सुजानगढ़ में मोहर्रम पर निकले ताजिए:ढोल-ताशों की मातमी धुनों के बीच ईदगाह में किया गया दफन, बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए
सुजानगढ़ में मोहर्रम पर निकले ताजिए:ढोल-ताशों की मातमी धुनों के बीच ईदगाह में किया गया दफन, बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए

सुजानगढ़ : सुजानगढ़ में मोहर्रम के अवसर पर रविवार को शहर में पारंपरिक ताजियों का जुलूस निकाला गया। हर साल की तरह इस बार भी काजी समाज और तेली समाज की ओर से ताजिये बनाए गए, लेकिन इस वर्ष पहले की तुलना में ताजियों की संख्या कम रही। पुराने तहसील कार्यालय के पास स्थित काजी समाज की ओर से ताजिया रवाना किया गया। दूसरी ओर, हनुमान धोरा क्षेत्र के हुसैनी चौक से तेली समाज का ताजिया निकला। ताजियों के जुलूस में बड़ी संख्या में अकीदतमंद शामिल हुए। जुलूस के दौरान ढोल-ताशों पर मातमी धुनें बजाई जाती रहीं, जिससे माहौल गमगीन हो गया।

दोनों समाजों की ओर से दो बड़े ताजिये बनाए गए थे। इनके साथ दो छोटे ताजिये भी जुलूस में शामिल हुए। यह जुलूस गांधी चौक, घंटाघर, कोठारी रोड, लाडनूं बस स्टैंड होते हुए मुख्य मार्गों से गुजरता हुआ ईदगाह तक पहुंचा। यहां विधिवत रीति-रिवाजों के साथ ताजियों को दफनाया गया।
शहर में यह पहला मौका था जब हर साल की परंपरा के विपरीत इस बार चार की बजाय केवल दो ताजिये निकाले गए। आमतौर पर मोहर्रम पर चार ताजिये बनाने की परंपरा रही है, लेकिन इस बार कुछ कारणों से ताजियों की संख्या सीमित रही।
वहीं, एक और खास बात यह देखने को मिली कि गांधी चौक पर हर साल की तरह इस बार किसी भी राजनेता ने ताजियेदारों का स्वागत (इस्तकबाल) नहीं किया। इससे जुलूस में शामिल लोगों के बीच चर्चा का माहौल भी रहा।
मोहर्रम के अवसर पर निकाले गए ताजियों के जुलूस को लेकर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। मुख्य चौराहों और जुलूस मार्ग पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई, जिससे आयोजन शांतिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ।