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राजस्थान का रिसोर्ट जैसा थाना, हरियाली के बीच VIP झोपड़ी:फलों का बाग भी, लॉन में बैठकर दर्ज होती है FIR; SHO-स्टाफ ने मिलकर तैयार किया


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राजस्थान का रिसोर्ट जैसा थाना, हरियाली के बीच VIP झोपड़ी:फलों का बाग भी, लॉन में बैठकर दर्ज होती है FIR; SHO-स्टाफ ने मिलकर तैयार किया

राजस्थान का रिसोर्ट जैसा थाना, हरियाली के बीच VIP झोपड़ी:फलों का बाग भी, लॉन में बैठकर दर्ज होती है FIR; SHO-स्टाफ ने मिलकर तैयार किया

झुंझुनूं : राजस्थान का एक थाना… जहां कभी बंजर टीला था। अब वहां है, VIP झोपड़ियां, जामुन, आम, खजूर, पीपल और बरगद जैसे करीब 1200 पेड़। करीब 1000 स्क्वायर फीट से ज्यादा का लॉन। SHO कमरे में ही नहीं, लॉन में भी बैठकर पीड़ितों की समस्याएं सुनते हैं। यहीं से FIR लिखी जाती है। जब भी फुर्सत मिलती है थाने का स्टाफ इन पेड़ों और बाजरे की फसल की देखरेख में जुट जाता है। स्टाफ का कहना है- पेड़ों की देखरेख करते हुए हमें कभी जिम जाने की जरूरत नहीं पड़ी।

यह है झुंझुनूं का धनूरी थाना, जो 3 साल पहले सदर और मलसीसर थाने को मर्ज कर बनाया गया था। यहां सरकारी भवन का निर्माण होता, उससे पहले SHO की पहल पर महज डेढ़ साल में भामाशाहों ने मिलकर इसकी सूरत बदल दी। 3 साल पहले एक टीले पर मिली थाने की जमीन टूरिस्ट प्लेस जैसा रूप ले चुकी है। खुद एसपी कहते हैं- यह थाना पर्यटन स्थल की तरह है। लोगों को यहां जरूर विजिट करना चाहिए। SHO ने इस थाने को बहुत मनमोहक बना दिया है।

दैनिक भास्कर में पढ़िए धनूरी का फलों के बगीचे और रिसोर्ट जैसा थाना…

पहले देखिए थाने की ये दो तस्वीरें

एसपी बोले- पर्यटन स्थल की तरह विकसित हो रहा थाना

झुंझुनूं के कार्यवाहक एसपी देवेंद्र राजावत ने कहा- झुंझुनूं सदर और मलसीसर थाने को मर्ज कर धनूरी थाना बनाया गया था। यहां जो जगह अलॉट हुई थी, वो जगह टीबे (मिट्टी के टीले) के रूप में हुई थी। वर्तमान SHO रामनारायण चोयल ने यहां मेहनत की और थाने को बेहद खूबसूरत बनाया है। थाने का एरिया 9 बीघा है। थाने का काम 11 नवंबर 2022 को शुरू हुआ।नए एसएचओ रामनारायण चोयल 21 फरवरी 2024 को आए। उनसे पहले मुकेश कुमार एसएचओ थे।पेड़-पौधे, झोपड़ी, लॉन सब कुछ थाना परिसर में ही है।वर्तमान में थाने में 28 पुलिसकर्मियों का स्टाफ है।

सारा स्टाफ 24 फरवरी 2024 के बाद का ही है।लॉन की देखरेख से उनका कामकाज समय मिलने पर स्टाफ ही संभालता है। सुबह और शाम देखरेख करते हैं। SHO चोयल ने प्राकृतिक रूप से थाने को बेहद आकर्षक बना दिया है। पानी के लिए अंडरग्राउंड टैंक भी बनाए हैं। बैठने और जवानों के रहने के लिए हट बनाए हुए हैं। मैंने कई बार देखा है कि SHO खुद थाने के गार्डन में बैठकर पीड़ितों को सुनते हैं। यहां बाजरा भी उगाया गया है। फसल काटकर आवारा पशुओं को खिलाते हैं। किसी को अगर थाने को पर्यटन के रूप में विकसित होते हुए देखना हो तो झुंझुनूं में धनूरी थाने को जरूर देखें।

तस्वीर, SHO रामनारायण चोयल की है। पार्क में खड़े होकर वे यहां आने वाले पीड़ितों की समस्या सुनते हैं।
तस्वीर, SHO रामनारायण चोयल की है। पार्क में खड़े होकर वे यहां आने वाले पीड़ितों की समस्या सुनते हैं।

अब पढ़िए डेढ़ साल में कैसे बदल दी थाने की सूरत

SHO रामनारायण चोयल बताते हैं- धनूरी थाना करीब 3 साल पहले अस्तित्व में आया था। यह एक टीले पर बना था। यहां न सड़क थी, न ही आसपास कोई मकान। थाना बेहद नीरस सा नजर आता था। आमतौर पर ऐसा होना नहीं चाहिए। डेढ़ साल पहले मेरा यहां ट्रांसफर हुआ था। तब देखा कि थाना एकदम वीरान जगह पर था। थाने के आसपास खाली जमीन होने के कारण यहां पेड़-पौधे उगाने की ठानी। महज डेढ़ साल में थाने की सूरत बदल गई। यहां सुबह-शाम बच्चे खेलने आते हैं। बुजुर्ग टहलने आ जाते हैं। कोई शिकायत लेकर आता है, तब भी उसे जल्दी नहीं रहती। वजह है यहां का माहौल… हरियाली होने से खुशनुमा माहौल रहता है। इसी सोच के साथ थाने के आसपास पेड़ लगाने शुरू किए थे।

थाने तक पक्की सड़क, पार्क और बाग का निर्माण भामाशाहों की मदद से करवाया गया है। इसकी देखरेख थाने का स्टाफ और SHO खुद करते हैं।
थाने तक पक्की सड़क, पार्क और बाग का निर्माण भामाशाहों की मदद से करवाया गया है। इसकी देखरेख थाने का स्टाफ और SHO खुद करते हैं।

अब तक 1200 से ज्यादा पेड़ लगाए जा चुके

SHO चोयल बताते हैं- अब तक धनूरी थाने में नीम, शीशम, खेजड़ी, जामुन, खजूर, पीपल, बरगद जैसे छायादार और औषधीय गुणों वाले 1200 से ज्यादा पेड़ लगाए जा चुके हैं। ये पेड़ न सिर्फ पर्यावरण को स्वच्छ बना रहे हैं, बल्कि थाने को हरियाली से घिरे खुशनुमा माहौल में बदल रहे हैं।

तस्वीर पानी के टैंक की है। जिसे थाने में ही बनवाया गया है। इसी से पूरे थाने में पानी सप्लाई होता है।
तस्वीर पानी के टैंक की है। जिसे थाने में ही बनवाया गया है। इसी से पूरे थाने में पानी सप्लाई होता है।

शिकायत लेकर आए लोग लॉन में बैठकर अच्छा महसूस करते हैं

SHO कहते हैं- थाने के चारों ओर लॉन तैयार किया गया है। यहां दूब (घास) लगाई गई है। यहां आमजन अपनी शिकायत लेकर आने पर आराम से बैठकर बात कर सकते हैं। इसके पीछे यह प्रयास है कि लोग जब शिकायत लेकर आते हैं तो बेहद परेशानी में होते हैं। साइकोलॉजी कहती है- इंसान प्रकृति के बीच रहकर खुद को ज्यादा खुश और सुरक्षित महसूस करता है। कई बार तो हम लॉन में बैठकर पीड़ितों की समस्या सुनते हैं। एक अच्छा माहौल संवाद को सहज बनाता है।

थाने के बाग में साफ-सफाई और निराई-गुड़ाई करता स्टाफ।
थाने के बाग में साफ-सफाई और निराई-गुड़ाई करता स्टाफ।

सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था भी थाने में ही

SHO ने बताया- पौधों की सिंचाई के लिए थाना परिसर में 50-50 हजार लीटर की 2 जल कुंडियां बनाई गई हैं। इसमें छत से वर्षा जल संग्रह किया जाता है। एक बोरिंग भी करवाई गई है, जिससे नियमित जलापूर्ति हो सके। थाने में जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन भी किया जाता है। यहां पानी की कमी कभी नहीं आती। थाने के चारों तरफ तारबंदी की गई है ताकि आवारा पशु या अन्य जानवर पेड़ों को नुकसान न पहुंचा सकें। यह व्यवस्था पूरी तरह से भामाशाहों और पुलिस के सहयोग से संभव हो सकी है।

थाने में VIP हट, AC-कूलर और चारपाई

SHO चोयल बताते हैं- भामाशाहों के सहयोग से पुलिसकर्मियों के लिए चार झोपड़े बनाए गए हैं। इनमें से एक झोपड़ा VIP रूम की तरह तैयार किया गया है। जिले के अधिकारी या VIP गेस्ट आने पर उनके लिए यहां रुकने की व्यवस्था की गई है। इसमें पंखा, कूलर, चारपाई और सोफा जैसी सभी व्यवस्थाएं हैं। यह पुलिसकर्मियों को आराम देने के साथ ही परिसर को एक आत्मीय रूप देता है।

स्टाफ बोला- जिम जाने की जरूरत नहीं पड़ती

थाने का स्टाफ कहता है- हम जिम नहीं जाते, ये पौधे ही हमारा वर्कआउट हैं। जब भी ड्यूटी से थोड़ा समय मिलता है, हम पौधों की देखरेख में जुट जाते हैं। इससे शरीर भी फिट रहता है और मन को सुकून भी मिलता है। पुलिसकर्मी कानून व्यवस्था संभालने के साथ ही हाथों में झाड़ू और फावड़ा लेकर थाने के हर कोने को हरा-भरा करने में जुट जाते हैं। पुलिसकर्मी स्वयं कचरा उठाते हैं। घास काटते हैं। पौधों को पानी देते हैं और उनकी देखभाल करते हैं।

3 साल पहले यहां टीले हुआ करते थे। अब स्टाफ ने इस थाने को गुलजार कर दिया है।
3 साल पहले यहां टीले हुआ करते थे। अब स्टाफ ने इस थाने को गुलजार कर दिया है।

ग्रामीण बोले- थाने का माहौल खुशनुमा और सम्मानजनक

ग्रामीण रोहितास सिंह बताते हैं- जब ये थाना खुला था, तब यहां सिर्फ जोहड़ और वीरान जमीन थी। अब यहां हरियाली ही हरियाली है। यहां शाम को गांव के बच्चे खेलने आ जाते हैं। महिलाएं-बुजुर्ग भी टहलने आ जाते हैं। ऐसे माहौल में हर व्यक्ति खुद को सबसे सुरक्षित महसूस करता है। वहीं पूर्व सरपंच महिपाल कहते हैं- तीन साल पहले का उजाड़ अब हरे जंगल में बदल गया है। आज यहां आने वाला कोई भी व्यक्ति धूप में नहीं खड़ा रहता। छांव है, बगीचा है और

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