राजस्थान के टोंक के देवली-उनियारा के समरावता गांव में 13 नवंबर की रात में क्या हुआ था?
ग्रामीणों का जवाब-
पुलिस ने उस रात धरने पर बैठे निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा और उसके समर्थकों को गिरफ्तार करने के लिए गांव के एक-एक घर में घुसकर महिलाओं-पुरुषों और बच्चों से मारपीट की। घरों में और बाहर खड़ी गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की। उन्हें आग के हवाले कर दिया। गांव की लाइट काटकर दहशत फैलाने के लिए फायरिंग की और आंसू गैस के गोले छोड़े।
टोंक एसपी विकास सांगवान का जवाब-
मारपीट के आरोप गलत है। पुलिस वहां लोगों को मारने या गाड़ियां जलाने नहीं गई थी। उल्टा हमारी गाड़ियां जलाई गई। पत्थरबाजी भी हम पर हुई है। सबसे आगे एडीएम साहब की गाड़ी चल रही थी। सबसे पहले उसी में आग लगाई गई थी। इसी समय नरेश हमारी हिरासत से भाग गया था। वहां बाहरी लोग जमा थे।
इन दोनों जवाबों के बीच छिपा सच जानने के लिए हमारी टीम ग्राउंड जीरो पर समरावता गांव पहुंची। इस दौरान उस रात के कुछ वीडियो सामने आए, जो अलग कहानी बयां कर रहे थे।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
पहला वीडियो : पुलिसवाले ने घर में फेंका पत्थर
हमारे रिपोर्टर ने गांव के कई लोगों से बात करने की कोशिश की, लेकिन कोई भी ऑन कैमरा बोलने को तैयार नहीं था। इसी दौरान वहां मौजूद ग्रामीण सीताराम मीणा ने बताया कि उसके घर के बाहर सीसीटीवी भी लगे हैं। इन सीसीटीवी में उस रात की पुलिस की हरकत रिकॉर्ड हो गई। सीताराम मीणा ने हमें वो सीसीटीवी फुटेज भेज दिए।
फुटेज में साफ दिख रहा था कि 13 नवंबर की रात 11 बजे के आस-पास पुलिस टीम गांव में एक गली से गुजर रही है। तभी एक पुलिसकर्मी एक घर के पास पड़े पत्थर को उठाकर सामने वाले घर की तरफ फेंकता है। वहीं इस दौरान दो-तीन दूसरे पुलिसकर्मी वहीं थोड़ा पीछे खड़ी एक कार पर पहले अपने लट्ठ से जोरदार मारते हैं। इसके बाद हेलमेट से भी मारते हैं।
ग्रामीण ने दिखाई वो जगह :
हमारे रिपोर्टर ने इस सीसीटीवी फुटेज की सत्यता जांचने के लिए सीताराम मीणा से उसी जगह पर चलने को कहा। सीताराम हमें अपने घर ले गया।
यहां सीताराम मीणा ने उसके घर के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे भी दिखाए। उस रात पुलिसकर्मी ने जिस जगह से पत्थर उठाया और जहां कार पर लट्ठ, हेलमेट से वार किए वो जगह भी दिखाई।
सीताराम ने सामने के एक घर में पड़े मोटे पत्थर को दिखाते हुए बताया कि यही वो पत्थर है, जिसे उस रात यहां पुलिसकर्मी ने एक बाइक में तोड़फोड़ के लिए फेंका था।
दूसरा वीडियो : पुलिस ने छोड़े आंसू गैस के गोले
एक दूसरे ग्रामीण दिलखुश मीणा ने हमें एक और वीडियो भेजते हुए बताया कि ये उसी रात पुलिस फोर्स की ओर से यहां की गई फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़ने का है।
37 सेकेंड के इस वीडियो में दिख रहा है कि फायरिंग की जा रही है और आंसू गैस के गोले छोड़े जा रहे हैं। वहीं इसी वीडियो में एक तीन मंजिला मकान भी दिख रहा है।
दिलखुश का दावा है कि ये तीन मंजिला मकान जमनालाल मीणा का मकान है और इसी के सामने पुलिस टीम ने आंसू गैस के गोले छोड़े थे।
12 महीने के बच्चे का पैर जला
इसी गांव की रहने वाली एरंता मीणा ने बताया कि जब पुलिस टीम आंसू गैस के गोले छोड़ रही थी तो वह अपने 12 महीने के बच्चे आयुष को लेकर सास के साथ एक कमरे में बैठी थी।
तभी एक आंसू गैस का गोला वहां उसके बेटे के पैर पर आकर गिरा। इसी दौरान सभी को बेहोशी छाने लग गई। जब होश आया तो देखा कि बेटे का पैर जला हुआ है।
हम उसे जैसे-तैसे बचाकर निकले तो बाहर पुलिस ने हमारे ऊपर जमकर लाठियां भांजी। हम हमारा दर्द तो भूल गए हैं, लेकिन बच्चा अभी भी दर्द से कराह रहा है।
तीसरा वीडियो : कई लड़के जमा, हाथों में लाठियां
पड़ताल में हमें ग्रामीणों के दावों से इतर एक तीसरा वीडियो भी मिला। इसमें दिख रहा था कि एक घर के अंदर कई लड़के इकट्ठा हैं। इसके सामने एक मंच से पीला शर्ट पहने और सिर पर सफेद अंगोछा बांधे एक शख्स हाथ जोड़ रहा था और चिल्ला रहा था।
वहीं उसके चारों तरफ कुछ लोग हाथों में लाठी लेकर एक-दूसरे शख्स को घेर रहे थे। मौके पर जोरदार हंगामा भी हो रहा है और कुछ फायरिंग जैसा भी चल रहा था। इसी वीडियो में सामने वाले घर में और सड़क पर खड़े कई लड़के पत्थर फेंकते भी दिख रहे हैं। गालियां भी निकाल रहे हैं।
तभी सामने के मंच से कुछ लड़के और महिलाएं नरेश मीणा को बदहवास हालत में एक घर में ले जाते दिख रहे हैं। हालांकि इस वीडियो की सत्यता को लेकर हमें कोई पुष्टि करने वाला शख्स नहीं मिला।