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अब यहां नहीं रहना कहकर तीन मंजिल से कूदा स्टूडेंट:दादी ने दीपावली के कपड़े अर्थी पर रखे; पिता बोले- स्कूल वालों ने मार डाला


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अब यहां नहीं रहना कहकर तीन मंजिल से कूदा स्टूडेंट:दादी ने दीपावली के कपड़े अर्थी पर रखे; पिता बोले- स्कूल वालों ने मार डाला

अब यहां नहीं रहना कहकर तीन मंजिल से कूदा स्टूडेंट:दादी ने दीपावली के कपड़े अर्थी पर रखे; पिता बोले- स्कूल वालों ने मार डाला

कोटा : बुधवार को सुबह दादा-दादी स्कूल गए थे। डेढ़ घंटे बाद वापस आ गए। शाम को मैं और बड़ा भाई भावेश (16) कमरे में बैठे थे। उसने कहा- अब यहां नहीं रहना। मैंने उसकी बात पर गौर नहीं किया। इसके बाद वह कमरे से बाहर निकल गया। 5 मिनट तक नहीं आया, मैंने उसे पास के कमरे में ढूंढा और इसके बाद जैसे ही छत की सीढ़ियां चढ़ने लगा घर के पीछे से बहुत तेज आवाज आई। मैं नीचे भागा और दादी को लेकर गया तो देखा- भावेश नीचे गिरा हुआ था। आसपास खून था…

भावेश का छोटा भाई अंशुल (14) ये कहते हुए अपने भाई के मेडल दिखाने लगता है। अंशुल घर का वो सदस्य है जिसने आखिरी बार उसे देखा और बात की थी। मां मीनाक्षी किसी से बात नहीं कर रही। पिता रविंद्र बार-बार भाग कर उस जगह जाते हैं जहां भावेश कूदा था। दादा-दादी कहते हैं- 10 बार बुलाते तो 10 बार जाकर स्कूल में माफी मांग लेते। बच्चे को स्कूल वालों ने मार डाला। दिवाली के लिए लाए पोते कपड़ों को दादी ने अर्थी पर रख दिया।

पहले पढ़िए क्या है मामला कोटा के आरकेपुरम के रहने वाले भावेश ने तलवंडी स्थित DAV स्कूल से सस्पेंड किए जाने के बाद सुसाइड कर लिया था। 12 अगस्त को उसके बैग से स्कूल मैनेजमेंट को सिगरेट का टुकड़ा मिला था। इसके बाद से उसे बस एक बार एग्जाम देने दिया गया, लेकिन स्कूल आने के लिए मना कर रखा था। इसके बाद 2 महीनों में कई बार उसके दादा राधाकिशन और दादी निर्मला देवी स्कूल मैनेजमेंट से बात करने गए थे, लेकिन स्कूल मैनेजमेंट ने भावेश को क्लास में नहीं बैठने दिया। परिजनों का आरोप है कि बुधवार रात 8 बजे डिप्रेशन में आकर भावेश ने घर की तीसरी मंजिल (छत) से कूदकर अपनी जान दे दी।

छोटा भाई बोला- बुधवार को उदास था

भावेश का भाई अंशुल बताता है- हम तीन भाई-बहन हैं। मैं स्वामी विवेकानंद नगर में स्थित एक स्कूल में पढ़ता हूं। भैया भावेश, दादा-दादी बुधवार सुबह 10 बजे करीब स्कूल गए थे। एक-डेढ़ घंटे बाद वापस आ गए थे। इसके बाद दोपहर में भावेश सो गया था। शाम 4 बजे वह ट्यूशन जाता था। ऐसे में, बुधवार शाम को भी वह ट्यूशन के लिए गया था। शाम को 7 बजे वह ट्यूशन से घर आया था। बुधवार को वह चुप-चुप सा और उदास सा था।

रात को पौने 8 बजे वह कमरे में खाना खा रहा था। मैं भी कमरे में ही था और होमवर्क कर रहा था। इस दौरान अचानक से ही भावेश ने कहा- अब यहां नहीं रहना है। हम भाई बहन हंसी मजाक करते रहते हैं और उस समय मैं काम कर रहा था। ऐसे में उसकी बात पर गौर नहीं किया। भावेश ने खाना खाया और उसके बाद वह बर्तन रखने के लिए कमरे से बाहर निकल गया।

अंशुल ने बताया-

5 मिनट बाद भी भाई नहीं आया तो मैं पीछे-पीछे देखने गया। मुझे वह नहीं दिखा। दूसरे कमरे में देखा, नहीं दिखा। इतने में मैं छत पर जाने लगा तो बहुत तेज आवाज आई। मैं, दादी के साथ नीचे गया और घर के पीछे की तरफ देखा तो भावेश गिरा हुआ था। हमने शोर मचाया तो पड़ोसी और घरवाले भी भागकर आ गए। दादा और पड़ोसी, भावेश को लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंच गए थे।

भाई से कहा था- सिगरेट का टुकड़ा मेरा नहीं था

“क्या वह टेंशन में था, उसने कुछ और बताया” इस सवाल पर अंशुल ने जवाब दिया- नहीं और तो कुछ बात नहीं हुई। पहले जब स्कूल से निकालने की बात हुई थी, तब उसने कहा था कि सिगरेट का टुकड़ा मेरा नहीं था, दोस्त ने उसके बैग में रखा था। अंशुल से भावेश की बात करते ही वह बार-बार उसके मेडल दिखाता है और कहता है कि यह सब मेरे भाई ने जीते हैं।

दादी ने नई जींस और शर्ट अर्थी पर रखी गुरुवार दोपहर 2 बजे जब भावेश की अर्थी घर से उठी तो दादी अर्थी के पास बैठ गई। नई जींस और शर्ट अर्थी पर रख दी और रोने लगी। बार-बार भावेश का नाम लेती रही। बोलीं- शनिवार को ही बच्चों के लिए नए कपड़े लाई थी।दीपावली के लिए भावेश के लिए नए कपड़े खरीदे थे। उसने घर पर एक बार भी पहन कर नहीं देखे थे।

दीपावली पर पहनूंगा दादी। क्या पता था कि इन कपड़ों को वह कभी नहीं पहन सकेगा। उसकी अर्थी पर यह कपडे़ रखने पडे़। भावेश ने कभी अपनी मर्जी के कपडे़ तक नहीं पहने। मुझे कहता था कि आपकी पसंद के लेकर आओ। मैं लाकर देती थी, वह पहनता था। मेरे पोते को मुझसे छीन लिया।

दादी और पोते में बहुत ज्यादा लगाव था। दादी ने कहा- मेरा पोता इन स्कूल वालों ने छीन लिया। स्कूल में बच्चों की गलतियां सुधारी जाती है या फिर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। बच्चे ने बताया था कि उसने कुछ नहीं किया। जिस बच्चे ने उसे सिगरेट का टुकड़ा दिया, उससे आमने-सामने करवा दिया। इसके बाद भी उसे स्कूल में नहीं आने दे रहे थे।

दादा ने कहा- ये मेडल क्या हम खरीद कर लाए है‌ं? दादा राधा किशन कहते हैं- हम तो बार-बार दिन में दस बार स्कूल प्रबंधन से माफी मांगने को तैयार थे। हमारे बच्चे ने गलती नहीं की थी, फिर भी उसे सजा मिली। स्कूल वालों ने उसे स्कूल से नहीं निकाला, उसे मौत की सजा दी। अगर बच्चे ने गलती भी कर दी थी तो क्या उसे ऐसे ही स्कूल से निकाल देंगे। उसके खेल पर प्रतिबंध लगा देंगे। उसकी स्पोट्‌र्स एक्टिविटी पर भी रोक लगा दी थी।

रोते बिलखते परिजन बार-बार भावेश के सर्टिफिकेट और मेडल दिखाकर एक ही सवाल कर रहे हैं कि अगर पढ़ाई में कमजोर था या बदमाश था तो यह मेडल क्या बाजार से खरीदे हुए हैं। इसी स्कूल में रहते हुए पढ़ाई करते हुए मेडल जीते हैं।

कराटे में 15 से ज्यादा मेडल जीत चुका पिता रविंद्र कहते हैं- भावेश को खेलना बहुत पसंद था। वह कराटे की प्रैक्टिस करता था। उसने कई लोकल और स्टेट लेवल के कॉम्पिटिशन में भाग भी लिया था और 15 से ज्यादा मेडल जीते थे। कई सर्टिफिकेट हैं, उसके पास। उसका स्कोर कार्ड भी ठीक था। पिछली क्लासेज के स्कोर कार्ड देखें तो उनमें उसका स्कोर अच्छा था।

हम तो चाहते हैं कि स्कूल प्रबंधन घर पर आए और सवालों के जवाब दे कि उसका हत्यारा कौन है?

पिता ने बताया- वे जोधपुर रूरल में सीएचसी में असिस्टेंट रेडियोग्राफर के पद पर कार्यरत हैं। बुधवार रात को करीब साढे़ 8 बजे मेरे पास कॉल आया कि भावेश को अस्पताल में भर्ती करवाया है। मैं तुरंत कोटा के लिए रवाना हो गया। स्कूल के ग्रुप पर मैंने भावेश के साथ हुए घटनाक्रम को लेकर मैसेज भी किया। स्कूल प्रबंधन ने उसे डिलीट कर दिया।

देर रात को स्कूल प्रिसिंपल का कॉल भी आया था। तब हमारे रिश्तेदार ने ही बात की थी और उन्हें घर आने को भी कहा था, लेकिन स्कूल से कोई जिम्मेदार नहीं पहुंचा। रविंद्र ने कहा कि हम तो हमारे बेटे के लिए इंसाफ चाहते हैं। उसके साथ जो हुआ और किसी के साथ न हो।

अर्थी के पास दादी निर्मला रोती हुई।
अर्थी के पास दादी निर्मला रोती हुई।

घटना के बाद देर शाम DAV स्कूल प्रिंसिपल पूनम सिंह की तरफ से एक मैसेज जारी किया गया है-

कल रात एक दुखद घटना हुई, जिसमें कक्षा 10 का छात्र भावेश वर्मा अपने घर पर छत से गिर गया। घटना घर पर ही हुई थी।

पुलिस जांच कर रही है कि छात्र छत से कैसे गिरा। परिवार के साथ हमारी हार्दिक संवेदना है।

डॉ. पूनम सिंह (प्रधानाचार्य)

डीएवी पब्लिक स्कूल, कोटा

मामले को लेकर आरकेपुरम थाने में घरवालों ने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए शिकायत दी है, जिस पर पुलिस जांच कर रही है। गुरुवार शाम को भी आरकेपुरम थाना पुलिस मौके पर पहुंची थी, घटनास्थल का मुआयना किया था। एफएसएल की टीम भी घटनास्थल पर पहुंची थी। परिजनों का आरोप है कि अब स्कूल वाले उस पर दूसरे आरोप लगा रहे हैं। कह रहे हैं, उसने स्कूल में नकल भी की थी।

दादा-दादी बोले- स्कूल के ग्राउंड में मिले थे सिगरेट के टुकड़े

दादा राधाकिशन और दादी निर्मला ने बताया कि- 1 सितंबर को भावेश के बैग में सिगरेट के टुकड़े मिले थे। इसी दिन उसे स्कूल से बाहर कर दिया गया था। भावेश से जानकारी ली तो उसने बताया कि क्लास के ही लड़के ने उसके बैग में यह रख दिए थे जो कि उसे स्कूल के ग्राउंड में मिले थे। भावेश ने यह बात स्कूल में भी बता दी थी, लेकिन उसे स्कूल से बाहर कर दिया था। उसके साथ एक लड़का और भी था, उसे भी बाहर कर दिया था।

2 सितंबर को हम भावेश के साथ स्कूल पहुंचे और प्रिसिंपल के पास गए। भावेश की बात भी रखी और स्कूल प्रबंधन की बात भी सुनी। हमने न होते हुए भी गलती मान ली। हाथ जोड़ लिए, कहा- बच्चे से गलती हुई है तो उसके लिए माफी मांगते है दोबारा नहीं होगा, लेकिन स्कूल से मत निकालो। स्कूल प्रबंधन ने हमे वहां से रवाना कर दिया। हमने कई बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

3 महीने की फीस लेकर एग्जाम में बैठाया

दादी निर्मला ने बताया कि- 19 सितंबर को उसके एग्जाम आ गए थे। हम फिर स्कूल प्रबंधन के पास पहुंचे और परीक्षा में बैठाने का अनुरोध किया। स्कूल प्रबंधन ने 3 महीने की फीस ली और परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी। परीक्षा खत्म होने के बाद छुट्टियां आ गई थी। उसके बाद सोमवार को भी भावेश स्कूल गया था, लेकिन उसे स्कूल में नहीं बैठने दिया गया था।

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