पीड़ित व दुःखी लोगों की सेवा ही गांधी दर्शन है
पीड़ित व दुःखी लोगों की सेवा ही गांधी दर्शन है

जयपुर : “आज इस बात पर कई लोग मतभिन्नता रखते हैं कि हमें आज़ादी गाँधी जी ने दिलाई।महात्मा गांधी ही अकेले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने पूर्ण स्वराज की माँग की और “अंग्रेजों भारत छोड़ो” का नारा दिया वरना उस दौर में ब्रिटिश शासन के अधीन आंशिक आज़ादी की बात ही अधिक चल रही थी लेकिन बापू इस चाल को गहराई से समझते थे और वे पूर्ण स्वायत्तता के मुद्दे पर टिके रहे।” यह कहना था सत्तानवें वर्षीय न्यायमूर्ति पानाचंद जैन का जो आज झालाना स्थित सेंटर ऑफ़ एक्सिलेंस फॉर रेवेन्यू रिसर्च एंड ऐनालिसिस के सभागार में आयोजित गांधी विचार गोष्ठी में अपने विचार रख रहे थे। उन्होंने कहा कि वे अपने जीवन में दो बार गांधी जी से मिले थे। 1947 में बिड़ला मंदिर में प्रार्थना सभा में और एक बार मुंबई जाते समय कोटा रेलवे स्टेशन पर गांधी दर्शन का सौभाग्य मिला है। गांधी जी की यादों से जुड़े कई स्थानों की भी यात्रा की है जिनमें डरबन में वह जगह जहां गांधी की वकालत किया करते थे। वहाँ आज भी गांधी बस स्टैंड है। डरबन के बड़े बाज़ार में गांधी की आदमक़द प्रतिमा लगी है। मैंने फ़ोनिक्स में भी गांधी आश्रम की यात्रा की है।” उन्होंने कहा कि गांधी जी कहा करते थे जो देश अपनी भावी पीढ़ी को अपनी भाषा में नहीं सीखा सकता वो देश कभी स्थिर नहीं रह सकता ।
इस अवसर पर दी लिट्रेचर सोसईटी ऑफ़ इंडिया के जयपुर चेप्टर द्वारा गांधी जी पर दो पुस्तकों का लोकार्पण भी किया गया। इनमें रिज़वान एजाजी द्वारा संपादित “सत्य के प्रयोग अथवा आत्मकथा” तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी कृष्णा कांत पाठक द्वारा रचित “गांधी दर्शन : पथ व सूक्त” शामिल है। इस अवसर पर सुरेश ज्ञान विहार यूनिवर्सिटी के चांसलर सुनील शर्मा ने कहा कि पाठक साहब की यह किताब गांधी के व्यक्तित्व को समझने के लिए एक ज़रूरी पुस्तक बन गई है। यदि इस किताब को गंभीरता से पढ़ेंगे , उनके अंदर एक संत, एक महात्मा अथवा एक गाँधी उदित हो सकता है। वरिष्ठ पत्रकार राजेन्द्र बोड़ा ने कहा कि गांधी एक विचार है और विचार कभी नहीं मरता है। गांधी लोक के आदमी थे इसलिए अच्छा इंसान बनने की सतत कोशिश ही गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि है। गांधी भव्यता में नहीं सादगी में है , खादी की तरह गाँधी को फ़ैशन बनाने से हमें बचना चाहिए। लेखक और व्यंग्यकार फारूक आफ़रीदी ने कहा कि यदि बापू नहीं होते तो आज दुनिया में भारत को जो सम्मान मिल रहा है वो इतना नहीं मिलता। आज देश को एक बार फिर गांधी की ज़रुरत है। वरिष्ठ कवि कृष्ण कल्पित का कहना था कि गांधी का सनातन ही इस देश का सच्चा सनातन है। गांधी गाय की रक्षा की बात करते थे लेकिन किसी की जान लेकर नहीं बल्कि गाय की रक्षा के लिए अपनी जान देकर ।
इस अवसर पर कृष्ण कांत पाठक ने कहा कि युग बदलता है, धर्म बदल जाते हैं , भाषाएँ बदल जाती है लेकिन गांधी का दर्शन समय के साथ अधिक गहरा होता जाता है। गांधी ने लोकप्रियता और प्रसिद्धि के तमाम आयाम छुए हैं। उन्होंने कहा कि आदर्श विराट होता है तो यथार्थ से दूर हो जाता है। आदर्श का अपना धरातल होता है । गांधी दर्शन के पाँच आदर्श सत्य , अहिंसा, सत्याग्रह, सर्वोदय और न्यासिता आज भी प्रासंगिक है। उनका कहना था कि गांधी जैसे लोग सहस्राब्दियों में जन्म लेते हैं।