भारत जोड़ो यात्रा : बजट सत्र के दौरान विधानसभा कूच करेंगे किसान, राहुल गांधी से मुलाकात के बाद किसान महापंचायत का ऐलान
कांग्रेस नेता राहुल गांधी से 9 जनवरी को हरियाणा में भारत जोड़ो यात्रा में मुलाकात कर चर्चा में आए किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने 'खेत को पानी' और 'फसल को दाम' का नारा देते हुए 28 फरवरी को राजस्थान विधानसभा जयपुर कूच का ऐलान कर दिया है।
भारत जोड़ो यात्रा : राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विधानसभा कूच की घोषणा किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने की है। खास बात यह है कि आंदोलन की घोषणा राहुल गांधी से हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शाहाबाद और अंबाला रोड पर वार्ता के बाद की गई है। रामपाल जाट ने राहुल गांधी से भी किसानों की कर्ज माफी के लिए ‘खेत को पानी’ और ‘फसल को दाम’ दिलाने के लिए MSP पर फसल खरीद की गारंटी का कानून बनाने की मांग रखी थी। रामपाल जाट ने राहुल गांधी को कहा था कि कृषि संबंधी कानून बनाने का अधिकार भारतीय संविधान में राज्यों को सौंपा गया है। राज्य भी इस तरह के कानून बना सकते हैं। लेकिन राजस्थान की कांग्रेस सरकार में इस पर कोई एक्शन नजर नहीं आया, तो मुलाकात के एक हफ्ते बाद ही विधानसभा कूच का ऐलान कर दिया।
28 फरवरी को 4 रास्तों से होगा जयपुर कूच
रामपाल जाट ने बताया कि उनकी अध्यक्षता में किसान महापंचायत की बैठक बुलाई गई। जिसमें पदाधिकारियों के सुझावों के मुताबिक 28 फरवरी 2023 को जयपुर जाने वाले 4 रास्तों से पैदल चलकर किसान विधानसभा का घेराव करेंगे। आगरा रोड, अजमेर रोड, सीकर रोड, दिल्ली रोड से किसान बड़ी संख्या में पैदल आंदोलन के लिए आएंगे।
संविधान में कृषि राज्य का विषय
रामपाल जाट ने कहा- पहली पंचवर्षीय योजना में कृषि और सिंचाई पर 31% बजट खर्च करने का प्रावधान किया गया था। इसी से भाखड़ा नागल और इंदिरा गांधी नहर परियोजना जैसी बड़ी परियोजनाएं धरातल पर उतरीं। जिससे किसानों के चेहरों पर मुस्कान आई और राज्यों के रेवेन्यू में बढ़ोतरी हुई । खेत को पानी मिलने से देश की मिट्टी सोना उगलती है और उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। इसके बावजूद भी बजटों में सिंचाई को प्राथमिकता नहीं दी गई। देश की 60% और राजस्थान की 70% जमीन सिंचाई से वंचित है।
फसलों के पूरे दाम मिले तो किसान कर्ज लेने वाला नहीं देना वाला बनेगा
किसान महापंचायत अध्यक्ष रामपाल बोले- फसलों के पूरे दाम किसान को मिल जाएं, तो किसान कर्ज लेने वाला नहीं रहेगा, बल्कि कर्ज देने वाला बन जाएगा। फसलों के दाम के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर फसली उत्पादन खरीद की गारंटी का कानून ज़रूरी है।
12 साल पहले राजस्थान के दूदू से शुरू हुआ यह आंदोलन देशव्यापी बनकर सबसे ज़्यादा चर्चित है। इस तरह का कानून राजस्थान सरकार भी बना सकती है। कृषि उपज मंडी एक्ट में इस तरह के प्रोविजन हैं, लेकिन वह बॉउण्ड करने वाले (आज्ञापक) नहीं हैं। इसके लिए एक शब्द बदलने और “नीलामी बोली न्यूनतम समर्थन मूल्य से ही आरंभ” होगी जोड़ने से किसानों को उनकी उपजों के लाभकारी दाम मिलने का रास्ता खुल सकेगा।
यह हैं प्रमुख मांगें
- बजट में सिंचाई परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर राशि आवंटित कर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को पूरा किया जाए। परियोजना में साबी और अन्य नदियों को जोड़ा जाए।
- हरियाणा के साथ हुए समझौते की पालना में यमुना का पानी सीकर ,झुंझुनू, भरतपुर में लाने के लिए पॉज़िटिव और सफल प्रयास किए जाएं।
- बारां जिले की बहुउद्देशीय परवन सिंचाई परियोजना और पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित कराने के लिए विधानसभा में संकल्प लाया जाए।
- पाकिस्तान सहित पड़ोसी राज्यों में व्यर्थ बहकर जा रहे पानी और मौजूदा सिंचाई परियोजनाओं के पानी का सही तरह इस्तेमाल करने के लिए वर्कप्लान बनाकर इम्पलीमेंट किया जाए।
- किसानों की इनकम में सुधार के लिए प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए प्रति हेक्टेयर 50 हज़ार रुपए का प्रोविजन किया जाए। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की पॉलिसी और इम्प्लीमेंटेशन को प्रभावी बनाने की जरूरत है।
- समय पर खाद, बीज, कीटनाशक, बिजली-पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।