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भैसावता खुर्द निवासी डॉ. मनजीत सिंह धनखड़ को ऑस्ट्रेलिया अवॉर्ड फैलोशिप


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भैसावता खुर्द निवासी डॉ. मनजीत सिंह धनखड़ को ऑस्ट्रेलिया अवॉर्ड फैलोशिप

भैसावता खुर्द निवासी डॉ. मनजीत सिंह धनखड़ को ऑस्ट्रेलिया अवॉर्ड फैलोशिप

सिंघाना : भैसावता खुर्द गांव के डॉ. मनजीत सिंह धनखड़ का चयन ऑस्ट्रेलिया अवार्ड फैलोशिप के लिए हुआ है। डॉ. धनखड़ उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मृदा एवं जल अभियांत्रिकी विभाग में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत है एवं राजस्थान सरकार द्वारा गठित जल नीति निर्धारण समिति के सदस्य भी हैं। जल प्रबंधन एवं संरक्षण विशेषज्ञ डॉ. मनजीत सिंह सहित भारत के कुल छह जल विशेषज्ञों को अतिप्रतिष्ठित ऑस्ट्रेलिया अवार्ड फैलोशिप के लिए चयन हुआ है। ये सभी जल विशेषज्ञों ने रविवार को ऑस्ट्रेलिया के लिए प्रस्थान किया। ऑस्ट्रेलिया के विदेश मामलात व ट्रेड विभाग की ओर से प्रदत्त इस अंतरराष्ट्रीय फेलोशिप स्टडी को इंस्टीट्यूट फॉर स्टडी एंड डवलपमेंट वर्ल्ड वाइड, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी तथा ऑस्ट्रेलिया इंडिया वाटर सेंटर मिलकर आयोजित कर रहे हैं। डॉ. बसंत माहेश्वरी, डॉ. बसुंधरा भट्टराई के नेतृत्व एवं डॉ. निक शोफिल्ड, डॉ. रोजर पेकहैम के संयोजन में यह फेलोशिप 14 अप्रेल से होगी।

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने बताया कि यह फैलोशिप विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय है। जिसके तहत राजस्थान में जल प्रबंधन एवं संरक्षण के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा। अवार्ड फेलोशिप के तहत भारत के काटली नदी, आयड़ एवं बेडच बेसिन, ऑस्ट्रेलिया के हॉक्सबरी-निपीन, हंटर वैली, विंगेकेरेबी, वोलोंगोंग जल ग्रहण क्षेत्रों में वाटरशेड में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौतियों पर मिलकर अध्ययन करेंगे।

विश्व के 13 विशेषज्ञ जल प्रबंधन एवं संरक्षण, शहरी जल आपूर्ति प्रबंधन, वर्षा जल गुणवत्ता, बाढ़ प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन ग्रामीण-शहरी जल प्रबंधन, जल सुरक्षा, जल संशोधन, नदियों को पुनः जीवन, पर्यावरणीय प्रवाह इत्यादि विषयों पर गहन अध्ययन व परस्पर सीख से समग्र प्लान बनाएंगे। डॉ. मनजीत सिंह ने कहा कि राजस्थान के नदी बेसिनों के विकास व संरक्षण की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। डॉ. मनजीत सिंह धनखड़ की पत्नी डॉ. उर्मिला धायल भी महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ सुधार अनुसंधान परियोजना में कार्यरत है।

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