शहीद की वीरांगना ने आज भी सहेज कर रखे हैं पति के लिखे हुए पत्र
इस मिट्टी से तिलक करो ये धरती है बलिदान की...

खिरोड़ : बसावा निवासी शहीद दशरथ कुमार यादव 23 जून 1993 में आर्मी में भर्ती हुए और सेना की 244 हैवी रेजीमेंट में लांस नायक थे। दराज क्षेत्र में टाइगर हिल के पास भारतीय सेना ने 3 जुलाई 1999 को घुसपैठियों को खदेड़कर कब्जा कर लिया था। इसके बाद 6 जुलाई को जब दशरथ कुमार की टुकड़ी ने ढलान क्षेत्र में आगे बढ़कर जैसे ही दुश्मनों पर हमला बोला तभी दुश्मन की ओर से फेंके गए बम का कुछ हिस्सा दशरथ कुमार यादव की गर्दन में लगा जिससे वे शहीद हो गए।
लक्ष्मी नारायण यादव एवं गुलाबी देवी के लाडले शहीद दशरथ कुमार की प्रेरणा से तीन चचेरे भाइयों के साथ ही बसावा गांव में अब तक करीब 150 से भी अधिक युवा आर्मी में भर्ती हो चुके हैं। शहीद दशरथ कुमार के पिता लक्ष्मीनारायण यादव ने भी सेना में रहकर देश की सेवा की है। वीरांगना दुर्गा देवी को पति के शहीद होने पर गर्व है। शहीद वीरांगना के पास जून 1999 में दशरथ का अंतिम पत्र आया था जिसे आज भी वह सहेज कर अपने पास में ही रखे हुए हैं।