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मदरसा मदीना- तुल -उलुम में खत्म -ए -बुखारी शरीफ का आयोजन हुआ। वार्षिक दिक्षात समारोह आज रात्रि को होगा


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मदरसा मदीना- तुल -उलुम में खत्म -ए -बुखारी शरीफ का आयोजन हुआ। वार्षिक दिक्षात समारोह आज रात्रि को होगा

मदरसा मदीना- तुल -उलुम में खत्म -ए -बुखारी शरीफ का आयोजन हुआ। वार्षिक दिक्षात समारोह आज रात्रि को होगा

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान

चूरू : जिला मुख्यालय पर स्थित मदरसा मदीना तुल-उलूम में खत्म-ए-बुखारी शरीफ के आयोजन की सदारत पीर सैयद मोहम्मद अनवार नदीम-उल-कादरी शहर इमाम ने कि व खानका-ए-कादरिया के पीर सैयद अबरार हुसैन कादरी व सैयद गुलाम मुस्तफा, सैयद मंजूर आलम कादरी ने शिरकत की मौलाना सैयद शागिल इमाम हैदराबादी वॉइस प्रिंसिपल जामिया नेईमिया मुरादाबाद उत्तर प्रदेश ने अपनी तकरीर में इमाम बुखारी, की जीवनी पर प्रकाश डाला आपने कहा हजरत इमाम बुखारी का जन्म 810 ईस्वी में बुखारा शहर (वर्तमान उज्बेकिस्तान) में हुआ था, इस्लामी इतिहास के सबसे प्रतिष्ठित विद्वानों में से एक हैं। उनका पूरा नाम अबू अब्दुल्ला मुहम्मद इब्न इस्माइल इब्न इब्राहिम अल-बुखारी था, और इस्लामी विद्वता में उनके योगदान ने मुस्लिम दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी है। इमाम बुखारी को साहिह अल-बुखारी, हदीस (पैगंबर मुहम्मद की बातें और कार्य) का एक विशाल संग्रह संकलित करने के लिए जाना जाता है। इस संकलन को व्यापक रूप से हदीसों का सबसे प्रामाणिक संग्रह माना जाता है, इसकी अद्वितीय सटीकता और विश्वसनीयता के लिए दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा इसका सम्मान किया जाता है।

इमाम बुखारी की विद्वतापूर्ण यात्रा कम उम्र में ही शुरू हो गई थी। छोटी उम्र में अनाथ हो जाने के कारण उनका पालन-पोषण उनकी मां ने किया, जिन्होंने उनमें सीखने का जुनून पैदा किया। जब वह अपनी किशोरावस्था में थे, तब तक इमाम बुखारी ने मुस्लिम दुनिया भर में बड़े पैमाने पर यात्रा की थी – मक्का, मदीना और बगदाद जैसे शहरों का दौरा किया था – अपने समय के सबसे प्रमुख विद्वानों से ज्ञान प्राप्त करने के लिए। उन्होंने हदीसों को सावधानीपूर्वक इकट्ठा किया, उन्हें प्रमाणीकरण की एक कठोर प्रक्रिया के अधीन किया, जिसमें वर्णनकर्ताओं की अखंडता, उनकी स्मृति और संचरण की श्रृंखला (इस्नाद) का आकलन करना शामिल था।उनके काम, साहिह अल-बुखारी में 7,000 से अधिक हदीसें शामिल हैं, सभी को सख्त मानदंडों के आधार पर सावधानीपूर्वक चुना गया है। जो इस संग्रह को इस्लामी धर्मशास्त्र और कानून की आधारशिला बनाता है।

इमाम बुखारी के दृष्टिकोण ने हदीस संग्रह के विज्ञान में क्रांति ला दी और इस क्षेत्र में भविष्य के विद्वानों के लिए नींव रखी।इमाम बुखारी की विरासत उनके स्मारकीय संकलन से भी आगे तक फैली हुई है।सत्य के प्रति उनकी प्रतिबद्धता, उनकी त्रुटिहीन विद्वता और उनकी गहरी धर्मपरायणता ने उन्हें इस्लामी परंपरा में बौद्धिक अखंडता का एक स्थायी प्रतीकट बना दिया है। आज, उनके कार्य दुनिया भर में विद्वानों, छात्रों और मुसलमानों को पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं की समझ में मार्गदर्शन करते हैं। मदरसा मदीना तुल उलूम में जिन छात्रों ने सही बुखारी का अध्ययन कर परीक्षा में उत्तीर्ण किया उन्हें साफा व जुबा पहनाकर उपाधि प्रदान कि गयी ।

इस अवसर पर हाजी फतेह मोहम्मद गोरी,हाजी यूसुफ खा चौहान, मुफ्ती सिकंदर-ए-आज़म, मास्टर ओबैद, मौलाना अनीस रजा, हाफिज अब्बास, मौलाना शहाबुद्दीन, हाजी उस्मान गनी दिलावर खानी, हाजी याकूब गनी ईशा चौहान, पार्षद अजीज खान दिलावर खानी, हाजी अकबर अली, हारून गोरी, डॉक्टर जाकिर, मोहम्मद अली पठान, पुर्व पार्षद सलीम पि ए आदि मौजूद रहे। शहर इमाम सैयद मोहम्मद अनवार नदीम उल कादरी ने दुआए की। आयोजन का संचालन मौलाना जमील अख्तर बीकानेर ने किया।

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