समसपुर ग्राम पंचायत लोगों ने किया कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:नगर परिषद में शामिल करने का विरोध; मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन
समसपुर ग्राम पंचायत लोगों ने किया कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:नगर परिषद में शामिल करने का विरोध; मुख्यमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले के समसपुर गांव के ग्रामीणों ने सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ग्रामीणों की प्रमुख मांग है कि ग्राम समसपुर को नगर परिषद झुंझुनूं के परिसीमन क्षेत्र से अलग किया जाए और इसे ग्राम पंचायत के रूप में ही बनाए रखा जाए।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हाल ही में नगर परिषद झुंझुनूं के परिसीमन के तहत प्रस्तावित 23 गांवों में से 19 गांवों को पहले ही वापस लेकर उनकी पूर्ववर्ती पंचायतों में मिला दिया गया है, लेकिन समसपुर गांव को अब तक नगर परिषद से अलग नहीं किया गया है। इसको लेकर ग्रामवासियों में गहरा रोष है।
ग्रामीणों ने बताया कि नगर परिषद के मास्टर प्लान 2031 में समसपुर गांव को शामिल नहीं किया गया था। इसके बावजूद गांव को नगर परिषद सीमा में लाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। ग्रामीणों का तर्क है कि समसपुर गांव नगर परिषद झुंझुनूं से करीब 9 किलोमीटर दूर स्थित है, जबकि अन्य कई निकटवर्ती गांवों को नगर परिषद में शामिल नहीं किया गया है।
इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे समसपुर निवासी दयाराम डूडी ने कहा- हमारी ग्राम पंचायत को यथावत बनाए रखने की मांग को लेकर हम कई बार प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं। जिला कलेक्टर और मुख्यमंत्री जनसुनवाई में भी ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। मजबूरी में आज हमें प्रदर्शन का रास्ता अपनाना पड़ा है।
दयाराम डूडी ने कहा-राज्य सरकार द्वारा नगर परिसीमन के लिए गठित समिति की रिपोर्ट में भी समसपुर गांव को नगर परिषद क्षेत्र से बाहर रखने की अनुशंसा की गई थी। इसके बावजूद समसपुर को नगर परिषद झुंझुनूं में शामिल करना स्थानीय जनभावनाओं के विरुद्ध है।
ग्रामीणों ने यह भी बताया कि समसपुर गांव में पिछले 50 वर्षों से सड़क, बिजली, पानी जैसी सभी मूलभूत सुविधाएं पहले से ही उपलब्ध हैं, जबकि नगर परिषद क्षेत्र की कई कॉलोनियों में अब तक यह सुविधाएं नहीं पहुंची हैं। ऐसे में नगर परिषद में शामिल करने से समसपुर की विकास प्रक्रिया बाधित हो सकती है। प्रदर्शन में शामिल ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन उनकी मांगों की अनदेखी करता है तो वे आने वाले समय में और बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेंगे।