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वैश्वीकरण के दौर में वंशावली की बात करना अहम : मीठेश निर्मोही


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वैश्वीकरण के दौर में वंशावली की बात करना अहम : मीठेश निर्मोही

वैश्वीकरण के दौर में वंशावली की बात करना अहम : मीठेश निर्मोही

चूरू/झुंझुनूं : बागड़ोदा (सीकर) मूल के असम प्रवासी लेखक, अनुवादक देवीप्रसाद बागड़ोदिया की पुस्तक वंशावली का लोकार्पण पिछले दिनों मंडावा के होटल कास्टले के मोती बाग रंगमंच पर आयोजित एक कार्यक्रम में साहित्य अकादेमी अवार्डी साहित्यकार मीठेश निर्मोही, चूरू एडीपीआर कुमार अजय एवं लेखक मंशाह नायक ने किया। इस मौके पर साहित्यकार मीठेश निर्मोही ने कहा कि आज के वैश्वीकरण और बाजारीकरण के दौरान में वंशावली की बात करना ही अपने आप में अनुपम बात है।

एडीपीआर कुमार अजय ने कहा कि एक साहित्यकार हमेशा वर्तमान के साथ-साथ भूत और भविष्य में भी जीता है। वंशावली इसी प्रकृति का परिचय है कि बागड़ोदिया ने अपने परिजनों, बुजुर्गों से जुड़े संस्मरण और अनुभव इसमें संजोये हैं। साहित्यकार मंशाह नायक ने बागड़ोदिया की सक्रियता और रचनाधर्मिता की सराहना की। इस दौरान बागड़ोदिया ने पुस्तक रचना की पृष्ठभूमि पर चर्चा की। इस दौरान दुर्गा प्रसाद बागड़ोदिया, प्रभुदयाल बागड़ोदिया, श्यामसुंदर मोदी, रवि सिंघल, पवन धीरासरिया, कुसुम चौधरी, रवि बाजोरिया, मीतू गुप्ता, सविता बागड़ोदिया, इंदु बगड़िया, अभिषेक सरोवा, हिमांशु बागड़ोदिया, प्रेरणा आदि मौजूद थे।

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