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चूहों के कारण बंद रहेगा जयपुर का रामनिवास बाग:खोखली हो गई जमीन; कीटनाशक से खत्म कर भरे जाएंगे बिल


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चूहों के कारण बंद रहेगा जयपुर का रामनिवास बाग:खोखली हो गई जमीन; कीटनाशक से खत्म कर भरे जाएंगे बिल

चूहों के कारण बंद रहेगा जयपुर का रामनिवास बाग:खोखली हो गई जमीन; कीटनाशक से खत्म कर भरे जाएंगे बिल

जयपुर का रामनिवास बाग और अल्बर्ट हॉल चूहों के कारण दो दिन 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को बंद रहेगा। दरअसल, यहां चूहों की संख्या बढ़ती जा रही है। इनकी वजह से रामनिवास बाग का हर कोना खोखला होता जा रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) विशेष अभियान चलाने वाला है।

पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के निदेशक पंकज धरेन्द्र ने बताया- विभाग को जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से पत्र लिख सूचित किया गया है कि चूहे नियंत्रण के लिए रामनिवास बाग को 30 सितंबर से 1 अक्टूबर तक बंद रखा जाएगा। दो दिन तक रामनिवास बाग पर्यटकों के लिए बंद रहेगा, इसलिए पर्यटक अल्बर्ट हॉल नहीं जा सकेंगे।

रामनिवास बाग आने वाले पर्यटकों को किसी तरह की परेशानी न हो। ऐसे में 30 सितंबर और 1 अक्टूबर को बंद रखने का फैसला किया गया है। ~ निशांत जैन सचिव, जयपुर विकास प्राधिकरण

कीटनाशक की मदद से चूहों को किया जाएगा खत्म

जयपुर विकास प्राधिकरण के सचिव निशांत जैन बोले-

रामनिवास बाग क्षेत्र में बड़ी संख्या में चूहों की मौजूदगी पर्यटकों के साथ आम जनता को परेशान कर रही है। इसलिए कीटनाशक की मदद से चूहों को खत्म कर उनके बिल को भरा जाएगा।

अल्बर्ट हॉल पर होने हैं राइजिंग राजस्थान के कार्यक्रम

जेडीए अधिकारियों के अनुसार, पक्षियों को दाना डालने और ठेलों की वजह से रामनिवास बाग में चूहे हो गए हैं, जो बहुत नुकसान पहुंचा रहे हैं। आने वाले दिनों में राइजिंग राजस्थान के कई कार्यक्रम भी अल्बर्ट हॉल पर होने हैं, इसलिए एक्शन लिया जा रहा है।

अल्बर्ट हॉल पर होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम

वहीं, दूसरी तरफ शनिवार को पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग में उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें दीया कुमारी ने कहा- विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर अल्बर्ट हॉल पर आयोजित भव्य और सफल सांस्कृतिक संध्या की तर्ज पर प्रत्येक पखवाड़े (हर 15 दिन) में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन किए जाने चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को इसकी रूपरेखा तैयार करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा- राजस्थान के कलाकारों को ऐसे कार्यक्रमों के आयोजनों से प्रोत्साहन और रोजगार मिलेगा। उक्त अनुसार नियमित रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रमों का बड़े स्तर पर आयोजन किए जाने से कला एवं संस्कृति का संरक्षण भी होगा। उन्होंने इसके लिए विस्तृत खाका तैयार किए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा- इससे राजस्थान के पारंपरिक कलाकारों और यहां की कला एवं संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा।

27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस पर अल्बर्ट हॉल पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया था।
27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस पर अल्बर्ट हॉल पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया था।

दीया कुमारी ने कहा- राजस्थान के पर्यटन, कला एवं संस्कृति के साथ ही हमें राजस्थान के जायके को भी आगे बढ़ाने का काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे बढ़ावा देने के लिए देश के अन्य शहरों और अन्य देशों के शहरों में भी इस प्रकार के आयोजन किए जाने चाहिए।

राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है अल्बर्ट हॉल

  • अल्बर्ट हॉल राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है। जो कि न्यू गेट के सामने राम निवास बाग के बाहरी हिस्से में बना है।
  • जिसकी डिजाइन सर सैम्युल स्विंटन जैकब ने की थी। यह पब्लिक संग्रहालय के रूप में 1887 में खुला था।
  • इस संग्रहालय का नाम किंग एडवर्ड 7 ने दिया था। जो कि 6 फरवरी 1876 को यहां आए थे।
  • यहां कई पुराने चित्र, दरियां, हाथी दांत, कीमती पत्थर, धातु, मूर्तियां, रंग-बिरंगी कई वस्तुएं देखने को मिलती है।
  • यहां एक इजिप्शियन ममी भी रखी है, जिसे सवाई राम सिंह जयपुर लेकर आए थे।
  • 332 ई. पू. टौलोमाइक युग की महिला ममी का नाम तूतू है।

4 लाख रुपए में बना रामनिवास बाग

 

  • रामनिवास बाग का निर्माण 1868 में जयपुर के महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने कराया।
  • श्रीकृष्ण के भक्त और हवामहल का निर्माण कराने वाले महाराजा प्रताप सिंह सौन्दर्योपासक थे।
  • उन्होंने जयपुर की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए विशाल उद्यान रामनिवास बाग का निर्माण कराया था।
  • रामनिवास बाग जयपुर शहर परकोटा के दक्षिण में बनवाया गया। शाम के समय यहां राज परिवार के सदस्य भ्रमण के लिए आते थे।
  • अल्बर्ट हॉल के स्थान पर एक केंद्रीय बड़ा गुलाब बगीचा था। हर शाम यहां विदेशी मेहमानों के परिवार और राजपरिवार के सदस्य मौजूद रहते थे।
  • कुछ समय के लिए यह गार्डन नागरिकों के लिए भी खोला जाता था। रामनिवास बाग का निर्माण शहर को सूखे से बचाने के लिए किया गया था। उस समय इसके निर्माण पर 4 लाख रुपए खर्च किए गए थे।

देशभर में 240 करोड़ से ज्यादा चूहे

  • दुनियाभर में चूहों की 2500 से ज्यादा प्रजातियां मिलती हैं। जबकि भारत में अब तक 100 नस्लें खोजी गईं हैं।
  • भारत में मिलने वाली 18 चूहों की प्रजातियां ऐसी हैं, जो बिल्डिंग व फसलों को अधिक नुकसान पहुंचाती हैं।
  • साल 2019 तक देश में चूहों की संख्या अनुमानतः 240 करोड़ के करीब थी।
  • हर दिन दुनियाभर में 40 लाख से ज्यादा चूहे पैदा होते हैं।
  • रोडेंट नियंत्रण शोध के अनुसार चूहे का एक जोड़ा पूरे जीवनकाल में करीब 1000 बच्चे पैदा करता है। इनमें 80 फीसदी जिंदा रहते हैं।

बिना पानी के लंबे समय तक जिंदा रहता है चूहा

  • मरुस्थल और समतल इलाके में पाए जाने वाले चूहों का जीवन अलग-अलग होता है।
  • मरुस्थल में पाया जाने वाला जरबिल चूहा एक साल तक बिना पानी के जीवित रह सकता है।
  • चूहे रोजाना अपने शरीर के वजन का लगभग 8 से 15 प्रतिशत खाद्यान्न खा जाते हैं।
  • कृषि को होने वाले नुकसान की रोकथाम के लिए केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर के तहत अखिल भारतीय रोडेंट नियंत्रण अनुसंधान की परियोजना चल रही है।
  • सीवर चूहे सब्जी और पशु भोजन (प्रोटीन और स्टार्च से भरपूर) दोनों खाते हैं, एक चूहा प्रतिदिन 20-25 ग्राम खाता है।

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