जिंदा युवक के पोस्टमॉर्टम मामले में झुंझुनूं पहुंची जांच टीम:बीडीके अस्पताल में 6 घंटे तक की पूछताछ; चिकित्सा मंत्री के निर्देश पर बनी थी कमेटी
जिंदा युवक के पोस्टमॉर्टम मामले में झुंझुनूं पहुंची जांच टीम:बीडीके अस्पताल में 6 घंटे तक की पूछताछ; चिकित्सा मंत्री के निर्देश पर बनी थी कमेटी

झुंझुनूं : झुंझुनूं के राजकीय भगवान दास खेतान (बीडीके) अस्पताल में जिंदा व्यक्ति को मृत बताकर पोस्टमॉर्टम करने के मामले में मंगलवार को उच्च स्तरीय टीम अस्पताल पहुंची। करीब 6 घंटे तक टीम अस्पताल में रही और घटना के दौरान डयूटी पर मौजूद डॉक्टर व कर्मचारियों से पूछताछ की, उनके बयान भी लिए। टीम ने मॉर्च्युरी का भी निरीक्षण किया।

दरअसल, मामले का खुलासा होने पर चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने चिकित्सा विभाग के निदेशक को उच्चस्तरीय समिति बनाकर जांच करने के निर्देश दिए थे। जिसके बाद चार लोगों की हाई लेवल कमेटी गठित की गई थी। टीम में संयुक्त निदेशक डॉ. नरोत्तम शर्मा, कावंटिया अस्पताल जयपुर के मेडिकल जूरिस्ट डॉ. अजय श्रीवास्तव, प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. हिम्मत सिंह और डॉ. धीरज वर्मा थे।

जांच के लिए आई कमेटी ने प्रथम दृष्टया जिंदा युवक को मृत बताने के मामले में लापरवाही मानी है। जांच कमेटी में शामिल संयुक्त निदेशक जयपुर जोन डॉ. नरोत्तम शर्मा ने बताया कि मामले से जुड़े चिकित्सकों के बयान लिए गए हैं। आवश्यक दस्तावेज व सीसीटीवी फुटेज जुटाकर रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। रिपोर्ट गोपनीय है। बुधवार को रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को सौंप दी जाएगी। रिपोर्ट के अनुसार आगे का निर्णय सरकार करेगी।
यह था मामला
मां सेवा संस्थान के बगड़ स्थित आश्रय गृह में रहने वाले मूक बधिर युवक रोहिताश्व उर्फ बीरबल (25) की 21 नवबंर की दोपहर को तबीयत बिगड़ गई थी। उसे बीडीके अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पोस्टमॉर्टम के लिए बॉडी को मॉर्च्युरी में रखवाया था। वहां पहुंची पुलिस की टीम ने पंचनामा बनाया और शव को एम्बुलेंस की मदद से श्मशान घाट ले गए थे। लेकिन रोहिताश की बॉडी को जब चिता पर रखा तो उसकी सांस चलने लगी और शरीर हिलने लगा था। यह देखकर वहां मौजूद सभी लोग डर गए थे। इसके बाद तुरंत एम्बुलेंस बुलाकर उसे अस्पताल लाया गया था।
हालांकि अस्पताल से कुछ घंटों के बाद युवक को गंभीर हालात में जयपुर रेफर कर दिया था। जहां उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में जिला कलेक्टर ने एक्शन लेते हुए तीन डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया था।
युवक ने जनवरी में छोड़ दिया था घर
युवक की पहचान झुंझुनूं पुलिस के लाइन के पास रहने वाले रोहिताश्व उर्फ बीरबल (25) पुत्र मांगीलाल जोधपुरिया की रूप में हुई थी। वह मानसिक रूप से विमंदित था। उसके पिता मांगीलाल का निधन हो चुका है। मां देखभाल करती थी।
जनवरी 2024 में बीरबल घर से निकल गया था। परिजनों ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दी थी। उसका कोई पता नहीं चल पाया था। 28 सितंबर को बगड थाना पुलिस ने उसे आदर्श नगर स्थित विमंदित पुनर्वास केंद्र में छोडा था। तब से वह पुनर्वास केंद्र में ही रह रहा था। मामले सामने आने के बाद उसके भाइयों ने अन्य रिश्तेदारों ने पहचान की थी।