[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

सीकर के सरकारी स्कूल की छत से टपकता पानी:15 दिन पहले रात को गिरी थी छत, खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
टॉप न्यूज़राजस्थानराज्यसीकर

सीकर के सरकारी स्कूल की छत से टपकता पानी:15 दिन पहले रात को गिरी थी छत, खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे

सीकर के सरकारी स्कूल की छत से टपकता पानी:15 दिन पहले रात को गिरी थी छत, खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर बच्चे

सीकर : झालावाड़ जिले के पीपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की छत गिरने से 7 मासूमों की मौत ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया। इस दर्दनाक हादसे ने जर्जर स्कूल भवनों की बदहाल स्थिति को उजागर किया है। सीकर जिले के कांसरड़ा गांव में स्थित शहीद प्रताप सिंह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की स्थिति भी चिंताजनक है। निरीक्षण में पाया गया कि स्कूल का पूरा भवन जर्जर अवस्था में है। कक्षा कक्षों की पट्टियां टूटी हुई हैं और दीवारों में पौधों की जड़ें घुस आई हैं।

स्कूल के अधिकतर कक्षा कक्षों की छतें जर्जर हैं। कक्षा नंबर-10 की एक तरफ की पट्टियां पहले ही टूटकर गिर चुकी हैं। स्कूल स्टाफ ने टूटी पट्टियों को लोहे की गाडर और पाइप के सहारे टिकाने का जुगाड़ किया है, लेकिन यह हादसे को रोकने का कोई स्थायी समाधान नहीं है। स्कूल के शारीरिक शिक्षक राकेश महरिया ने बताया, “15 दिन पहले रात में एक कक्षा की पट्टियां टूटकर गिर गई थीं। गनीमत रही कि यह हादसा रात में हुआ, वरना दिन में बच्चों के साथ बड़ी अनहोनी हो सकती थी।”

अब देखिए, स्कूल से जुड़ी PHOTOS…

स्कूल की छतों में आई दरारें।
स्कूल की छतों में आई दरारें।
खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ते हुए बच्चे।
खुले आसमान के नीचे बैठकर पढ़ते हुए बच्चे।

बाहर बैठाकर पढ़ाने को मजबूर

लोगों का कहना- जर्जर भवनों के चलते स्कूल स्टाफ बच्चों को कक्षों के बजाय बाहर बैठाकर पढ़ाने को मजबूर है। छत से पानी टपकने और दीवारों के गिरने का खतरा बच्चों की जान के लिए हर पल जोखिम बना हुआ है। बारिश के दिनों में पढ़ाई पूरी तरह ठप हो जाती है, जिसका सीधा असर बच्चों की शिक्षा और उनके भविष्य पर पड़ रहा है।

रिपोर्ट कई बार अधिकारियों को भेजी

राकेश महरिया ने बताया कि स्कूल की जर्जर स्थिति की रिपोर्ट कई बार अधिकारियों को भेजी जा चुकी है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। हमने टूटी पट्टियों और भवन की बदहाल स्थिति की जानकारी उच्च अधिकारियों को दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

बच्चे हर दिन मौत के साये में पढ़ने को मजबूर हैं। कांसरड़ा स्कूल की स्थिति बताती है कि जमीनी स्तर पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। जिससे ग्रामीणों और अभिभावकों में गुस्सा है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद प्रशासन की लापरवाही बच्चों की जिंदगी को खतरे में डाल रही है।

Related Articles