10 साल पुराने मामले में माकपा पूर्व-विधायक सहित 53 बरी:शेखावाटी यूनिवर्सिटी आंदोलन से जुड़े छात्र नेता व सरपंच भी शामिल थे, पुलिस ने किया था लाठीचार्ज
10 साल पुराने मामले में माकपा पूर्व-विधायक सहित 53 बरी:शेखावाटी यूनिवर्सिटी आंदोलन से जुड़े छात्र नेता व सरपंच भी शामिल थे, पुलिस ने किया था लाठीचार्ज

सीकर : शेखावाटी विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के खिलाफ 2015 में हुए आंदोलन से जुड़े 10 साल पुराने मामले में सीकर की एडीजे कोर्ट संख्या-4 ने बड़ा फैसला सुनाया है। जज वीरेंद्र कुमार मीणा ने धोद के पूर्व विधायक पेमाराम सहित 53 लोगों को बरी किया है। इस मामले में एसएफआई के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सुभाष जाखड़ पर हमले और प्रतिरोध मार्च के दौरान हुई हिंसा को लेकर पुलिस ने 45 छात्रों और जनवादी संगठनों के नेताओं पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था।
यह था पूरा मामला
20 दिसंबर 2015 को शेखावाटी विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के खिलाफ एसएफआई का छात्र आंदोलन उफान पर था। इसी दौरान छात्रसंघ अध्यक्ष सुभाष जाखड़ पर हमला हुआ। अगले दिन, 21 दिसंबर को हजारों छात्र-छात्राओं, किसानों, महिलाओं, नौजवानों और मजदूर संगठनों ने कल्याण महाविद्यालय से जिला कलेक्ट्रेट तक प्रतिरोध मार्च निकाला। प्रदर्शनकारी जाखड़ के हमलावरों की गिरफ्तारी और फीस वृद्धि वापसी की मांग कर रहे थे। लेकिन, कलेक्ट्रेट गेट पर पहुंचते ही पुलिस ने आंसू गैस, लाठीचार्ज और वाहनों में तोड़फोड़ शुरू कर दी।
पुलिस ने मार्च को तितर-बितर करने के लिए माकपा कार्यालय, के. किशन सिंह ढाका ट्रस्ट और जाट बोर्डिंग पर भी हमला बोला। इस दौरान 45 छात्रों और नेताओं, जिनमें छीतरमल, शुभकरण, सुरेंद्र आंतरी, घनश्याम, किशोर मांडोता, रामनिवास, शिवपाल, अशोक, रामचंद्र शेषमा, मनोज कुमार, भींवाराम, अरुण ढाका, इस्माईल खान, सद्दाम हुसैन, संदीप जीनगर, सुभाष मावलिया, मुरलीधर चाहर, पवन कुमार, पिंटु कुमार, राजेंद्र, शिशराम, अनिल खीचड़, महेश कुमार, प्रहलाद मांडोता, शिव भगवान निठारवाल, राकेश कृष्णियां, राजेश चिरानियां, इरफान, ललित कुमार, विजय सिंह, किशोर बिजारणियां, मनीष कुमार, जयप्रकाश पूनियां, जाबिद, अंकुर ढाका, अशोक सेवदा, अमित भड़िया, पवन बैनीवाल और ऋषिकेश ओला शामिल थे। इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
बाद में पूर्व विधायक पेमाराम, माकपा जिला सचिव किशन पारीक, मूंडवाड़ा सरपंच महावीर परसवाल, आबिद हुसैन, रामरतन बगड़िया, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष सत्यजीत भींचर, अंकित विश्राम, मुकेश रोज, सुनिता साई और सुरेश ढाका भी गिरफ्तारी के दायरे में आए।
कानूनी लड़ाई और बरी होने की राह
कोतवाली थाने में दर्ज एफआईआर 723/15 में आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 323, 341, 332, 353, 336, 307 और पीडीपीपी एक्ट की धारा 3 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। मामले की पैरवी अधिवक्ता पवन शर्मा, झाबर मल रायल, राजेंद्र हुडा, भगवत सिंह चारण, सुरेंद्र फुलवारीया और अरविंद थालौड़ ने की। 10 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद एडीजे कोर्ट-4 ने सभी 53 आरोपियों को दोषमुक्त करार दिया।
छात्रों-नेताओं में खुशी की लहर
निर्णय के बाद बरी हुए छात्रों और नेताओं ने राहत की सांस ली। उन्होंने इसे न्याय की जीत बताया और कहा कि यह फैसला छात्र आंदोलनों और जनवादी संगठनों के हक में एक मिसाल बनेगा।