काटते टूट जाता है। पीड़ितों का यह भी आरोप है कि इन सूदखोरों की पुलिस थानों में भी पहुंच है, जिसके कारण कई बार शिकायत दर्ज कराने पर भी कार्रवाई नहीं होती, और कुछ लोगों को तो धमकाकर थाने से ही भगा दिया जाता है।