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बिजली निगमों के निजीकरण के विरोध में उतरें कर्मचारी:कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, बोले- नौकरियां होंगी प्रभावित


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बिजली निगमों के निजीकरण के विरोध में उतरें कर्मचारी:कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, बोले- नौकरियां होंगी प्रभावित

बिजली निगमों के निजीकरण के विरोध में उतरें कर्मचारी:कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन, बोले- नौकरियां होंगी प्रभावित

झुंझुनूं : बिजली निगमों के निजीकरण के विरोध में उपखंड स्तर पर कर्मचारियों ने धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में भारतीय मजदूर संघ, राजस्थान विद्युत तकनीकी कर्मचारी एसोसिएशन, इंजीनियर्स एसोसिएशन इंटक सहित कई कर्मचारी संगठनों ने भाग लिया और सरकार के हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल (हेम) के तहत 33/11 केवी ग्रिड्स के निजीकरण का कड़ा विरोध किया।

निजीकरण के विरोध में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए निजीकरण और ठेका प्रथा को खत्म करने की मांग की। उनका कहना था कि बिजली वितरण व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपना न केवल कर्मचारियों के लिए बल्कि आम उपभोक्ताओं के लिए भी हानिकारक साबित होगा।

हाइब्रिड मॉडल से बढ़ेगा आर्थिक बोझ

यूनियन महामंत्री देवकरण सैनी ने कहा कि सरकार द्वारा लागू किया जा रहा हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल बिजली क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करेगा और इससे उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि निजीकरण के चलते कर्मचारियों की नौकरियां प्रभावित होंगी और उनकी सामाजिक सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी।

कर्मचारी बोले- सरकार करें पुनर्विचार

प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों को अनसुना किया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को तुरंत इस नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए और बिजली वितरण प्रणाली को निजी हाथों में सौंपने की योजना को वापस लेना चाहिए।

प्रदर्शन के उपरांत कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री और अतिरिक्त ऊर्जा सचिव के नाम ज्ञापन सौंपा, जिसमें निजीकरण प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की गई। ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि बिजली निगमों के निजीकरण से राज्य में बिजली की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और उपभोक्ताओं को महंगी दरों पर बिजली मिल सकती है।

सरकार से फैसला वापस लेने की मांग

कर्मचारियों के इस आंदोलन को आम जनता का भी समर्थन मिला, क्योंकि उपभोक्ताओं को आशंका है कि निजीकरण से बिजली की कीमतें बढ़ेंगी और सेवा की गुणवत्ता पर असर पड़ेगा। कर्मचारियों ने यह भी कहा कि वे जनहित में अपने संघर्ष को जारी रखेंगे और सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग करेंगे।

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