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माहे रमजान इबादत का बेहतरीन महीना है और इंसानियत का पैगाम देता है – मौलाना अनीस रजा मंजरी


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माहे रमजान इबादत का बेहतरीन महीना है और इंसानियत का पैगाम देता है – मौलाना अनीस रजा मंजरी

माहे रमजान इबादत का बेहतरीन महीना है और इंसानियत का पैगाम देता है - मौलाना अनीस रजा मंजरी

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : जिला मुख्यालय पर स्थित ‌ ईदगाह मोहल्ला में मस्जिद मिरूशाह तकिया के इमाम मौलाना अनीस रजा मंजरी ‌ ने माहे रमजान की मुबारकबाद पेश करते हुए कहा कि रोजा एक ऐसी ईबादत है जिसके जरिये इंसान के अच्छे अखलाक कि शिक्षा भी होती है रोजे से खोफे खुदा तक्वा सब्र हमदर्दी गम खारी और सहायता जैसे अच्छी विशेषताएं पैदा होती है ।रोजेदार को दूसरे कि भुख प्यास का एहसास होता है ।वो चाहता है के जो लोग भुखे प्यासे और जरुरतमंद है उनकी मदद करें तमाम लोग खुशनसीब है ।जो रमजान में जरुरतमंदों कि सहायता करते हैं। अल्लाह पाक ईस पाक महीने में हर नेकी का सवाब कईं गुणा बढाकर देता है जैसे नफ्ल का सवाब फर्ज के बराबर और एक फर्ज का सवाब 70 फ़र्ज़ के बराबर मिलता है। और रमजान के महीने के रोजे और ईबादत हमारे ईमान और अखलाक को मजबूत करते हैं। यह माह भाईचारा और सद्भाव कि प्रेरणा और इनसानियत कि राह पर चलने की तोफिक देता है शरीअत- ए -इस्लाम नमाज कि पाबंदी के साथ हमें नेक अमल करने नेक इंसान बनने कि हिदायत देता है।जकात हर मालिके नेसाब पर फर्ज है जकात गरीबों का हक है जकात इस्लाम का अहम रुक्न कुरान -ए- करीम में ईमान के बाद नमाज और उसके साथ ही जकात का जिक्र किया है जकात माली ईबादत है ये ऐसी ईबादत है जो कल्ब और रूह का मेल कुचेल भी साफ करती है इन्सान को अल्लाह का मुफलिस बन्दा बनाती है नीज जकात अल्लाह कि अता कि हुई बेहिसाब नेअमतों के एहतराफ और उसका शुक्र बजा लाने का बेहतरीन जरिया है जकात माल का वो हिस्सा है जिसका अदा करना फर्ज है इस्लाम में जकात के जरिये गुरबत खत्म किया जा सकता है इसलिए हर मालिके निसाब जकात अदा करें। रोजा खोलते वक्त खजूर काफी अहमियत रखती है रोजा खोलते ही सबसे पहले खजूर क्यों? रमजान में इफ्तार के वक्त दस्तरख्वान पर सभी फलों के साथ खजूर भी रखा जाता है. सबसे पहले उसे ही खाया जाता है ।और लोग इसे पसंद भी करते हैं। यह सुन्नत भी है। लेकिन इसके खाने का सही तरीका भी आपको पता होना चाहिए. बताया जाता है कि रोजाना एक रोजेदार को 2 से 3 खजूर से ही शुरुआत करनी चाहिए क्योंकि कुछ लोगों को यह नुकसान कर सकती हैं। रोजा रखने के बाद अगर सीधे भारी भोजन कर लिया जाए, तो पाचन क्रिया पर असर पड़ सकता है. खजूर पेट को हल्का रखकर डाइजेस्टिव सिस्टम को सक्रिय करता है, जिससे पाचन प्रक्रिया बेहतर बनी रहती है. यह गैस और अपच की समस्या को भी कम करने में सहायक होता है। खजूर रमजान में इसलिए खाया जाता है क्योंकि यह सुपरफूड माना जाता है. इसमें विटामिन्स, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। अगर रोजेदार दिनभर भूखे रहकर कुछ खाते हैं तो पाचन क्रिया धीमी पड़ जाती है । डाइजेस्टिव सिस्टम को एक्टिव करने के लिए यह फायदेमंद मानी जाती है।शुगर के मरीजों को खजूर का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए. डॉक्टरों के अनुसार, शुगर पेशेंट्स सिर्फ 1 खजूर खा सकते हैं, क्योंकि यह शुगर लेवल को बढ़ा सकता है. इसलिए, मधुमे रोगियों को अपने डॉक्टर से सलाह लेकर ही‌ सेवन करना चाहिए। ‌ माहे रमजान इबादत का एक बेहतरीन महीना है।

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