फलक पे जन्नत हुसैन की है, जमीं पे काबा हुसैन का…महफिले मिलाद में हुआ शहीदाने कर्बला का जिक्र
हक पर रहते हुए बेख़ौफ होकर जुल्म का सामना करो : कारी मुनीर आलम

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद आरिफ चंदेल
इस्लामपुर : मोहर्रम वाले चौक में शुक्रवार रात ईशा की नमाज के बाद शहीदाने कर्बला के जिक्र की महफिल मुनक्कीद की गई। महफिल का आगाज कारी मुनीर आलम ने तिलावत-ए-कुरआन से किया। मदरसा फैजाने रजा के तलबाओं की ओर से नबी की शान में एक से बढ़कर एक नात पेश की गई। मोहम्मद अहमद ने भी अपनी सुरीली आवाज में नात पेश कर खूब दाद बटोरी। उन्होंने “फलक पे जन्नत हुसैन की है, जमीं पे काबा हुसैन का। हमारी बख्शीश जरूर होगी, हमें भरोसा हुसैन का है” नात पेश की तो सारे मजमे में सुभआन अल्लाह-सुभआन अल्लाह की सदाएं आने लगी।
कारी मुनीर आलम ने अपने बयान में बताया कि नबी ने फरमाया कि मेरी आल से मोहब्बत रखना। जो इंसान आले-रसूल की मोहब्बत में मरा वो शहीद मरा और जिसने मेरी अहले बैत से दुश्मनी की गोया उसने मुझसे दुश्मनी की। हुजूर ने फरमाया कि मैं तुम्हारे लिए दो चीजें अहले बैत ओर कुरआन छोड़कर जा रहा हूं जिसने भी इन दोनों से मोहब्बत की उसके लिए दोनों जहां में कामयाबी रहेगी। नबी ने कहा कि मैं हुसैन से हूं और हुसैन मुझ से है। मैदाने कर्बला ने हमें यह सबक दिया कि जुल्म के सामने कभी झुकना नहीं है ओर जालिम का कभी साथ नहीं देना। कर्बला का वाकिआ हर मोमिन के लिए एक जिंदा मिसाल है। इंसान को हमेशा अपने हक पर रहते हुए बेख़ौफ होकर जुल्म का सामना करना चाहिए।
जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अकबर अली ने अपने बयान में बताया कि जो अल्लाह की राह में शहीद किए जाएं उन्हें मुर्दा ना कहो बल्कि वो जिंदा हैं। उन्होंने कहा कि कुरआन में नमाज और सब्र से मदद मांगने की बात कही गई है जो कि कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन और उनके खानदान वालों ने साबित कर दिखाया। उन्होंने मैदान-ए-जंग में भी नमाज नहीं छोड़ी और सब्र से काम लिया। कर्बला की जंग हक ओर बातिल के दरमियान जंग थी। मैदान-ए कर्बला में हुसैन हक पर थे इसलिए हुसैन के चाहने वाले रहती दुनिया तक रहेंगे और यजीद का कोई नाम लेने वाला नहीं रहा। मौलाना ने बताया कि हुसैन कभी भी पानी के लिए नहीं तरसे बल्कि पानी खुद लबे हुसैन के लिए तरसता रह गया। हुसैन ने सब्र का ऐसा मुजाहरा पेश किया जो हर इंसान के लिए एक जिंदा मिसाल है। रहती दुनिया तक ऐसी मिसाल कोई पेश नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि सिर्फ नाम के हुसैनी मत बनो बल्कि हुसैन की सीरत पर अमल करते हुए उनके किरदार को अपनी जिंदगी में अपनाओ। झूठ, गीबत ओर जिनाकारी से बचते हुए नमाज कायम करो और रब का जिक्र करते रहो। हुसैन से मोहब्बत का झूठा दावा करने से बचो और उनके बताए रास्ते पर चलकर उनके किरदार को अपनी हकीकी जिंदगी में शामिल करो। सिर्फ सुनने मात्र से कुछ हासिल होने वाला नहीं बल्कि सुनी हुई बातों को अपने दिल में उतारो जिससे रब की रजा हासिल हो सके।जिक्रे महफिल के पश्चात सलातो-सलाम पढ़ा गया और नियाज लगाकर तबर्रुक तकसीम किया गया। जिक्र की महफिल में मोहर्रम कमेटी के युवाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।