जैसलमेर : 1971 के युद्ध में भारतीय सेनाओं के पराक्रम की बदौलत हासिल हुई जीत व शहीदों को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से जैसलमेर से लोंगेवाला तक होने वाली दौड़ दी बॉर्डर मैराथन जारी है। यहां इंदिरा इंडोर स्टेडियम में दोपहर 12 बजे एसपी सुधीर चौधरी ने मैराथन को झंडी दिखाकर रवाना किया। 28 घंटे की मैराथन भारत-पाकिस्तान बॉर्डर स्थित लोंगेवाला में रविवार शाम चार बजे संपन्न होगी। मैराथन में देश भर के विभिन्न राज्यों से करीब 900 प्रतिभागी हिस्सा ले रहे हैं। तीन चरणों में 50 किमी, 100 किमी व सबसे ज्यादा 160 किमी तक प्रतिभागी दौड़ लगा रहे हैं।
2018 में शुरू हुई थी मैराथन
गौरतलब है कि 2018 में ‘दी बॉर्डर’ मैराथन की शुरुआत की गई थी। पिछले 6 साल से इस मैराथन का लगातार आयोजन किया जा रहा है। इस साल 7वीं अल्ट्रा मैराथन का आयोजन किया जा रहा है। 20 लोगों के साथ शुरू हुई यह मैराथन बड़ा रूप ले चुकी है। 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी रेंजरों के सामने लड़ाई लड़ने वाले 120 योद्धाओं की वीरता को नमन व शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। जैसलमेर से शुरू हुई मैराथन कुछड़ी गांव से होते हुए सियाम्बर गांव, भारतमाला सड़क से आसुतार गांव, गमनेवाला से होते हुए लोंगेवाला पहुंचेगी। प्रतिभागी शहीदों के लिए दिल में देशभक्ति का जज्बा लेकर दौड़ लगा रहे हैं।
शहीदों के लिए की जाने वाली सबसे लंबी दौड़
इस दौड़ के जनसंपर्क अधिकारी पुष्कर ने बताया कि इस दौड़ की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह देश के शहीदों के लिए की जाने वाली सबसे लंबी दौड़ है। इसके साथ ही इस मैराथन में हर 10 किमी में प्रतिभागी को सपोर्ट दिया जाता है। इसके अलावा कोई प्रतिभागी सपोर्ट लेता है तो वह इस प्रतियोगिता से बाहर हो जाता है। इस रेस के लिए तीन चरण निर्धारित किए गए हैं। 50 किलोमीटर के लिए प्रतिभागी को 8 घंटे, 100 किलोमीटर के लिए 16 घंटे तथा 160 किलोमीटर के लिए 28 घंटे का समय दिया जाता है। इस समयावधि के बाद पहुंचने वाले प्रतिभागी भी दौड़ से बाहर हो जाते हैं।
लोंगेवाला में अल्ट्रा मैराथन का समापन होगा
हर साल 14 दिसंबर से शुरु होने वाली इस दौड़ का समापन जैसलमेर से 160 किमी दूर लोंगेवाला में होता है। लोंगेवाला ही वह पोस्ट थी, जहां 1971 में देश के 120 जांबाजों ने 5 हजार से ज्यादा पाक रेंजरों का डटकर सामना किया। इसके बाद सुबह की पहली किरण के साथ ही वायुसेना के हंटर विमानों ने लोंगेवाला को पाकिस्तानी रेंजरों की कब्रगाह बना दिया था। वहीं विजेताओं को सम्मानित किया जाएगा।