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इतिहास में पहली बार बड़ी संख्या में कम होंगे निकाय:गहलोत राज में बनाई 56 नगर पालिकाओं को फिर से ग्राम पंचायतों में बदलने की कवायद


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इतिहास में पहली बार बड़ी संख्या में कम होंगे निकाय:गहलोत राज में बनाई 56 नगर पालिकाओं को फिर से ग्राम पंचायतों में बदलने की कवायद

इतिहास में पहली बार बड़ी संख्या में कम होंगे निकाय:गहलोत राज में बनाई 56 नगर पालिकाओं को फिर से ग्राम पंचायतों में बदलने की कवायद

जयपुर : पिछली अशोक गहलोत सरकार के कार्यों और फैसलों की बदलने की श्रंखला बनती जा रही है। गहलोत सरकार में बनाए नए जिलों में से हाल ही 9 जिले और 3 संभाग निरस्त किए गए। उसके बाद निकायों के पुनर्गठन के लिए कैबिनेट सब कमेटी बनाई है।

इस कमेटी ने बैठक नहीं की, उससे पहले ही आलाकमान के पूर्व से प्राप्त संकेतों की पालना में कवायद शुरू हो गई। पिछली अशोक गहलोत सरकार के समय करीब 99 से अधिक नए निकाय बनाए गए। अब उनमें से 52 से 56 नए निकायों को फिर से ग्राम पंचायतों में बदलने की तैयारी की जा रही है।

हालांकि यह फाइनल तब होगा, तब यूडीएच मंत्री झाबरसिंह खर्रा की अध्यक्षता वाली कैबिनेट सब कमेटी अप्रूवल देकर सीएम से मंजूरी लेगी और अधिसूचना जारी होगी। लेकिन सरकार का प्रयास है कि अब तक हो चुके 293 निकायों को घटाकर 240 से 250 किए जाए। गौरतलब है कि प्रदेश में 13 नगर निगम, 36 नगर परिषद 250 से अधिक नगर पालिकाएं हैं।

5 से 6 नगर निगम भी हटाने की है तैयारी

प्रदेश में 13 नगर निगम हैं। इनमें से 5 नए निगम पिछली सरकार में और 1 निगम इस सरकार में बनाया गया। अब 4 से 6 नगर निगम भी वापस नगर परिषद में बदलने की तैयारी है। इसमें अलवर, पाली, जयपुर ग्रेटर या हैरिटेज, जोधपुर उत्तर या दक्षिण, कोटा उत्तर या दक्षिण आदि संभव हैं।

कैबिनेट सब कमेटी अक्टूबर 2019 में कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए शहरी निकायों के पुनर्गठन की समीक्षा करेगी। उस समय जयपुर, जोधपुर और कोटा जैसे बड़े शहरों में नगर निगमों की संख्या बढ़ाकर दो कर दी गई थी और वार्डों की सीमा का परिसीमन भी किया गया था। भाजपा ने इसे राजनीतिक लाभ के लिए किया गया कदम बताया था।

वन स्टेट, वन इलेक्शन के लिए घटा रहे संख्या

प्रदेश की भाजपा सरकार निकायों, ग्राम पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने की घोषणा कर चुकी है। अब 300 निकायों, करीब 11.5 हजार ग्राम पंचायतों के चुनाव एक साथ कराना बहुत बड़ा काम रहेगा। इसे देखते हुए सरकार निकायों की संख्या घटाने पर विचार कर रही है। इससे चुनावी मशीनरी कम लगे और पारदर्शी चुनाव कराना संभव हो। इसका फायदा या नुकसान तो चुनाव में मतदाता तय करेंगे।

एक-एक नगर निगम के लिए अब मांगी रिपोर्ट

मंत्रियों की कमेटी गठन के साथ स्वायत्त शासन विभाग में जयपुर, जोधपुर और कोटा कलेक्टर से दो की जगह एक-एक निगम फिर से बनाने की रिपोर्ट मांगी है। ​ परिसीमन प्रक्रिया को फिर से जांचने का फैसला किया है। फोकस अल्पसंख्यक बाहुल्य वार्डों पर है। आरोप है कि कांग्रेस सरकार में इन वार्डों को राजनीतिक फायदे के लिए तोड़ा गया था।

धन का अभाव बड़ा संकट

प्रदेश में 293 निकाय ऐसे हैं, जिनका अधिकांश खर्च सरकार पर निर्भर हैं। वहीं पिछले 6 साल से स्वायत्त शासन एवं यूडीएच का सालाना बजट लगातार कम किया जा रहा है। प्राधिकरण जैसे स्वायत्त निकाय तो फिर भी भूखंड नीलामी से गुजारा कर रहे हैं। लेकिन बाकी नगर निगम, नगर परिषदों और नई करीब 250 पालिकाओं के पास आर्थिक आधार कुछ नहीं है। उनका खर्च उठाना विभाग के लिए भारी पड़ रहा है। हर साल 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा इन निकायों को चाहिए।

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