उपचुनाव में जीत के लिए बीजेपी ने बदला फॉर्मूला:हारे हुए प्रत्याशियों-परिवारवाद से भी परहेज नहीं, प्रदेशाध्यक्ष बोले- आज परिस्थितियां अलग
उपचुनाव में जीत के लिए बीजेपी ने बदला फॉर्मूला:हारे हुए प्रत्याशियों-परिवारवाद से भी परहेज नहीं, प्रदेशाध्यक्ष बोले- आज परिस्थितियां अलग
जयपुर : राजस्थान विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी कई बार हार का सामना कर चुके प्रत्याशियों पर भी दांव खेल सकती है। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष ने संकेत दिए हैं कि टिकट बांटने का एक ही फॉर्मूला होगा- जिताऊ उम्मीदवार।
इसके लिए पार्टी परिवारवाद और एक परिवार से एक टिकट के अपने नियम को भी दरकिनार करने को तैयार है। हारे हुए प्रत्याशियों को फिर से मौका देने के सवाल पर बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा- तब परिस्थितियां काफी अलग थीं।
तब कांग्रेस ने भ्रम फैलाया था, यह समाज को तोड़ रहे हैं। यह आरक्षण को खत्म कर देंगे। यह संविधान को समाप्त कर देंगे, लेकिन अब वो भ्रम नहीं है। अब जनता समझ चुकी है। इसलिए न काहू से दोस्ती ना काहू से बैर।
परिवारवाद के सवाल पर मदन राठौड़ ने सीधे जवाब नहीं दिया। लेकिन उन्होंने संकेत दिए कि विशेष परिस्थितियों में टिकट दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वायनाड से प्रियंका गांधी को टिकट दे रही है। सोनिया गांधी राज्यसभा से सांसद हैं। राहुल गांधी संसद में चले गए हैं। वे लोग परिवारवाद के बारे में हमसे नहीं पूछें।
इन चेहरों को फिर से मिल सकता है टिकट
शंकरलाल शर्मा: 2013 में दौसा सीट से विधायक भी रह चुके हैं। लेकिन उसके बाद से लगातार 2018 और 2023 में चुनाव हार गए थे। इस बार पार्टी ने प्रदेश में ब्राह्मण सीएम भी बनाया है। मौजूदा परिस्थितियों में एक बार फिर पार्टी शंकरलाल शर्मा को टिकट दे सकती है।
सुखवंत सिंह: रामगढ़ (अलवर) सीट पर पार्टी दो चुनाव हार चुके सुखवंत सिंह को फिर से मौका दे सकती है। पिछले चुनावों में पार्टी ने सुखवंत सिंह की जगह पूर्व विधायक ज्ञानदेव आहूजा के भतीजे जय आहूजा को प्रत्याशी बनाया था। लेकिन वे तीसरे नंबर पर रहे थे। सुखवंत सिंह आजाद समाज पार्टी से चुनाव लड़कर दूसरे नंबर पर रहे थे। इससे पहले 2018 के चुनावों में पार्टी ने सुखंवत सिंह को टिकट दिया था। लेकिन वे चुनाव हार गए थे।
सुशील कटारा: चौरासी विधानसभा सीट पर पार्टी लगातार दो बार चुनाव हार चुके सुशील कटारा पर फिर से दांव खेल सकती है। सुशील कटारा 2018 और 2023 में चुनाव हार चुके हैं। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में पार्टी उन्हें एक बार फिर से प्रत्याशी बना सकती है।
परिवारवाद से भी परहेज नहीं
अविनाश मीणा: इन सात सीटों में से पार्टी के पास सलूंबर सीट थी। यह सीट बीजेपी विधायक अमृतलाल मीणा के निधन के बाद खाली हुई है। इस सीट पर पार्टी परिवार से ही टिकट देने पर विचार कर रही है। पार्टी दिवंगत विधायक के बेटे अविनाश मीणा को सलूंबर से प्रत्याशी बना सकती है।
जगमोहन मीणा: दौसा सीट से मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई जगहमोहन मीणा भी प्रबल दावेदार बताए जा रहे हैं। अगर उन्हें टिकट मिलता है तो ऐसा करके पार्टी एक परिवार से एक टिकट के अपने नियम को दरकिनार कर सकती है। पहले से ही किरोड़ी और उनके भतीजे राजेन्द्र महुआ से विधायक हैं।
धनंजय सिंह: खींवसर सीट से मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के बेटे धनंजय सिंह भी टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। बताया जाता है कि पार्टी ने उनका नाम भी पैनल में भेजा है। अगर उन्हें टिकट मिलता है तो यह भी परिवारवाद की श्रेणी में आएगा।
लोकसभा चुनावों में एक सीट पर तोड़ा था नियम
एक परिवार से एक टिकट के फॉर्मूले को पार्टी ने लोकसभा चुनाव-2024 में ब्रेक किया था। पार्टी ने विधानसभा चुनाव-2023 में मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार सदस्य विश्वराज सिंह मेवाड़ को नाथद्वारा से टिकट दिया था। वे चुनाव जीतकर विधायक बने। कुछ माह बाद ही हुए लोकसभा चुनावों में पार्टी ने विश्वराज सिंह मेवाड़ की पत्नी महिमा कुमारी मेवाड़ को राजसमंद से टिकट देकर इस फॉर्मूले को ब्रेक किया था। महिमा कुमारी मेवाड़ सांसद बनी हैं।