नगर पालिका मण्डावा में निविदा घोटाला:निजी लाभ के लिए नियमों की अनदेखी, नगर निकाय मुख्यालय से दिया नोटिस, शिकायत की जांच में मिली है अनियमिकताएं
नगर पालिका मण्डावा में निविदा घोटाला:निजी लाभ के लिए नियमों की अनदेखी, नगर निकाय मुख्यालय से दिया नोटिस, शिकायत की जांच में मिली है अनियमिकताएं

मण्डावा : नगर पालिका मण्डावा में निविदा प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आया है। उप निदेशक (क्षेत्रीय), स्थानीय निकाय विभाग, जयपुर की ओर से नगर पालिका अध्यक्ष नरेश सोनी को नोटिस दिया है। नोटिस में उल्लेख किया गया है कि अधिशाषी अधिकारी, कनिष्ठ अभियंता और अध्यक्ष ने मिलकर निजी लाभ और किसी विशेष फर्म को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से नियमों की अनदेखी कर निविदाएं जारी की हैं। नोटिस के जरिए जवाब मांगा गया है।
अनियमितताओं के चलते उप निदेशक (क्षेत्रीय) ने विनोद पुरोहित ने नगर पालिका अध्यक्ष नरेश सोनी को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है। यदि संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया, तो यह मामला आवश्यक कार्रवाई के लिए निदेशालय को भेज दिया जाएगा।
शिकायत और जांच में सामने आई गड़बड़ियां
भाजपा नगर मण्डल अध्यक्ष मोहनलाल सैनी और भाजपा लोकसभा प्रत्याशी शुभकरण चौधरी द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर जांच की गई, जिसमें कई अनियमितताएं उजागर हुई हैं।
यह मिली अनियमिकताएं
1. अनियमित तकमीना अनुमान तैयार करना:
नगर पालिका मण्डावा द्वारा 15 कार्यों की निविदा जारी की गई, जिसमें 6 कार्य “ऑक्टागोनल पोल” लगाने से संबंधित थे और 3 कार्य 120 वॉट एलईडी लाइट की खरीद के लिए थे। इन सभी कार्यों के अलग-अलग टुकड़ों में तकमीना तैयार कर निविदाएं आमंत्रित की गईं, ताकि कुल लागत कम दिखाकर स्वीकृति ली जा सके। जबकि नियमानुसार, समान प्रकृति के कार्यों का समेकित अनुमान तैयार किया जाना चाहिए था।
2. प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति में अनियमितता
राजस्थान नगर पालिका नियम 1974 के अनुसार, 25 लाख रुपये तक की निविदा की स्वीकृति अध्यक्ष दे सकते हैं, जबकि इससे अधिक राशि की स्वीकृति बोर्ड से लेनी होती है। परंतु, इस निविदा में टुकड़ों में बांटकर प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति प्राप्त की गई, जिससे नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं।
3. तकनीकी स्वीकृति में गड़बड़ी:
तकनीकी स्वीकृति अधिशाषी अभियंता (विद्युत), नगर निगम ग्रेटर जयपुर द्वारा जारी की गई, जबकि यह कार्य नगर परिषद झुंझुनू के अधिशाषी अभियंता (विद्युत) को करना चाहिए था। इसके अलावा, समान कार्यों को छोटे टुकड़ों में बांटकर अलग-अलग तकनीकी स्वीकृति ली गई, जो पूरी तरह से नियमों के विरुद्ध है।
निदेशालय के आदेशों की अवहेलना
स्थानीय निकाय निदेशालय, राजस्थान जयपुर द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि समान कार्यों को समेकित कर सक्षम स्वीकृति लेने के बाद ही निविदा निकाली जाए। बावजूद इसके, नगर पालिका मण्डावा के अधिकारियों ने आदेशों की अवहेलना करते हुए निविदा जारी की।
एसपीपी पोर्टल पर निविदा का प्रकाशन नहीं किया गया
आरटीपीपी नियम 2013 के अनुसार, 1 लाख रुपये से अधिक राशि की निविदा को एसपीपी पोर्टल पर प्रकाशित करना अनिवार्य है। परंतु, नगर पालिका मण्डावा द्वारा जारी निविदा के दस्तावेजों में इसका कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है।
समाचार पत्रों में निविदा प्रकाशन का अभाव
आरटीपीपी नियम 2013 के नियम 43 (6) के अनुसार, निविदा को समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जाना चाहिए था। लेकिन उपलब्ध दस्तावेजों में इसका भी कोई प्रमाण नहीं मिला।
ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर निविदा का कूटरचित प्रकाशन
शिकायतकर्ता द्वारा प्रस्तुत ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल से डाउनलोड की गई निविदा डिटेल के अनुसार, इसे नगर पालिका मण्डावा के बजाय बिसाऊ से अपलोड किया गया था। साथ ही, निविदा का प्रकाशन कार्यालय बंद होने के मात्र 15 मिनट पहले किया गया और बोली जमा करने की अंतिम तिथि अगले दिन सुबह 9 बजे रखी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस प्रक्रिया को जानबूझकर कूटरचित तरीके से अंजाम दिया गया।
मंडावा चेयरमैन नरेश सोनी का कहना है कि मानवीय भूल हो गई थी। पता चलते ही टेंडर वापस ले लिए गए थे। उसमें कोई नुकसान नहीं हुआ। टेंडर लगने से पहले ही वापस ले लिया था। राजनीति विरोधी हवा बना रहे है। पुरा मामला राजनीतिक है।