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जरूरी हो तो ही लिखें एंटीबायोटिक दवाएं–सीएमएचओ, चिकित्सक एवं सीएचओ को गैर जरूरी एंटीबायोटिक्स नहीं लिखने की दिलाई शपथ


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जरूरी हो तो ही लिखें एंटीबायोटिक दवाएं–सीएमएचओ, चिकित्सक एवं सीएचओ को गैर जरूरी एंटीबायोटिक्स नहीं लिखने की दिलाई शपथ

जरूरी हो तो ही लिखें एंटीबायोटिक दवाएं–सीएमएचओ, चिकित्सक एवं सीएचओ को गैर जरूरी एंटीबायोटिक्स नहीं लिखने की दिलाई शपथ

झुंझुनूं : गैर जरूरी एंटीबायोटिक्स नहीं लिखने को लेकर सीएमएचओ ऑफिस में गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में जानकारी देकर चिकित्सकों और प्रैक्टिशनर को जागरूक किया गया। सीएमएचओ डॉ भंवर लाल सर्वा ने कार्यक्रम में उपस्थित चिकित्सकों और सामूदायिक स्वास्थ्य अधिकारीयों को मरीजों को वास्तविक जरूरत पर ही एंटीबायोटिक दवाएं लिखने और गैर जरूरी एंटीबायोटिक्स नहीं लिखने की शपथ दिलाई गई। डॉ सर्वा ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाओं के बारे में जानकारी और जागरूकता के अभाव में गैर जरूरी होने पर भी एंटीबायोटिक दवाएं लिखी जाती है या मरीज द्वारा स्वयं ही इनका सेवन कर लिया जाता है जो सेहत के लिए बहुत ही अधिक खतरनाक होता हैं। इसके लिए सरकार ने चिकित्सकों और प्रैक्टिशनर के लिए जागरूकता का कार्यक्रम शुरू किया है जिसके तहत चिकित्सकों और प्रैक्टिशनर को जागरूक किया जा रहा है। सीएमएचओ डॉ भंवर लाल सर्वा ने बताया कि एंटीबायोटिक दवाएं जीवन रक्षक होती है लेकिन सभी बीमारियो का इलाज इनसे नहीं होता है। एंटीबायोटिक दवाएं वायरस जनित रोगो में काम नहीं करती है। एंटीबायोटिक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया जनित रोगो में ही काम करती है। एंटीबायोटिक लेने से वायरल रोग में रोगी को अच्छा महसूस नहीं होता। बेवजह एंटीबायोटिक दवाएं खाने से बैक्टीरिया में प्रतिरोध उत्पन्न होता हैं जिनका ईलाज कठिन से नामुमकिन हो सकता है। अपनी मर्जी से खाई एंटीबायोटिक दवाएं जैसे एजीथ्रो, सिप्लोक्स, अमोक्सीक्लेव, ऑफलॉक्स आदि घातक सिद्ध हो सकती हैं। स्वस्थ रहने के लिए हाथों को साफ़ रखें, खांसते छींकते समय मुंह को कपड़े या टिशू पेपर से ढकें। वैक्सीन अवश्य लेवें।

मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सीएचओ को दिया प्रशिक्षण
चिकित्सा विभाग में कार्यरत सीएचओ को मानसिक स्वास्थ्य को लेकर सीएमएचओ ऑफिस में गुरुवार को प्रशिक्षण दिया गया। सीएमएचओ डॉ भंवर लाल सर्वा ने बताया कि प्रशिक्षण में गंभीर बीमारियों में अवसाद, बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों में बढ़ते अवसाद की पहचान कर उन्हे उचित परामर्श और उपचार देने के बारे में जानकारी दी गई। बीडीके अस्पताल के मनो रोग विशेषज्ञ डॉ कपूर थालोर और डॉ पी एल भालोठिया ने सभी सीएचओ को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि आज के दौर में बदलती जीवन शैली से अवसाद बढ़ गया है। जिसकी पहचान कर उन्हें मनोचिकित्सक से सलाह एवं उपचार उपलब्ध करवाना चाहिए।

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