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मिसाल: पांच पीढ़ियों से रावण के पुतले तैयार कर रहे मुस्लिम कारीगर, सात्विक भोजन के साथ डेढ़ महीने तक राम मंदिर ही ‘घर’


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मिसाल: पांच पीढ़ियों से रावण के पुतले तैयार कर रहे मुस्लिम कारीगर, सात्विक भोजन के साथ डेढ़ महीने तक राम मंदिर ही ‘घर’

Dussehra festival 2024: मथुरा से आए मुस्लिम कारीगर पांच पीढ़ियों से यहां इस काम को अंजाम दे रहे हैं।

Inspirational Story: जयपुर के आदर्श नगर स्थित दशहरा मैदान में 12 अक्टूबर को आयोजित होने वाले दशहरे मेले के लिए राम मंदिर में शुक्रवार से 105 फीट ऊंचे दशानन और 90 फीट ऊंचे कुंभकरण के पुतले बनाने के कार्य की शुरुआत हुई। मथुरा से आए मुस्लिम कारीगर पांच पीढ़ियों से यहां इस काम को अंजाम दे रहे हैं।

कारीगर मो. राजा खान ने बताया कि 20 से अधिक कारीगरों की टीम प्रतिदिन 16 घंटे से अधिक समय काम कर पुतले तैयार करेगी। परिवार के मुखिया लखो भाई के इंतकाल के बाद बेटे मो. राजा और चांद मोहम्मद परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
तीन अक्टूबर से मंदिर में रामलीला की शुरुआत

हरचरण लेकर और महामंत्री अनिल खुराना ने बताया कि तीन अक्टूबर से मंदिर में रामलीला की शुरुआत होगी। उपाध्यक्ष राजीव मनचंदा ने बताया कि नवविवाहित जोड़ों के साथ ही कई परिवार नवजात शिशु के साथ दशहरे के दिन मंदिर में पूजा के लिए आते हैं। यहां बनने वाले दशानन के पुतलों में कोई पुराना सामान इस्तेमाल नहीं होता। इस बार दशहरे पर रावण का राजशाही स्वर्ण मुकुट खास होगा।

‘हमारे लिए जैसे अल्लाह, वैसे ही राम’

चांद मोहम्मद ने बताया कि पत्नी और बच्चों सहित पूरा परिवार डेढ़ महीने तक राम मंदिर में ही रहता है। स्नान के साथ ही अन्य नियमों की पालना के साथ ही सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। समय मिलने पर रामलीला भी देखते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चे भी रामलीला के सभी पात्रों को जानने लगे हैं। हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्म एक जैसे हैं। जैसे हमारे लिए अल्लाह हैं ऐसे ही हमारे लिए राम है।

68 साल पहले बनाया था 20 फीट ऊंचा रावण, 10 रु. का मिला इनाम

मनचंदा ने बताया कि 68 साल पहले दशहरे मेले की शुरुआत हुई थी। तभी से रामलीला व रावण दहन का आयोजन हो रहा है।

चांद मोहम्मद ने बताया कि पूर्वजों ने वर्ष 1966 में 20 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाया था। इसके लिए बतौर पारिश्रमिक 250 रुपए मिले थे। इनाम के तौर पर 10 रुपर अलग से मिले थे।

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