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जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन:कलेक्ट्रेट का किया घेराव, कलेक्ट्रेट परिसर में घुसने का किया प्रयास


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जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन:कलेक्ट्रेट का किया घेराव, कलेक्ट्रेट परिसर में घुसने का किया प्रयास

जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन:कलेक्ट्रेट का किया घेराव, कलेक्ट्रेट परिसर में घुसने का किया प्रयास

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले के नवलगढ़ क्षेत्र में दुर्जनपुरा से गोठड़ा तक प्रस्तावित रेलवे लाइन और सीमेंट फैक्ट्री के लिए किए जा रहे जमीन अधिग्रहण के खिलाफ गुरुवार को किसानों का गुस्सा फूट पड़ा। किसान संघर्ष समिति के बैनर तले सैकड़ों की संख्या में प्रभावित किसानों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर प्रशासन और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं, जिन्होंने बैरिकेड्स हटाने का भी प्रयास किया। किसानों ने साफ तौर पर कहा कि जब तक उन्हें उनकी शर्तों के अनुरूप उचित मुआवजा, पुनर्वास और रोजगार की गारंटी नहीं मिलती, तब तक वे किसी भी कीमत पर अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे।

जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन
जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

पुलिस से झड़प की स्थिति, तनावपूर्ण माहौल

प्रदर्शन के दौरान जब किसानों का समूह कलेक्ट्रेट पहुंचा, तो प्रशासन ने पुलिस बल तैनात कर बैरिकेड्स लगा दिए थे। महिलाओं ने इन बैरिकेड्स को हटाने का प्रयास किया, जिससे कुछ देर के लिए स्थिति तनावपूर्ण हो गई। हालांकि, अतिरिक्त पुलिस बल बुलाकर प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में रखा।

विकास के नाम पर किसानों का हक नहीं छीनने देंगे

किसान संघर्ष समिति के नेता विजेंद्र सिंह काजला ने प्रशासन पर हमला बोलते हुए कहा, “हम विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह कैसा विकास जो किसानों के हक की अनदेखी करता है? हमारी जमीनें छीनकर अगर हमें ही उजाड़ा जाएगा, तो हम कैसे चुप रहें?” काजला ने बताया कि किसानों ने अधिग्रहण के खिलाफ सैकड़ों आपत्तियां लिखित में दी थीं, लेकिन आज तक एक भी आपत्ति पर विचार नहीं किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन किसानों को डराने और दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है, जो लोकतंत्र के मूल अधिकारों का हनन है। काजला ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इन मांगों को मानती है, तो किसान सकारात्मक सोच के साथ जमीन देने पर विचार कर सकते हैं, अन्यथा यह आंदोलन पूरे राज्य में फैल सकता है।

कलेक्ट्रेट का किया घेराव, कलेक्ट्रेट परिसर में घुसने का किया प्रयास
कलेक्ट्रेट का किया घेराव, कलेक्ट्रेट परिसर में घुसने का किया प्रयास

“जमीन नहीं छोड़ेंगे, चाहे जो हो जाए”

किसान नरेंद्र कड़वाल ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, “हमने खून-पसीने से जमीन को सींचा है। आज सरकार विकास के नाम पर हमारी पहचान, हमारी जीविका छीनना चाहती है। हम लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं, लेकिन अपनी जमीन नहीं देंगे।” कड़वाल ने यह भी बताया कि सरकार जिन जमीनों को अधिग्रहीत करना चाहती है, वह पूरी तरह उपजाऊ और सिंचित है, और ऐसी जमीनें छीनना किसानों के साथ अन्याय है।

किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष रतन सिंह शेखावत ने प्रशासन द्वारा दबाव बनाकर जमीन अधिग्रहण की तैयारी को असंवैधानिक बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने जबरदस्ती की, तो किसान सड़कों पर उतरेंगे और एक बड़े आंदोलन की शुरुआत होगी।

“हम भी अपनी जमीन की लड़ाई लड़ेंगे”

प्रदर्शन में माया देवी, सुनीता देवी, संतोष देवी जैसी ग्रामीण महिलाएं भी सक्रिय रूप से शामिल थीं। उन्होंने कहा कि सिर्फ पुरुष ही नहीं, महिलाएं भी खेतों में बराबरी से काम करती हैं और जमीन से जुड़ी हैं। माया देवी ने कहा, “अगर हमारी जमीन गई तो हमारा जीवन ही उजड़ जाएगा।” महिलाओं ने प्रशासन पर महिलाओं को डराने के आरोप भी लगाए और कहा कि वे डरने वाली नहीं हैं।

ग्रामीणों ने कहा कि सरकार को जनहित में न्यायपूर्ण मुआवजा नीति लागू करनी चाहिए और किसानों की बात सुननी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा परियोजना को जनकल्याणकारी बताया जा रहा है, लेकिन किसानों की सहमति और विश्वास के बिना ऐसी परियोजनाएं असंतोष पैदा कर रही हैं।

प्रदर्शन के अंत में किसान नेताओं ने प्रशासन को ज्ञापन सौंपा, जिसमें स्पष्ट किया गया कि जब तक किसानों की मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक किसी भी प्रकार की अधिग्रहण प्रक्रिया को वे मान्यता नहीं देंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि जल्द ही संघर्ष और तेज होगा और जरूरत पड़ने पर राजस्थान के दूसरे जिलों के किसान भी इस आंदोलन में साथ आएंगे।

किसानों की चार प्रमुख मांगें:

  • किसानों को बाजार दर से चार गुना मुआवजा दिया जाए।
  • प्रभावित परिवारों को सरकारी नौकरी दी जाए।
  • सभी विस्थापित परिवारों को पुनर्वास की स्पष्ट योजना मिले।
  • रेल लाइन के दोनों ओर पक्की सड़क का निर्माण हो।

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