क्या मंत्रियों के दौरे झुंझुनूं भाजपा को एकजुट कर पायेंगे ?
क्या मंत्रियों के दौरे झुंझुनूं भाजपा को एकजुट कर पायेंगे ?

झुंझुनूं के उपचुनाव शायद भाजपा ने नाक का सवाल बना लिया है तभी रोज मंत्रियों के ताबड़तोड़ दौरे हो रहे हैं । विदित हो झुंझुनूं ओला परिवार का अजेय गढ़ रहा है । कांग्रेस के कद्दावर नेता शीशराम ओला की विरासत को क्या गुटों में बिखरी हुई भाजपा भेद पायेगी। वैसे तो कांग्रेस की तरफ से एमडी चोपेदार टिकट की दावेदारी जता रहे हैं । कांग्रेस के सांसद विजेन्द्र ओला जिन परिस्थितियों में लोकसभा का चुनाव लडा था उससे साफ विदित होता है कि उन्होंने कांग्रेस आलाकमान से समझोते को लेकर ही दिल्ली गये थे । वह समझौता उन्हीं के परिवार को विधानसभा उपचुनाव में टिकट देना है । पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने भी झुंझुनूं उपचुनाव को लेकर दंगल में आ गये है और विधानसभा क्षेत्र का तूफानी दौरा कर रहे हैं । पिछले दिनो उनके बेटे शिवम् गुढ़ा का जन्मदिन झुंझुनूं में मनाया गया व सर्व समाज के हजारो की संख्या में उनके समर्थकों ने उपस्थिति दर्ज करवा कर दर्शा दिया था कि गुढ़ा चुनाव मैदान में कूदेंगे । विदित हो गुढ़ा का चुनाव लड़ने का तरीका अलग ही तरीके का होता है व किसी पार्टी से बंधे रहना उनकी आदत में शुमार नहीं है । इन चुनावों में गुढा को भी कमतर करके नहीं आंका जा सकता है ।
भाजपा कि इन चुनावों को लेकर चर्चा करें तो भाजपा अभी बैठक व मिटिंग करने के भंवर में ही उलझीं हुई है । हर रोज मंत्रियों के ताबड़तोड़ दौरै और फिर मिटिंगो का दौर शुरू हो जाता है । यथार्थ के धरातल पर भाजपा का कहीं भी दिखाई नहीं देती । इसका मूल कारण है कि भाजपा के स्थानीय नेताओ की निजी महत्वाकांक्षा आड़े आ रही है उनको भाजपा की नितियों व सिध्दांतों से कोई सरोकार नहीं है । एक नेता जो पिछले चुनावों में कांग्रेस के मंचो की शोभा बढ़ा रहा था आज समाज की दुहाई देकर टिकट की मांग कर रहा है । इसमें कोई संदेह नहीं कि झुंझुनूं के चुनावों में भाजपा को कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा ही हराती आई है और कमोबेश इस उप चुनाव में भी यही स्थिति होने वाली है । सूत्रों की मानें तो भाजपा आलाकमान ने बागी नामक बीमारी से निपटने के लिए पूर्व मंत्री व नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठोड़ को झुंझुनूं के उपचुनाव में मैदान में उतारने का मानस बनाया है । राजेन्द्र राठोड़ का राजस्थान भाजपा में बड़ा कद है और यदि ऐसा होता है तो बागी उम्मीदवार चुनावों में नहीं उतरेगा ऐसा चुनावी विश्लेषकों का आकलन है । राजेन्द्र राठोड़ को चुनाव में उतारकर राजस्थान की राजनीति की मुख्य धारा में लाने के प्रयास के साथ ही विधानसभा में भी विपक्ष के तेवऱो का जबाब बसूखी से दे सकेगे । भाजपा यदि राठोड़ को झुंझुनूं के उपचुनाव में उतारती है तो भाजपा का एक खेमा खुलकर तो नहीं बल्कि अंदर ही अंदर बाहरी होने का प्रचार कर सकता है जैसा कि सूरजगढ़ चुनाव में दिगम्बर सिंह को लेकर देखने को मिला था । राजेन्द्र राठोड़ के आने से चुनावी रण दिलचस्प होगा इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए ।
राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक