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रेहड़ी-ठेले वालों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:प्रशासन से लगाई गुहार, उन्हें बेदखल करने का विरोध


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रेहड़ी-ठेले वालों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:प्रशासन से लगाई गुहार, उन्हें बेदखल करने का विरोध

रेहड़ी-ठेले वालों का कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:प्रशासन से लगाई गुहार, उन्हें बेदखल करने का विरोध

झुंझुनूं : झुंझुनूं के गांधी चौक में रेहड़ी-ठेला लगाने वाले व्यापारियों ने सोमवार को कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया और जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर बेवजह परेशान करने का आरोप लगाया और अपनी रोजी-रोटी बचाने की मांग की।

उनका कहना है कि वे 25 साल से अधिक समय से रेहड़ी लगाकर परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं, लेकिन अब चार दिन से रेहड़ी नहीं लगाने दी जा रही, जिससे उनके सामने भूखमरी की स्थिति बन गई है।

ट्रैफिक पुलिस ने हटाया था अतिक्रमण, अब नहीं दी जा रही जगह

प्रदर्शन कर रहे रेहड़ी संचालकों ने बताया कि दो दिन पहले ट्रैफिक पुलिस ने अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की थी। इसके बाद प्रशासन ने रीट परीक्षा के चलते दो दिन तक रेहड़ी नहीं लगाने के लिए कहा, जिसे सभी रेहड़ीवालों ने मान लिया। लेकिन परीक्षा समाप्त होने के बाद जब वे फिर से अपनी रेहड़ी लगाने पहुंचे तो उन्हें वहां खड़े होने की अनुमति नहीं दी गई।

रेहड़ी से चलता है हमारा घर

रेहड़ी संचालक मोहम्मद शरीफ, जो गांधी चौक पर फल, फ्रूट की रेहड़ी लगाते हैं। उन्होंने ने बताया कि प्रशासन ने उन्हें सिर्फ दो दिन तक रेहड़ी नहीं लगाने को कहा था, लेकिन अब चार दिन से लगातार उन्हें जगह नहीं दी जा रही। उनका कहना है कि इसी से उनके परिवार का पालन-पोषण होता है और अब आजीविका का संकट खड़ा हो गया है।

इसी तरह सुरेश कुमार, जो 25 साल से गांधी चौक पर रेहड़ी लगा रहे हैं, ने कहा कि उनकी रेहड़ी से किसी भी तरह का ट्रैफिक जाम नहीं होता, फिर भी प्रशासन उन्हें परेशान कर रहा है। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि उनकी रोजी-रोटी को न छीना जाए और उन्हें पहले की तरह अपनी रेहड़ी लगाने दी जाए।

चार दिन से भूखे मरने की नौबत

प्रदर्शन कर रहे रेहड़ी संचालकों का कहना है कि उनकी दैनिक आमदनी 1000 से 1500 रुपये तक होती थी, जिससे उनके परिवार का गुजारा चलता था। लेकिन अब चार दिन से कोई आमदनी नहीं हो रही। ऐसे में खाने के भी लाले पड़ गए हैं।

प्रशासन से की गई मांग

प्रदर्शनकारियों ने जिला प्रशासन से गुहार लगाई है कि उन्हें पहले की तरह रेहड़ी लगाने की अनुमति दी जाए। साथ ही प्रशासन उनके लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था करे, ताकि वे बिना किसी परेशानी के अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें।

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