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जानिए वक़्फ़ के बारे में सब कुछ

जानिए वक़्फ़ के बारे में सब कुछ

वक़्फ़ क्या है?
वक़्फ़ का सामान्य अर्थ है “दान”, किसी भी चल-अचल संपत्ति अथवा वस्तु को अल्लाह से अज्र व सवाब हासिल करने की नियत से दान करने की प्रक्रिया को वक़्फ़ कहते हैं। वक़्फ़ की गई वस्तु अथवा संपत्ति को एक बार वक़्फ़ हो जाने के बाद न बेचा जा सकता है न ही ख़रीदा जा सकता है। वक़्फ़ की गई संपत्ति एक बार वक़्फ़ होने के बाद अल्लाह की संपत्ति मानी जाती है एवं इस संपत्ति से सिर्फ़ लोगों की भलाई और इस्तेमाल या इस्तेमाल से होने वाली आय कोई लोगों की भलाई और ख़ैर के कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है।

वक़्फ़ कौन कर सकता है?
कोई भी व्यक्ति किसी भी पंत, जाति, सम्प्रदाय का व्यक्ति अपनी संपत्ति को लोगों की भलाई और सार्वजानिक इस्तेमाल के लिए वक़्फ़ कर सकता है। किसी भी बालिग़, आक़िल (समझ रखने वाले) व्यक्ति द्वारा वक़्फ़ किया जा सकता है।

वक़्फ़ क्यों किया जाता है?
वक़्फ़ यानी धार्मिक दान लोगों को फ़ायदा पहुँचाने और अल्लाह से इसके बदले अज्र व सवाब हासिल करने की नियत से किया जाता है। जिस प्रकार अन्य धर्म के लोग धार्मिक कामों के लिए मंदिर, धाम, मठ, चर्च व गुरुद्वारों आदि के लिए अपनी निजी संपत्ति दान करते हैं वक़्फ़ भी ठीक उसी प्रकार का दान है।

वक़्फ़ के क्या फायदे हैं?
वक़्फ़ की गई संपत्ति को धार्मिक कार्यों के साथ साथ सार्वजानिक एवं सामुदायिक सुविधाओं को प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। वक़्फ़ से अर्जित संपत्ति को ग़रीब, मजबूर, बेवा औरतों और यतीम बच्चों के ऊपर खर्च किया जाता है। इसके ज़रिए समुदाय के गरीब लोगो की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के प्रयास भी किए जाते हैं। अस्पताल, यतीमख़ाने, सराय, धर्मशाला आदि का निर्माण भी किया जाता है जिनसे लोगों को फ़ायदा पहुंच सके।

क्या किसी की भी संपत्ति वक़्फ़ की जा सकती है?
वक़्फ़ जो जानेवाली संपत्ति पूरी तरह से वक़्फ़ करने वाले के कब्ज़े में होना ज़रूरी है। कोई भी शख़्स किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को वक़्फ़ नहीं कर सकता।

वक़्फ़ के बारे में कुछ ग़लतफ़हमियां

इस्लामोफ़ोबिया से ग्रसित मानसिकता के कुछ लोग वक़्फ़ के बारे में अजीबो गरीब बयानबाज़ी और बातों से समाज में ग़लतफ़हमी फ़ैलाने का काम करते हैं। जैसे एक आम ग़लतफ़हमी ये है कि वक़्फ़ संपत्ति लोगों की ज़मीन हड़पकर बनाई गई है। जबकि ऐसा मुमकिन नहीं है। वक़्फ़ संपत्ति दान प्रक्रिया का पालन करने के बाद ही वक़्फ़ होती है। किसी की भी ज़मीन को वक़्फ़ घोषित करना मुमकिन नहीं है। आम समझ की बात है कि किसी की ज़मीन को ज़बरन वक़्फ़ घोषित कर देने से अल्लाह से भलाई और अज्र उम्मीद कैसे लगाई जा सकती है?

एक और ग़लतफ़हमी ये पाई जाती है कि वक़्फ़ की संपत्ति से सिर्फ मुसलमान ही फ़ायदा उठा सकते हैं? हालाँकि ये बात भी बिलकुल गलत है। वक़्फ़ की गई संपत्ति सार्वजानिक इस्तेमाल के लिए होती है। यह किसी की निजी संपत्ति नहीं होती जिसे आम लोगो के लिए प्रतिबंधित कर दिया जाए। मिसाल के तौर पर कई ऐसी संपत्ति हमारे आस पास में मौजूद है जो वक़्फ़ की ज़मीन पर है और उनका फ़ायदा हर धर्म और हर वर्ग के लोग उठा रहे हैं।

एक ग़लतफ़हमी ये है कि वक़्फ़ की ज़मीन पर अवैध कब्ज़े हैं। हालाँकि ये बात पूरी तरह सही नहीं है। वक़्फ़ की कुछ ज़मीनों या सम्पत्तियों पर गैर कानूनी कब्ज़े ज़रूर है लेकिन सभी सम्पत्तियों पर ऐसे कब्ज़े नहीं है। इसके साथ ही जिन सम्पत्तियों पर कब्ज़े हैं उनपर भी कानूनी प्रक्रिया के तहत केस दर्ज हैं जिन्हें वक़्फ़ बोर्ड या प्रबंधन कमेटी लड़ रही है।

इस तरह और भी कई प्रकार की ग़लतफ़हमियाँ फैलाई जाती है जिनकी कोई हक़ीक़त नहीं है। वक़्फ़ एक धार्मिक और सामाजिक कार्य है जो सार्वजानिक कल्याण के लिए किया जाता है।

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