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राजस्थान में सरकारी टीचर 9 जुलाई को करेंगे प्रदर्शन:सीकर में घोषणा, कहा- नई शिक्षा नीति दलित, पिछड़े वर्ग और महिलाओं के हित में नहीं


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राजस्थान में सरकारी टीचर 9 जुलाई को करेंगे प्रदर्शन:सीकर में घोषणा, कहा- नई शिक्षा नीति दलित, पिछड़े वर्ग और महिलाओं के हित में नहीं

राजस्थान में सरकारी टीचर 9 जुलाई को करेंगे प्रदर्शन:सीकर में घोषणा, कहा- नई शिक्षा नीति दलित, पिछड़े वर्ग और महिलाओं के हित में नहीं

सीकर : राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत) की राज्य परिषद कार्यशाला के दूसरे दिन शिक्षक भवन में शिक्षकों ने आगामी रणनीति को लेकर गहन मंथन किया। STFI के पूर्व कोषाध्यक्ष सत्यपाल सिवाच ने कहा कि 1991 से नव उदारवादी नीतियों के तहत उदारीकरण, निजीकरण और भूमंडलीकरण के नाम पर जनता को लूटा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि सार्वजनिक ढांचे में निवेश ही विकास की कुंजी है। सिवाच ने बताया कि जहां विश्व के देश सार्वजनिक निवेश से आत्मनिर्भर बने, वहीं भारत से उच्च शिक्षित वर्ग विदेश पलायन कर रहा है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां केवल लाभ कमाने तक सीमित हैं, जिससे निम्न और मध्यम वर्ग की जीवनशैली प्रभावित हो रही है।

सम्मेलन में मौजूद शिक्षक।
सम्मेलन में मौजूद शिक्षक।

दूसरे सत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राजीव ने नई शिक्षा नीति 2020 के प्रभावों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह नीति दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक और महिलाओं के लिए हानिकारक है। सरकार पाठ्यक्रम का सांप्रदायिकरण और भाषा विवाद को बढ़ावा दे रही है, जिससे शिक्षक, छात्र, किसान और मजदूर सभी प्रभावित होंगे। साझा संघर्ष की रणनीति से संगठनों का सुदृढ़ीकरण संभव है।

प्रदेशाध्यक्ष महावीर सिहाग ने आगामी आंदोलनों की रूपरेखा प्रस्तुत की। 9 जुलाई को जिला मुख्यालयों पर विशाल प्रदर्शन और 5 अगस्त को ब्लॉक मुख्यालयों पर मांगपत्र सौंपने के लिए प्रदर्शन होंगे। जुलाई-अगस्त में वैचारिक कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी, जबकि अक्टूबर में बड़े साझा आंदोलन की शुरुआत होगी। संगठन पर्यावरण संरक्षण के लिए पूरे प्रदेश में दस लाख पेड़ लगाएगा।

गत वर्ष की सदस्यता के आधार पर सीकर, श्रीगंगानगर और चूरू को क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान के लिए सम्मानित किया गया। तृतीय सत्र में संगठन की कमियों पर गहन मंथन हुआ।

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