माकड़ो, तातीजा व देवता की पहाड़ियों में रोक के बाद भी धड़ल्ले से पत्थर खनन
रात को पत्थरों का अवैध खनन, दिन में ट्रॉलियों से सप्लाई वन विभाग से बचने के लिए इन्हें बाइक से करते हैं एस्कॉर्ट

सिंघाना : क्षेत्र के माकड़ो, तातीजा व देवता की पहाड़ियों में रोक के बावजूद धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है। खनन माफिया रात में अवैध रूप से खनन करते हैं और दिन में पत्थरों को वहां से बाहर भेजते हैं। इस दौरान बाइक पर ट्रैक्टर ट्रोलियों को एस्कॉर्ट दिया जाता है, ताकि वन विभाग की पकड़ में आने से बच सके।
स्थानीय लोग इस कारोबार में लगे हुए हैं। पहाड़ी में जब मजदूर पत्थर तोड़ने का काम करते हैं, तब खनन माफिया पूरी नजर बनाए रखते हैं। जब भी वन विभाग की टीम पहाड़ी की तरफ जाती है, वे खदान में काम करने वालों को सूचना दे देते हैं। ऐसे में मशीनों को छुपा देते हैं और मजदूर औजार लेकर पहाड़ी के ऊपर चढ़ जाते हैं। टीम को मौके पर अवैध खनन के सबूत तो मिलते हैं, लेकिन मौके पर कोई नहीं मिलने के कारण खाली हाथ लौटना पड़ता है।

गांवों में मुखबिर… वन विभाग की टीम देख खनन से जुड़े लोगों को कर देते हैं सतर्क
तीनों पहाड़ियों में जेसीबी मशीन व मजदूरों की सहायता से अवैध खनन कर पत्थर तोड़ने का काम किया जाता है। उसके बाद रात को ही ट्रैक्टर ट्रॉली में पत्थर भरकर गांव व ढाणियों में खड़ा कर दिया जाता है। सुबह पत्थरों से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली को ढाणी हुक्मा, देई माई कुठानिया, मोई, ढाणी बाढान व जसरापुर के कच्चे रास्तों से खरीदारों के यहां भिजवा देते हैं। सुबह के समय गांव व ढाणियों के रास्ते पर पत्थरों से भरी ट्रैक्टर ट्रॉली नजर आती है। ट्रैक्टर ट्रॉलियों के आगे आगे इस कारोबार से जुड़े बाइक लेकर चलते हैं। रास्ते में वन विभाग की टीम मिलने पर फोन कर ट्रैक्टर ट्रॉली चालक को सूचित कर देते हैं। तब चालक दूसरे रास्ते से निकल जाता है। यानी इनका तंत्र इतना मजबूत है कि वन विभाग चाहकर भी पकड़ नहीं पाता।
पत्थर परिवहन के लिए सिर्फ गांवों के रास्तों का इस्तेमाल
अरावली की तीनों पहाड़ियों में खनन माफियाओं ने पत्थर निकालने के लिए करीब एक दर्जन खदानें बना रखी हैं। खनन करने के बाद ट्रैक्टर ट्रॉली में पत्थर भरकर गांव व ढाणियों के कच्चे रास्ते से परिवहन करते हैं। महंगे दामों में पत्थर बेचे जाते हैं। टीम आने की सूचना मिलते ही खनन बंद कर पहाड़ी में छुप जाते हैं। जब टीम निरीक्षण कर लौट जाती है तब वापस पत्थर खनन में लग जाते हैं। इस कारण मौके पर पकड़े नहीं जा रहे हैं।
अप्रैल से नवंबर तक 73 ट्रैक्टर चालकों पर कार्रवाई : रेंजर मुकेश कुमार मीणा ने बताया कि क्षेत्र में अप्रैल से अब तक 73 ट्रैक्टरों को अवैध पत्थर खनन परिवहन के मामले में पकड़ा जा चुका है। 13 ट्रैक्टरों के प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। बाकी ट्रैक्टर संचालकों पर जुर्माना लगाकर करीब 30 लाख रुपए वसूले जा चुके हैं। पहाड़ियों में कुछ जगह को छोड़ प्लांटेशन कर पहाड़ी को कवर कर लिया गया है। कुछ जगह खनन हो रहा है।
सिंघाना-चिड़ावा -बुहाना क्षेत्र में रहते हैं सप्लाई
तीन गांव की पहाड़ियों से निकाले गए पत्थरों से भरी ट्रॉलियां गांव के अंदर से गुजरती हैं। यहां से निकाला गया अधिकांश पथर सिंघाना, चिड़ावा, बुहाना व खेतड़ी क्षेत्र में सप्लाई किया जाता है। पहाड़ियों में रात को जेसीबी मशीन चलाकर पत्थर तोड़ने का काम किया जाता है। अल सुबह पहाड़ी में काम करने वाले मजदूर पत्थरों को ट्रैक्टर ट्रॉली में भरते हैं। इसके बाद इन्हें रवाना कर देते हैं। माकड़ो की बड्डा पहाड़ी में तीन, खोरा पहाड़ी में चार, बंधा पहाड़ी में तीन, तातीजा में भैयाजी मंदिर के आस पास चार व देवता की पहाड़ी में तीन-चार खदानें बना रखी हैं। इनमें चोरी-छुपे अवैध खनन किया जा रहा है। वन विभाग कार्रवाई नहीं कर रहा।