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महिला एसपी की लोकेशन ट्रेस करने वाले 5 पुलिसकर्मी बहाल:सभी पर मामले को दबाकर रखने का था आरोप; साइबर सेल इंचार्ज अभी भी सस्पेंड


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महिला एसपी की लोकेशन ट्रेस करने वाले 5 पुलिसकर्मी बहाल:सभी पर मामले को दबाकर रखने का था आरोप; साइबर सेल इंचार्ज अभी भी सस्पेंड

महिला एसपी की लोकेशन ट्रेस करने वाले 5 पुलिसकर्मी बहाल:सभी पर मामले को दबाकर रखने का था आरोप; साइबर सेल इंचार्ज अभी भी सस्पेंड

भिवाड़ी : भिवाड़ी की महिला पुलिस अधीक्षक (SP) ज्येष्ठा मैत्रेयी की लोकेशन ट्रेस करने के मामले में सस्पेंड चल रहे 5 को बहाल कर दिया गया है। पहले भी 1 पुलिसकर्मी को बहाल किया जा चुका है। ऐसे में इस मामले में अब तक कुल 6 पुलिस कर्मी बहाल हो चुके हैं।

मामले में मुख्य आरोपी साइबर सेल के प्रभारी सब इंस्पेक्टर श्रवण जोशी को अभी सस्पेंड रखा गया है। जिन पुलिसकर्मियों को बहाल किया गया है, उन सभी पर एसपी की लोकेशन ट्रेस करने के मामले को दबाकर रखने का आरोप है।

मुख्य आरोपी को दिया 16 सीसीए का नोटिस

जयपुर रेंज आईजी अजयपाल लांबा ने बताया- मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट करवाई गई थी। इसके बाद इन पुलिसकर्मियों को 17 सीसीए का नोटिस देकर बहाल कर दिया गया है। जबकि मुख्य आरोपी सब इंस्पेक्टर श्रवण जोशी को अभी सस्पेंड रखा गया है। उसे 16 सीसीए का नोटिस दिया गया है।

बहाल किए गए पुलिसकर्मियों में हेड कॉन्स्टेबल अवनेश कुमार, कॉन्स्टेबल राहुल, सतीश, दीपक और रोहतास शामिल हैं। कॉन्स्टेबल भीम को एसपी ने पहले ही बहाल कर दिया था।

एसपी की लोकेशन दिन-रात की जा रही थी ट्रेस

भिवाड़ी एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी को 2 अक्टूबर को एक इनपुट मिला था कि साइबर सेल में उनके मोबाइल की लोकेशन ट्रेस की जा रही है। इसके बाद उन्होंने जांच की तो सामने आया कि साइबर सेल का इंचार्ज सब इंस्पेक्टर श्रवण जोशी उनके मोबाइल की लोकेशन ट्रेस कर रहा था। इस मामले में साइबर सेल के 6 अन्य पुलिसकर्मियों की भी भूमिका पाई गई थी। इस पर एसपी ने 7 अक्टूबर को साइबर सेल के इंचार्ज एसआई श्रवण जोशी, हेड कॉन्स्टेबल अवनेश कुमार, कॉन्स्टेबल राहुल, सतीश, दीपक, भीम और रोहतास को सस्पेंड कर दिया। इसके बाद मामले की जांच डीएसपी शिवराजसिंह को सौंपी गई थी।

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एसपी ज्येष्ठा मैत्रेयी इन मामलों को इंवेस्टिगेट कर रही थीं। सिर्फ एसपी ही नहीं इन दोनों केस की जांच में शामिल कई पुलिस अफसरों की लोकेशन ट्रेस की जा रही थी। SP ज्येष्ठा मैत्रेयी की एक या दो बार नहीं 16 बार लोकेशन ट्रेस की गई। दिन-रात उनके पर्सनल और ऑफिशियल मोबाइल नंबर को मॉनिटर किया जा रहा था।

जांच में बचने के लिए फोन से सबूत मिटाए

मामला खुलने के बाद साइबर सेल इंचार्ज श्रवण जोशी ने सबूत मिटाने का भी काम किया। जांच की जानकारी मिलते ही श्रवण जोशी ने लोकेशन जानने के लिए साइबर पोर्टल को भेजे वॉट्सऐप मैसेज को डिलीट किया। इसके बाद वॉट्सऐप को वापस इंस्टॉल किया गया। इन्वेस्टिगेशन में पकड़े जाने से बचने के लिए ई-सिम को फिजिकल सिम में बदला।

हालांकि, जोशी ने डीएसपी को बताया कि वह जल्दी घर जाना चाहता था, इसलिए एसपी की लोकेशन ट्रेस कर रहा था। जांच अधिकारी को एक अन्य कॉन्स्टेबल के मोबाइल का स्क्रीनशॉट मिला है। इसमें श्रवण जोशी ने उससे एसपी के मोबाइल नंबर की लोकेशन लेने के लिए कहा था। इसके बाद कॉन्स्टेबल ने लोकेशन निकालकर श्रवण जोशी को वापस वॉट्सऐप मैसेज किया है। इसे सबूत के तौर पर रखा गया है।

कैसे होती है मोबाइल सर्विलांस

पुलिस अक्सर दो तरह की लोकेशन लेती है। पहली ‘ए’ श्रेणी की लोकेशन जो इंटरनेट यूज करने वाले मोबाइल यूजर की निकाली जाती है। ये सबसे सटीक होती है। दूसरी ‘सी’ श्रेणी की लोकेशन जो मोबाइल टावर के जरिए मिलती है। पुलिस की साइबर सेल 24 घंटे में एक नंबर की लोकेशन कितनी भी बार ले सकती है। साइबर सेल का नियंत्रण एसपी करते हैं। सेल को एक ऑफिशियल मोबाइल नंबर जारी किया जाता है। उसी पर सर्विलांस वाले नंबर के बारे में जानकारी के मैसेज भेजे और मंगाए जाते हैं।

ऐसे निकाली जाती है मोबाइल की लोकेशन

हर मोबाइल फोन की लोकेशन संबंधित टेलीकॉम कंपनी के पास रहती है। जो कानूनन गोपनीय और निजी है। पुलिस और सरकारी एजेंसी लोकेशन लेने के लिए उक्त कंपनी से जानकारी लेती है। कंपनी संबंधित यूजर के एक्टिव फोन की लोकेशन मोबाइल टावर से लेती है। इसे ट्रैक करने में मोबाइल नंबर तथा आईएमईआई नंबर इस्तेमाल होता है। यही जानकारी साइबर सेल जुटा लेती है।

डिजिटल साक्ष्य कंपनियों के डेटाबेस में दर्ज रहता है। ये एसपी तक जाती है। मगर यहीं से खेल भी शुरू होता है। अगर एसपी के लेवल पर अनावश्यक डेटा की छंटनी न किए जाए या कोई चूक हो तो टीम की मनमानी और गड़बड़ी चल सकती है। दरअसल, अधिकांश पुलिस जिलों में साइबर सेल के काम की स्क्रीनिंग नहीं होती। इसी कारण लोकेशन ट्रेसिंग सिस्टम का गलत फायदा उठाया जा रहा है।

 

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