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खराब मोबाइल-लैपटॉप से सोना निकालने वाली फैक्ट्री:सीक्रेट प्रोसेस से 10 साल में 54 किलो गोल्ड निकाला, कर्मचारी मोबाइल भी अंदर नहीं ले जा सकते


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खराब मोबाइल-लैपटॉप से सोना निकालने वाली फैक्ट्री:सीक्रेट प्रोसेस से 10 साल में 54 किलो गोल्ड निकाला, कर्मचारी मोबाइल भी अंदर नहीं ले जा सकते

खराब मोबाइल-लैपटॉप से सोना निकालने वाली फैक्ट्री:सीक्रेट प्रोसेस से 10 साल में 54 किलो गोल्ड निकाला, कर्मचारी मोबाइल भी अंदर नहीं ले जा सकते

अलवर : जी बिल्कुल सही पढ़ा आपने! खराब मोबाइल-लैपटॉप से सोना निकालने वाली GREENSCAPE नाम की ये फैक्ट्री अलवर के मत्स्य इंडस्ट्रियल एरिया (MIA) में है। अब आप सोच रहे होंगे क्या सच में मोबाइल और लैपटॉप में सोना होता है? बिल्कुल होता है, सिर्फ मोबाइल-लैपटॉप ही नहीं, कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में गोल्ड होता है।

इसी फैक्ट्री में पिछले 10 साल में इलेक्ट्रॉनिक आइटम के कबाड़ से 54 किलो सोना निकाला जा चुका है। अब दिमाग में दूसरा सवाल आ रहा होगा कि- जब मोबाइल-लैपटॉप या स्मार्टवॉच में सोना होता है तो लोग कबाड़ में बेचने से पहले उसे निकाल क्यों नहीं लेते?

…ये इतना आसान नहीं है कि मोबाइल की बॉडी खोली और सोना निकाल लिया। इसका लंबा प्रोसेस होता है। यहीं प्रोसेस समझने के लिए हमारी मीडिया टीम इस प्लांट पर पहुंची। ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़िए कैसे कबाड़ से सोना-चांदी निकाला जाता है…

खराब मोबाइल-लैपटॉप से सोना निकालने वाली GREENSCAPE नाम की ये फैक्ट्री अलवर के मत्स्य इंडस्ट्रियल एरिया (MIA) में है।
खराब मोबाइल-लैपटॉप से सोना निकालने वाली GREENSCAPE नाम की ये फैक्ट्री अलवर के मत्स्य इंडस्ट्रियल एरिया (MIA) में है।

कंपनी 2007 से काम कर रही

कंपनी के यूनिट हेड सक्सेना ने बताया- पुराने और खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को रिसाइकिल करने के प्लांट तो खूब हैं लेकिन ग्रीन स्केप (GREENSCAPE) नाम से पहला प्लांट है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से सोना, चांदी, आयरन सहित अन्य धातुएं निकाली जा रही हैं।

अलवर में कंपनी 2007 से काम कर रही है लेकिन नया प्लांट 2024 से शुरू हुआ है। ग्रीन स्केप का प्लांट कुल 73 हजार मैट्रिक टन क्षमता का है। पहले यहां केवल प्लास्टिक के दाने, आयरन और कॉपर निकलता था। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में काम में ली जानी वाली PCB से सोना-चांदी निकालने के लिए बेल्जियम, जर्मनी और जापान भेजा जाता था। वहां के प्लांट से PCB से सोना-चांदी अलग होता था। फिलहाल फैक्ट्री में 23 से 25 हजार मैट्रिक टन सालाना इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का कबाड़ रिसाइक्लिंग होता है।

10 साल में 54 किलो सोना निकला, केंद्रीय मंत्री से मिले चेयरमैन

कंपनी ने पिछले 10 साल में 54 किलो सोना इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में काम ली जानी वाली PCB को प्रोसेस कर निकाला है। अब कंपनी बड़े स्तर पर प्लांट को चालू करने में लगी है, जिससे अनुमान है कि हर साल 100 से 200 किलो सोना निकाल सकेगी।

कंपनी के चेयरमैन अशोक कुमार ने पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से बात की थी। उन्हें बताया था कि कंपनी PCB के प्रोसेस और इलेक्ट्रॉनिक कबाड़ को रिसाइक्लिंग करने के प्लांट की क्षमता को कई गुना बढ़ाने की तैयारी में भी है। इस पर केंद्रीय मंत्री ने उनको अलग से चर्चा करने का समय भी दिया था।

प्लांट में रखे खराब इलेक्ट्रॉनिक सामान। यहां इन्हें रिसाइक्लिंग कर सोना, चांदी, आयरन सहित अन्य धातुओं को निकाला जाता है।
प्लांट में रखे खराब इलेक्ट्रॉनिक सामान। यहां इन्हें रिसाइक्लिंग कर सोना, चांदी, आयरन सहित अन्य धातुओं को निकाला जाता है।

फोन, टैबलेट और स्मार्टवॉच से निकालते सोना-चांदी

कंपनी हेड ने बताया- प्लांट में 50 तरह की मशीन लगी हैं। सबका काम अलग-अलग है। जैसे वाशिंग मशीन, फ्रिज, AC, लैपटॉप, मोबाइल सहित कई तरह के उपकरणों के एक-एक पार्ट को अलग किया जाता है। इसके बाद सभी पार्ट को अलग-अलग कर क्रैश किया जाता है, जिनसे प्लास्टिक दाना, आयरन, कॉपर निकलता है।

इसी तरीके से प्रिंटेड सर्किट बोर्ड (PCB) एक यांत्रिक आधार होता है, जिस पर इलेक्ट्रॉनिक घटकों को जोड़ा जाता है। यह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सर्किट बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। PCB , इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए एक अहम हिस्सा है। इसका इस्तेमाल फोन, टैबलेट, स्मार्टवॉच, वायरलेस चार्जर और बिजली आपूर्ति जैसे कई उपकरणों में किया जाता है।

मशीन के जरिए PCB से सोना-चांदी अलग किया जाता है। प्लांट में एक साल पहले विदेश से मशीन को लाया गया। ये मशीन केवल PCB से सोना-चांदी निकालने का काम करती है। इससे पहले जापान, जर्मनी और बेल्जियम भेजा जाता था।

खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से निकालते धातु

खराब इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (वाशिंग मशीन, लैपटॉप, मोबाइल अन्य) को प्लांट में लाया जाता है। यहां हर उपकरण के एक-एक पार्ट को अलग करने का काम मशीन पर होता है। हर उपकरण के लिए अलग चेन मशीन होती है। जहां लेबर के जरिए ऑटोमैटिक पार्ट अलग होते हुए आगे जाते हैं।

आखिर में प्लास्टिक, लोहा और कॉपर अलग हो जाता है। प्लास्टिक पूरी सफाई के साथ दाने में बदल जाता है। लोहा और कॉपर भी अलग एकत्रित हो जाता है। यह सब मशीन का प्रोसेस होता है। मोबाइल, लैपटॉप और अन्य उपकरणों में लगी PCB को अलग से प्रोसेस किया जाता है, जिसकी मशीन भी अलग होती है।

PCB से सोना निकालने की प्रोसेस होती है गुप्त

PCB को प्रोसेस करने की पूरी प्रक्रिया को गोपनीय रखा जाता है। मोटे तौर पर PCB पर बहुत सी चिप्स लगी होती हैं। उसके प्रोग्रामिंग को अलग-अलग किया जाता है। उसके बाद प्रोसेस की PCB पहले दूसरे देशों में भेजते थे। अब इस प्लांट में उससे सोने-चांदी को अलग किया जाता है।

इसी तरह वाशिंग मशीन में आयरन, कॉपर, एल्यूमीनियम ज्यादा होता है। अन्य हर तरह के उपकरण में कितनी मात्रा में कौनसा मेटल है, यह उसकी गुणवत्ता पर निर्भर करता है। PCB की गोपनीय प्रोसेस के कारण प्लांट में काम करने वाले कर्मचारी भी मोबाइल अंदर नहीं लेकर जा सकते।

प्लांट में 50 तरह की मशीन लगी हैं। सबका काम अलग-अलग हैं।
प्लांट में 50 तरह की मशीन लगी हैं। सबका काम अलग-अलग हैं।

घरों में पड़ा इलेक्ट्रॉनिक कचरे से खतरा भी

प्लांट के मैनेजर बी निगम ने बताया- घरों में पड़ा खराब मोबाइल या लैपटॉप से भी खतरा रहता है। मोबाइल की बैटरी में विस्फोट होने का डर रहता है। टीवी की स्क्रीन पर कॉटेज फास्फोरस सहित अन्य मिश्रण होता है, जिसके टूटने पर उसे छूने से कई तरह की बीमारी हो सकती हैं। इसी तरह इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के अंदर कई तरह के रसायन काम लिए जाते हैं, जो घर में लंबे समय तक कबाड़ के रूप में पड़े रहने से सेहत को हानि पहुंचाते हैं।

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