केसीसी टाउनशिप के लीजधारकों के बिजली बिलों में घोटाला, जमा कराने के बाद भी बता रहे बकाया
नगद रुपए लिए लेकिन जमा नहीं किए, कम्प्यूटर प्रोग्राम में छेड़छाड़ की ताकि बकाया का मैसेज नहीं पहुंचे, एक सस्पेंड
खेतड़ी नगर : केसीसी प्रशासन द्वारा करीब 250 लीज धारकों के 18 महीने के बिजली बिल पेटे करीब 50 लाख रुपए बकाया निकाले जाने के मामले में एक कर्मचारी को निलंबित किया गया है। साथ इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
दैनिक भास्कर संवाददाता मामले की पड़ताल की तो सामने आया कि टाउनशिप के अधिकांश लीजधारकों में से किसी के पास कभी भी पिछला बिल जुड़ कर नहीं आया। अब एक साथ 18 माह के बकाया बिल निकाले गए हैं। इसमें केसीसी प्रोजेक्ट के कम्प्यूटर विभाग व फाइनेंस विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों पर शक की सूई टिकी हुई है। क्योंकि इन्होंने नगद रुपए लेकर सिस्टम में जमा नहीं किए। लीजधारक को पता नहीं चले इसलिए कंप्यूटर विभाग के मैसेज सिस्टम से छेड़छाड़ की। ताकि लीजधारक तक बकाया जुड़कर मैसेज नहीं पहुंचे। केसीसी प्रशासन हर माह बिजली बिल जारी करता है। यदि लगातार दो बिल जमा नहीं होते हैं तो संबंधित लीज धारक का कनेक्शन काट दिया जाता है। इसलिए यह तय है कि 18 माह के बिल बाकी हो ही नहीं सकते।
केसीसी उपमहाप्रबंधक एस शिवदर्शी ने बताया कि इस मामले में लीजधारकों ने शिकायत दी थी कि उन्होंने बिल जमा कराने के लिए राशि दे दी थी, फिर भी कर्मचारी आशीष जैन ने बिल जमा नहीं किया। इसलिए शिकायत आने पर फाइनेंस विभाग में कार्यरत कर्मचारी आशिष जैन को निलंबित किया गया है।
केसीसी प्रशासन द्वारा 250 लीज धारकों को अप्रैल 2023 से नवंबर 2024 तक के करीब 50 लाख रुपए बकाया के बिल भेजे हैं। लोगों का कहना है कि उनकी कोई राशि बकाया नहीं है। वे हर महीने नियमित रूप से जमा करवाते आ रहे हैं। यदि हर महीने बिल जमा नहीं कराए होते तो अगले माह के बिल में 2 प्रतिशत प्रतिमाह ब्याज सहित जुड़कर आना चाहिए था। लेकिन पहले के बिलों में कोई राशि जुड़कर नहीं आई।
दो बड़े सवाल
पहला : 18 महीने में पहले कभी भी बकाया जुड़कर बिल नहीं आया, अब एक साथ कैसे?
दूसरा : 250 में से करीब 150 आवासीय क्वार्टरों का बिल बकाया था तो लीज रिन्युवल कैसे कर दी गई?
इस मामले में दो सवाल उठ रहे हैं। पहला यह कि केसीसी के फाइनेंस विभाग ने जब लीजधारकों को नियमित रूप से पिछले महीने का बकाया जोड़कर बिल नहीं भेजे तो फिर अब एक साथ 18 माह के बकाया कैसे निकाल दिए। जबकि हर माह बिजली बिल का मैसेज आता है। ऐसे में 18 माह की बिल राशि बकाया नहीं हो सकती। दूसरा सवाल यह भी है कि प्रत्येक लीज जब हर 11 महीने से रिन्युवल करानी होती है। तब बकाया बिजली व पानी के बिल का रिकार्ड देखा जाता है। अब जिन 250 लीजधारकों को बकाया बिल भेजे गए हैं, उनमें से करीब 150 आवासीय मकानों की लीज रिन्युक्ल की जा चुकी है। ऐसे में शक के दायरे में रिन्युवल करने वाले भी आ रहे हैं। क्योंकि या तो उन्होंने बकाया राशि को देखे बिना ही रिन्युवल कर दिया या फिर किसी तरह का बकाया ही नहीं था।
अक्टुबर के बिल में शून्य बकाया थे, नवंबर माह में 22654 बकाया जोड़ दिए
केसीसी प्रोजेक्ट से सेवानिवृत्त कर्मचारी चौखराज कानोड़ियों ने बताया कि क्वार्टर के सभी बिल संभाल कर रखे हुए हैं। नवंबर माह में उनका बिल 27881 रुपए का आया है जिसमें पिछले 18 माह के एरियर के रूप में 22654 रुपए जुड़े हुए हैं। जबकि अगस्त माह में 1621, सितंबर माह में 1195 व अक्टुबर माह में 1087 रुपए के बिल आए थे, जिन्हें वे जमा करवा चुके हैं। इसी तरह सब्जी मंडी में एक व्यापारी का सितंबर माह में करीब चार हजार रुपए का बिल आया था। अब नवंबर माह में 74 हजार रुपए का बिल आया है। इस बिल में ब्याज जोड़ कर पिछला बकाया 61576 रुपए दिखाए गए।
लीजधारक बोले-कंप्यूटर व फाइनेंस विभाग ने किया है घोटाला, उच्च स्तर पर हो जांच
लीज धारकों का कहना है कि पिछले 18 महीने से वे लगातार बिल जमा करवा रहे हैं। कभी ऑनलाइन जमा कराया तो कभी केसीसी के फाइनेंस कर्मचारी को नगद रुपए देकर जमा कराया। इस दौरान कभी भी पिछला बिल जुड़ कर नहीं आया। अब एक साथ 18 माह के बकाया बिल कैसे निकाले गए हैं। लीज धारकों ने केसीसी प्रोजेक्ट के कम्प्यूटर विभाग व फाइनेंस विभाग के अधिकारियों पर मिलीभगत कर लाखों रुपए का गबन करने का आरोप लगाया है। नवंबर माह में सेंट्रल मार्केट के एक दुकानदार का करीब साढे तीन लाख रुपए, हेयर ड्रेसर दुकानदार का करीब एक लाख 26 हजार रुपए, सब्जी मंडी के एक दुकानदार का करीब 74 हजार, दूसरे दुकानदार का 1.09 लाख व 1.48 लाख व कड्यों के 50 हजार से अधिक राशि के बकाया बिल आए हैं।
इनका कहना हैं
मामले में एक कर्मचारी आशीष जैन को निलंबित कर दिया गया है। उच्चस्तरीय अधिकारियों से जांच करवाई जा रही है। जिस किसी ने भी सिस्टम से छेड़छाड़ की है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। -एस शिवदर्शी, उप महाप्रबंधक
कंपनी ने बिना जांच किए केवल एक कर्मचारी को निलंबित किया है जो कि गलत है। इसमें विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मचारी भी शामिल हो सकते हैं। इसलिए इनका अन्य विभाग में ट्रांसफर करके जांच होनी चाहिए। –हसरत हुसैन, अध्यक्ष फ्रंट ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस
इस मामले में वित्त विभाग व सिस्टम विभाग के कई अधिकारी व कर्मचारी लिप्त हो सकते हैं। इसलिए उच्च अधिकारियों द्वारा निष्पक्ष जांच करवाई जानी चाहिए। बड़ा घोटाला उजागर होने की संभावना है। –बबलू अवाना, पूर्व सरपंच गोठड़ा