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कागजों में गोवंश की सेवा को समर्पित जिले की गौशालाएं


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कागजों में गोवंश की सेवा को समर्पित जिले की गौशालाएं

कागजों में गोवंश की सेवा को समर्पित जिले की गौशालाएं

शेखावाटी खासकर झुंझुनूं जिला भामाशाहों कि धरती है । इस जन्मभूमि के भामाशाह देश में ही नहीं बल्कि प्रदेश में भी अपनी मातृभूमि की माटी की खूशबू बिखेर रहे हैं । इन उदारमना भामाशाहो ने अनगिनत सामाजिक सरोकार के कार्य करवाए हैं जिनके लिए पीढीयों तक इन परिवारों का नाम इतिहास के पन्नों पर स्वर्णिम अक्षरों में अंकित रहेगा । अनगिनत भामाशाह परम गौ भक्त हैं और गौ सेवा के हर समय तत्पर रहते हैं । उनके आर्थिक सहयोग व सरकारी अनुदान से अनगिनत गौशालाएं जिले मे संचालित हो रही है । लेकिन दुर्भाग्य कि गौवंश सड़कों पर कूडा करकट व लठ्ठ खाने को मजबूर हैं । इन असहाय गौवंश के कारण बहुत से लोग अपाहिज हो चुके हैं व जान से भी हाथ धोना पड़ा है । इनको बेसहारा करने में कही न कही समाज के प्रबुद्ध जनों का भी योगदान है कि जब इनकी उपयोगिता खत्म हो जाती है तो ट्रक या पीकअप में डालकर रात के अंधेरे में छोड़ जाते हैं । वैसे यदि वृद्ध मां बाप को यदि बेटा सहारा देता है तो वृद्ध आश्रम की जरूरत ही नहीं पड़ती । लेकिन जब बूढ़ा मां बाप किसी वृद्ध आश्रम में शरण लेता है तो संचालक उसके बैंक बैलेंस व जायदाद के बारे में नहीं पूछते । लेकिन जिले में बहुत सी गौशालाएं है जो गौवंश में भेद करती है और उनको केवल देशी व दुधारू गौवंश ही चाहिए । लेकिन जब कोई गौशाला का गौवंश विलायती गौवंश को जन्म दे देता है तो क्या संचालक उसको बाहर निकाल देंगे ? गौवंश केवल गोवंश है और इसमें भेद नहीं करना चाहिए । सूत्रों की मानें तो जयपुर जिला कलेक्टर ने अपने एक आदेश में कहा है कि बेसहारा गौवंश किसी भी तरह का हो उसको यदि गौशाला संचालक लेने से मना कर देते हैं तो उनका सरकारी अनुदान बंद कर दिया जाएगा । असहाय गौवंश को गौशाला तक पहुंचाने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन जैसे पंचायत, नगरपालिका व नगर निगम की होगी ।

जिले में बहुत सी गौशालाओं का संचालन कागजों में बहुत ही सुंदर ढंग से हो रहा है क्योंकि अप्रवासी भामाशाहों का आर्थिक सहयोग उनको इन्हीं कागजों के बल पर मिलता है । लेकिन गौवंश‌ की सेवा को लेकर जो संवेदनशीलता जयपुर जिला कलेक्टर ने दिखाई है ऐसी ही संवेदनशीलता की अपेक्षा जिले का गोवंश झुंझुनूं जिला कलेक्टर से करता है ।

आखिर गौवंश‌ की इस करूण पुकार की कब सुनवाई होगी । वह दिन कब आयेगा जब इन बेसहारा गौवंश‌ को आशियाना नसीब होगा ।

राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक

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