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1100 लोगों की पेंशन के लिए सरकार ने बनाया कानून:इमरजेंसी में 30 दिन जेल जाने वालों को मिलेंगी सुविधाएं; विधानसभा में बिल पास


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1100 लोगों की पेंशन के लिए सरकार ने बनाया कानून:इमरजेंसी में 30 दिन जेल जाने वालों को मिलेंगी सुविधाएं; विधानसभा में बिल पास

1100 लोगों की पेंशन के लिए सरकार ने बनाया कानून:इमरजेंसी में 30 दिन जेल जाने वालों को मिलेंगी सुविधाएं; विधानसभा में बिल पास

जयपुर : देश में लगे आपातकाल के दौरान जेल जाने वालों की पेंशन अब आने वाली सरकारें नहीं रोक सकेंगी। विधानसभा में बहस के बाद शुक्रवार को राजस्थान के लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान बिल पारित कर दिया है।

इस बिल के पारित होने के बाद आने वाली सरकारें केवल प्रशासनिक आदेश से पेंशन और सुविधाएं बंद नहीं कर सकेंगी। आपातकाल में 30 दिन तक जेल में रहने वालों को ही पेंशन और सुविधाएं मिलेगी। लोकतंत्र सेनानी की मौत के बाद पति या पत्नी को भी पेंशन मिलती रहेगी। राजस्थान में वर्तमान में 1100 लोगों को यह पेंशन मिलती है।

लोकतंत्र सेनानियों की पेंशन और सुविधाओं के लिए फिलहाल सरकार ने 40 करोड़ रुपए का बजट तय किया है, जिसका बिल में उल्लेख किया गया है। अब इस बिल के नियम बनेंगे, जिनमें कुछ नए प्रावधान और शामिल होंगे। आपातकाल के दौरान 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक राजनीतिक, सामाजिक कारणों से जेल जाने वालों को लोकतंत्र सेनानी का नाम दिया है। लोकतंत्र सेनानी की मौत होने पर उसकी पत्नी या पति को पेंशन मिलेगी। मौत के 90 दिन के भीतर उन्हें आवेदन करना होगा।

बिल पास होने के पहले से पेंशन मिल रही है

प्रदेश में सरकार बदलने के बाद से मीसाबंदियों को पेंशन मिल रही है। भजनलाल सरकार ने पहली कैबिनेट की बैठक में ही मीसा और डीआईआर बंदियों को हर महीने 20 हजार रुपए पेंशन, 4000 मेडिकल भत्ता और राजस्थान रोडवेज में फ्री यात्रा सुविधा शुरू की थी।

अब आने वाली सरकारें आसानी से पेंशन बंद नहीं कर सकेंगी

लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान बिल पास होने के बाद अब आने वाली सरकारें आसानी से पेंशन बंद नहीं कर सकेंगी। अब पेंशन को कानूनी आधार मिल गया है। प्रशासनिक आदेश से पेंशन को बंद नहीं कर सकेंगे। कोई सरकार अगर इसे बंद करना चाहेगी तो उसे विधानसभा में बिल लाकर कानून में बदलाव करना होगा, तब पेंशन और सुविधाएं बंद हो सकेगी।

कांग्रेस सरकार आते ही बंद कर देती है पेंशन

मीसाबंदियों की पेंशन और सुविधाएं अब तक बीजेपी सरकारों में ही चालू रही है। कांग्रेस सरकार आते ही इसे बंद कर देती है। 2023 में भजनलाल सरकार बनने के बाद 2024 में पेंशन को फिर से शुरू कर दिया गया।

पात्रता जांचने जिला स्तर पर कमेटी बनेगी, विधायक मेंबर होंगे

आपातकाल के दौरान डीआरआई, मीसा में बंद होने वालों को पेंशन की पात्रता जांचने के लिए जिला स्तर पर कमेटी बनाई जाएगी। इस कमेटी में प्रशासनिक अफसरों के साथ विधायक भी होंगे। यह कमेटी पेंशन के आवेदनों की जांच कर पात्रता का फैसला करेगी।

लोकतंत्र सेनानियों को सरकारी समारोहों में बुलाया जाएगा

बिल के प्रावधानों के अनुसार लोकतंत्र सेनानियों को कलेक्टर आई कार्ड जारी करेंगे। इन्हें 15 अगस्त, 26 जनवरी और राष्ट्रीय पर्वों पर होने वाले सरकारी समारोहों में बुलाया जाएगा। स्थानीय प्रशासन उन्हें निमंत्रण भेजेगा।

नियमों में कुछ सुविधाओं को और शामिल किया जाएगा

विधानसभा में इस बिल पर बहस के दौरान कई बीजेपी विधायकों ने लोकतंत्र सेनानियों के पति-पत्नी को भी फ्री यात्रा सुविधा देने का प्रावधान करने, जेल में रहने की अवधि को एक महीने से घटाकर 10 दिन करने सहित कई प्रावधान और जोड़ने की मांग रखी।

बिल पर बहस का जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा- इस बिल को आज पारित करवाना ऐतिहासिक हैं, क्योंकि 21 मार्च 1977 को ही आपातकाल खत्म किया गया था। आपातकाल के दौरान जेल जाने वाले लोकतंत्र सेनानियों काे पेंशन और सुविधाएं देने के अब नियम बनेंगे, जिनमें कुछ और सुविधाओं को भी जोड़ने पर विचार होगा। विधायकों के सुझावों को नियमों में शामिल करने का प्रयास करेंगे।

कौन है मीसा बंदी और डीआईआर बंदी?

1975-77 के आपातकाल के दौरान राजनीतिक या सामाजिक कारणों से राष्ट्रीय आंतरिक सुरक्षा अधिनियम 1971(1971 का 26) (अब यह कानून निरस्त हो चुका) के तहत जिन्हें बंदी बनाया गया, उन्हें मीसा बंदी के रूप में जाना जाता है। इधर, 1975-77 के दौरान भारत रक्षा नियम, 1971 (डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स,1971) (यह कानून भी निरस्त हो चुका) के तहत जिन्हें बंदी बनाया गया, उन्हें डीआईआर बंदी के रूप में जाना जाता है।

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