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लांबा-नालवा पंचायतों को पिलानी में शामिल करने का विरोध:ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन, जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन


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लांबा-नालवा पंचायतों को पिलानी में शामिल करने का विरोध:ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन, जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

लांबा-नालवा पंचायतों को पिलानी में शामिल करने का विरोध:ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन, जिला कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले में चिड़ावा ब्लॉक से संबंधित ग्राम पंचायत लांबा और नवसृजित ग्राम पंचायत नालवा को पिलानी पंचायत समिति में शामिल किए जाने की प्रस्तावित योजना के खिलाफ गुरुवार को ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। दोनों ग्राम पंचायतों के बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में अपनी मांगों के समर्थन में नारे लिखी तख्तियां ले रखी थीं। वे प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे।

प्रदर्शन के पश्चात ग्रामीणों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर से मुलाकात कर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में ग्रामीणों ने प्रस्तावित योजना पर अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई और मांग की कि ग्राम पंचायत लांबा और नालवा को पूर्व की भांति चिड़ावा पंचायत समिति में ही रखा जाए।

चिड़ावा से सीधा संपर्क, पिलानी से दूरी की परेशानी

ग्रामीणों ने ज्ञापन में स्पष्ट रूप से कहा कि ग्राम पंचायत लांबा और नालवा ऐतिहासिक, भौगोलिक और सामाजिक रूप से हमेशा से ही चिड़ावा ब्लॉक का अभिन्न हिस्सा रही हैं। इन गांवों का प्रशासनिक और दैनिक जीवन से जुड़ाव सीधे तौर पर चिड़ावा कस्बे से है।

इसके विपरीत, पिलानी से इन गांवों के लिए न तो सीधी सड़क की सुविधा उपलब्ध है और न ही लोगों का नियमित संपर्क है। ग्रामीणों ने बताया कि चिड़ावा पंचायत समिति से इन गांवों की दूरी महज 20 किलोमीटर है, जबकि पिलानी पंचायत समिति यहां से 30 से 40 किलोमीटर दूर स्थित है।

ऐसी स्थिति में यदि इन पंचायतों को पिलानी में शामिल किया जाता है, तो ग्रामीणों को अपने प्रशासनिक कार्यों के लिए अनावश्यक रूप से लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे उन्हें भारी असुविधा का सामना करना पड़ेगा।

राजनीतिक दबाव में निर्णय लेने का आरोप, जनसुविधाओं की अनदेखी

प्रदर्शनकारी ग्रामीणों ने प्रशासन पर राजनीतिक दबाव में आकर यह निर्णय लेने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक स्वार्थों के चलते इन ग्राम पंचायतों को पिलानी में शामिल करने की कोशिश की जा रही है, यह सरासर गलत है। ग्रामीणों ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि इस संबंध में वे पहले भी जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुके हैं और हाल ही में हुई लोक सुनवाई के दौरान भी उन्होंने अपनी आपत्तियां दर्ज कराई थीं, लेकिन उनकी मांगों को अनसुना किया जा रहा है।

लांबा गांव के निवासी विशंभर ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा-हमारी तीन से चार नई बनी ग्राम पंचायतों को जबरदस्ती पिलानी में मिलाया जा रहा है, जबकि हम पहले से ही चिड़ावा पंचायत समिति के अंतर्गत आते थे। चिड़ावा से हमारा सीधा और सहज संपर्क है, जबकि पिलानी से हमारा कोई सीधा जुड़ाव नहीं है। पिलानी पहुंचने के लिए हमें 30 से 40 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर करना पड़ेगा, जिससे हमारे समय और धन की भारी बर्बादी होगी।

मांगों पर विचार न करने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि उनकी जायज मांगों पर जल्द ही सकारात्मक विचार नहीं किया गया और ग्राम पंचायतों को पूर्ववत चिड़ावा पंचायत समिति में ही नहीं रखा गया, तो वे एक बड़ा और उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि यदि आवश्यकता हुई तो वे न्याय पाने के लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएंगे।

ज्ञापन में ग्रामीणों ने प्रशासन से यह भी आग्रह किया कि वे किसी भी राजनीतिक प्रभाव में आए बिना जनसुविधाओं को ध्यान में रखते हुए ही कोई निर्णय लें। उन्होंने कहा कि चिड़ावा में पंचायत समिति को यथावत बनाए रखने से न केवल आम जनता को राहत मिलेगी, बल्कि क्षेत्र में चल रहे विकास कार्यों की गति भी प्रभावित नहीं होगी।

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