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आनंदपाल एनकाउंटर पर 5 दलीलों ने खड़े किए सवाल:गोली मारने वाले कॉन्स्टेबल ने बदले बयान, दावा- नजदीक से मारा, तभी टैटू की तरह बने घाव


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आनंदपाल एनकाउंटर पर 5 दलीलों ने खड़े किए सवाल:गोली मारने वाले कॉन्स्टेबल ने बदले बयान, दावा- नजदीक से मारा, तभी टैटू की तरह बने घाव

आनंदपाल एनकाउंटर पर 5 दलीलों ने खड़े किए सवाल:गोली मारने वाले कॉन्स्टेबल ने बदले बयान, दावा- नजदीक से मारा, तभी टैटू की तरह बने घाव

जयपुर : गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर करने वाले IPS अधिकारी सहित 7 पुलिसवालों पर अब हत्या का मुकदमा चलेगा। एसीजेम कोर्ट ने CBI की ओर से दी गई क्लीन चिट की क्लोजर रिपोर्ट को खारिज कर इस मामले में संज्ञान लेते हुए हत्या की धारा 302 के तहत मुकदमा चलाने और जांच के आदेश दिए हैं।

हमारे मीडिया कर्मी ने पड़ताल कर जाना कि आखिर क्यों कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को नहीं माना? पुलिस की ओर से पेश की गई चार्जशीट में आनंदपाल एनकाउंटर की कहानी क्या कहती है। बचाव पक्ष के वो कौन सी 5 मुख्य दलीलें हैं, जिनके आधार पर कोर्ट ने डेढ साल तक चली सीबीआई जांच की रिपोर्ट मानने से ही इनकार कर दिया?

पढ़िए, इस स्टोरी में…

सबसे पहले जानिए राजस्थान पुलिस ने जो एनकाउंटर की स्टोरी बताई…
25 जून 2017 को चूरू जिले के रतनगढ़, पुलिस स्टेशन में तत्कालीन ASP करण शर्मा ने FIR दर्ज करवाई थी। उन्होंने रिपोर्ट में कहा था- सोर्स से एसओजी को पता चला था कि राजस्थान का कुख्यात अपराधी व गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह अपने गैंग के सदस्यों के साथ हरियाणा में सिरसा के ग्राम शेरपुरा में सुरेन्द्र महरिया उर्फ प्रधान के मकान पर भेष बदलकर शरण ले रहा है।

सूचना मिलते ही तत्कालीन SOG ASP संजीव भटनागर के नेतृत्व में पुलिस वहां रवाना की गई। सुरेन्द्र महरिया उर्फ प्रधान ने SOG टीम को बताया कि उसके घर में पिछले कुछ समय से बोस, विजेंद्र सहारण, गोदारा और संदीप चौधरी नाम के लोग आकर रुकते हैं। पुलिस ने उनका हुलिया बताया तो सुरेंद्र प्रधान सभी को पहचान भी गया।

इसके बाद एक स्पेशल पुलिस टीम का गठन किया गया। इसमें तत्कालीन कुचामन सीओ विद्या प्रकाश, एसओजी के CI सूर्यवीर सिंह, कॉन्स्टेबल हरिराम, संदीप, सोहन सिंह और नरेश कुमार को शामिल कर 21 जून 2017 को वहां तैनात कर दिया गया। 24 जून की शाम 6.30 बजे आनंदपाल गैंग के विक्की उर्फ रूपेन्द्रपाल और देवेंद्र पाल सिंह उर्फ गट्टू पल्सर बाइक पर सुरेन्द्र महरिया के घर आए। पहले से ही तैनात टीम ने उन्हें दबोच लिया।

सीओ विद्या प्रकाश ने पकड़े गए दोनों आरोपियों से आनंदपाल के बारे में पूछताछ की। इस पर विक्की और गट्टू ने बताया कि आनन्दपाल चूरू के मालासर में श्रवण सिंह राठौड़ के घर पर छिपा हुआ है। ये जानकारी हाथ लगते ही तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारठ को सूचना दी गई। मौके पर भारी पुलिस फोर्स को भेजा गया। सीओ विद्या प्रकाश, सूर्यवीर सिंह विक्की और गट्टू को हरियाणा पुलिस फोर्स के साथ लेकर मालासर के लिए रवाना हुए। चूरू ASP करण शर्मा को QRT टीम के साथ वहां पहुंचने के निर्देश दिए गए।

रात करीब दस बजे सभी पुलिस टीमें और अधिकारी मालासर पहुंच गए। विक्की और गट्टू से श्रवण सिंह के मकान की तस्दीक करवाई और योजनाबद्ध तरीके से घेराबंदी की गई। चूरू ASP केसर सिंह को फोर्स के साथ नजदीकी हाईवे पर भेजा गया ताकि बदमाश भाग नहीं पाए। सुजानगढ़ ASP योगेन्द्र फौजदार को फोर्स के साथ श्रवण सिंह के मकान के सामने हाईवे पर तैनात किया गया।

एनकाउंटर के बाद सबूत जुटाने के लिए चूरू के मालासर स्थित मकान को पूरी तरह से सील कर दिया गया था।
एनकाउंटर के बाद सबूत जुटाने के लिए चूरू के मालासर स्थित मकान को पूरी तरह से सील कर दिया गया था।

चूरू एसपी राहुल बारठ ने आनंदपाल सिंह को सरेंडर करने के लिए तीन बार तेज आवाज लगाई। चेतावनी दी गई कि आनंदपाल तुम चारों तरफ से पुलिस के घेरे में हो। उसी समय श्रवण सिंह के मकान की छत से एक व्यक्ति ने राहुल बारठ व वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को टारगेट करते हुए फायर किए।

इस केस में पुलिस टीम को लीड करने वाले तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारठ के धारा 161 CRPC के बयानों में था कि छत पर मौजूद आनन्दपाल सिंह ने सरेंडर करने की बजाय फायरिंग चालू कर दी। तब SP बारठ ने कॉन्स्टेबल प्रताप को बुलेटप्रूफ जैकेट व हेलमेट पहनाकर बोलेरो कैंपर की ड्राइवर सीट पर बैठाकर धीरे-धीरे श्रवण सिंह के मकान की ओर बढ़ाया।

कैंपर की आड़ में राहुल बारठ, करण शर्मा, सूर्यवीर सिंह और सरदारशहर SHO ओमप्रकाश गोदारा फोर्स के साथ श्रवण सिंह के मकान के नजदीक पहुंचे थे। मौके पर मकान मालिक श्रवण सिंह व उसके परिवार वालों ने जब रोकने की कोशिश की तो ओमप्रकाश गोदारा व पुलिस टीम ने उन्हें कस्टडी में ले लिया।

यह तस्वीर सीबीआई जांच के दौरान सीन रीक्रिएशन की है। इसमें बताया गया कि कैसे बोलेरो कैंपर की आड़ में पुलिस फोर्स मकान के अंदर दाखिल हुई।
यह तस्वीर सीबीआई जांच के दौरान सीन रीक्रिएशन की है। इसमें बताया गया कि कैसे बोलेरो कैंपर की आड़ में पुलिस फोर्स मकान के अंदर दाखिल हुई।

बाकी जाब्ते के साथ राहुल बारठ मकान के अन्दर घुसे और धीरे-धीरे कॉन्स्टेबल धर्मपाल, धर्मवीर एवं चेतन प्रकाश सहित सीढ़ियों की तरफ बढ़ते हुए छत की तरफ पहुंचे। इसी समय CI सूर्यवीर सिंह ने फायरिंग की तरफ टॉर्च से रोशनी डाली। राहुल बारठ ने ऊंची आवाज में आनन्दपाल सिंह को सरेंडर करने को कहा, लेकिन आनन्दपाल सिंह फायरिंग करता रहा।

तब राहुल बारठ ने कॉन्स्टेबल धर्मवीर को नीचे के कमरे में से शीशा लाने को कहा। राहुल बारठ ने सीढ़ियों से आगे बनी छत की दीवार पर शीशे को लगाकर आनन्दपाल की ओर से की जा रही फायरिंग को देखा।

एनकाउंटर की कार्रवाई को लीड करने वाले तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल बारठ ने सीबीआई और सीएफएसएल के अधिकारियों को पूरा घटनाक्रम समझाया।
एनकाउंटर की कार्रवाई को लीड करने वाले तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल बारठ ने सीबीआई और सीएफएसएल के अधिकारियों को पूरा घटनाक्रम समझाया।

राहुल बारठ और पूरी टीम आगे बढ़ी। कॉन्स्टेबल सोहन सिंह सबसे आगे छत की तरफ था। पीछे सूर्यवीर सिंह एवं उसके पास में राहुल बारठ व धर्मवीर सिंह थे। सोहन सिंह ने शीशे में देखकर कहा कि आनंदपाल सिंह उनकी तरफ आ रहा है। तभी आनन्दपाल सिंह ने जान से मारने की नीयत से बर्स्ट फायरिंग की। बचाव में पुलिस फोर्स ने भी फायरिंग की। आनन्दपाल सिंह सीढ़ियों के पास अपने हथियार सहित गिर गया। सामने से फायर आने बंद हो गए। ASP करण शर्मा व SP राहुल बारठ ने नब्ज चेक किया। तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।

सीओ विद्या प्रकाश ने शव की पहचान आनंदपाल सिंह के रूप में की थी।
सीओ विद्या प्रकाश ने शव की पहचान आनंदपाल सिंह के रूप में की थी।

बचाव पक्ष के वकील को डेढ़ साल में मिला नक्शा, तब जाकर पेश किए तथ्य
इस मामले में आनंदपाल सिंह की पत्नी राजकंवर की तरफ से कोर्ट में पैरवी कर रहे वकील त्रिभुवन सिंह ने बताया कि पुलिस और सीबीआई ने उन्हें डेढ़ साल तक घटनास्थल का नक्शा मौका ही नहीं दिया था। इसके बाद उन्होंने कोर्ट के मार्फत ऑर्डर करवाकर नक्शा मौका हासिल किया था। इसके बाद कोर्ट में इन तथ्यों और दलीलों को पेश किया गया….

1. सीओ विद्या प्रकाश की ग्लोक पिस्टल की गोली का खोखा छत पर कैसे पहुंचा?
तत्कालीन सीओ विद्याप्रकाश की ग्लोक पिस्टल से चली गोली का खाली खोखा आनंदपाल एनकाउंटर के दौरान घर की छत पर मिला था। केंद्रीय फोरेंसिंक साइंस लेबोरेटरी द्वारा परीक्षण की गई रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोक पिस्टल से चली गोली का खोखा फायर करने वाले व्यक्ति के पास ही गिरता है। पुलिस अधिकारियों द्वारा दिए गए बयानों के अनुसार, आनंदपाल की मौत होने तक विद्याप्रकाश छत पर और सीढ़ियों पर मौजूद नहीं थे। ऐसे में उनकी ग्लोक पिस्टल का खाली खोखा छत पर कैसे पहुंचा।

आठ सदस्यीय सीबीआई और 10 सदस्यीय सीएफएसएल की टीम मालासर पहुंची थी। तब वापस एनकाउंटर के एक-एक सीन को रिक्रिएट किया गया था।
आठ सदस्यीय सीबीआई और 10 सदस्यीय सीएफएसएल की टीम मालासर पहुंची थी। तब वापस एनकाउंटर के एक-एक सीन को रिक्रिएट किया गया था।

2. पुलिसकर्मियों की फायर के खाली खोखे छत पर मिले
पुलिस द्वारा बताई गई एनकाउंटर स्टोरी में कहीं पर भी आनंदपाल और पुलिस टीम के बीच हो रही फायरिंग के दौरान पुलिस वालों के छत पर पहुंचने का कोई जिक्र नहीं है। छत पर न सिर्फ विद्या प्रकाश बल्कि सूर्यवीर सिंह और कैलाश की राइफल और पिस्टल से चली गोलियों के खोखे मौजूद थे। वहीं आनंदपाल के पास AK-47 राइफल थी। उसके जिंदा रहते हुए फायरिंग करते वक्त किसी का भी छत पर पहुंचना संभव नहीं था। ऐसे में वहां मिले गोलियों के खाली खोखे ये साबित करते हैं कि आनंदपाल की मौत से पहले ही पुलिस वाले ऊपर छत पर पहुंच गए थे।

3. सोहन सिंह के बयानों में विरोधाभास
सीबीआई जांच में सामने आया था कि कॉन्स्टेबल सोहन सिंह सीढ़ियों पर सबसे आगे था। आनंदपाल सिंह द्वारा किए गए बर्स्ट फायर के जवाब में उसने भी आनंदपाल पर बर्स्ट फायर किया था। इस दौरान आनंदपाल मारा गया। यही बयान सोहन सिंह ने 161 CRPC में भी दिए हैं। लेकिन 7 फरवरी 2018 को सोहन सिंह ने अपने बयान बदलते हुए बताया कि आनंदपाल द्वारा किए गए बर्स्ट फायर की गोली दीवार में टकराकर वापस आकर सोहन सिंह के पीठ में लगी थी। ये स्वाभाविक रूप से संभव नहीं है।

पुलिस का कहना है कि उसने बचाव के लिए बर्स्ट फायरिंग की थी। वकीलों ने सवाल उठाया है कि आनंदपाल को एकदम पास से गोलियां मारी गईं। तभी गोलियों की टैटूइंग संभव है।
पुलिस का कहना है कि उसने बचाव के लिए बर्स्ट फायरिंग की थी। वकीलों ने सवाल उठाया है कि आनंदपाल को एकदम पास से गोलियां मारी गईं। तभी गोलियों की टैटूइंग संभव है।

4. टैटू की तरह बने फायरिंग के घाव
आनंदपाल सिंह की मौत के बाद उसका दो बार पोस्टमाॅर्टम किया गया था। पहली बार 25 जून को हुए पोस्टमाॅर्टम की रिपोर्ट में उसके शरीर पर 41 चोटों के निशान थे। कुल 11 गोलियां लगने की बात थी। इसके बाद 30 जून को जब दूसरी बार पोस्टमाॅर्टम किया गया तो आनंदपाल के शरीर से दो गोलियां और बरामद हुई थीं। इस रिपोर्ट में यह पता चला कि आनंदपाल के शरीर में जो गोलियां लगीं, उससे उसकी चोट संख्या 12, 13,14,15, 17, 19, 20 के पास टैटूइंग (टैटू की तरह बिल्कुल पास-पास) हो गई थी। इस तरह के निशान शरीर के नजदीक करीब 6 फीट की दूरी से किए गए फायर से ही होते हैं।

5. रूपेन्द्रपाल ने खुद को बताया चश्मदीद, बताया एनकाउंटर
रूपेन्द्रपाल ने अपने बयानों में बताया कि उसे बोलेरो कैंपर में बैठाकर श्रवण सिंह के घर के बिल्कुल पास ले जाया गया, जहां सीओ विद्याप्रकाश ने उसे कहा कि आगे चलकर जा और अपने भाई आनंदपाल से सरेंडर करवा। दूसरे पुलिस अधिकारी सूर्यवीर सिंह ने भी यही बात कही। इसके बाद वो आगे-आगे था और उसके पीछे विद्याप्रकाश, सूर्यवीर सिंह, कैलाश और उनके पीछे राहुल बारठ, सोहन सिंह, धर्मपाल व धर्मवीर थे। इसके बाद रूपेन्द्रपाल सीढ़ियों पर पहुंचा। विद्याप्रकाश ने आवाज लगाते हुए कहा कि अब आनंदपाल सरेंडर कर दे, तेरा भाई हमारे साथ है।

बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट में जो दलीलें बताईं, उस आधार पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए पुलिसकर्मियों पर मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं।
बचाव पक्ष के वकीलों ने कोर्ट में जो दलीलें बताईं, उस आधार पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए पुलिसकर्मियों पर मुकदमा चलाने के आदेश दिए हैं।

इसके बाद रूपेन्द्रपाल ने भी यही आवाज लगाई और कहा कि विद्याप्रकाश ने वादा किया है कि आपको कुछ नहीं होगा। आप सरेंडर कर दो। इसके बाद विद्या प्रकाश और बाकी पुलिस वाले रूपेन्द्रपाल को लेकर ऊपर छत पर आनंदपाल सिंह के पास पहुंचे, जहां आनंदपाल ने दोनों हाथ ऊपर कर सरेंडर कर दिया था।

उसके सरेंडर करते ही पुलिस वालों ने आनंदपाल को अपशब्द बोलते हुए नीचे गिरा दिया। इसके बाद विद्याप्रकाश, सूर्यवीर सिंह और कैलाश ने बिल्कुल पास से गोलियां चलाकर आनंदपाल को मार दिया।

कोर्ट के संज्ञान आदेश की कॉपी।
कोर्ट के संज्ञान आदेश की कॉपी।

कोर्ट ने कहा
यह सही है आनंदपाल सिंह इनामी बदमाश था, लेकिन उसे पकड़े जाने के बाद उसकी हत्या को सही नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट अस्वीकार की जाती है। तत्कालीन चूरू एसपी राहुल बारठ, तत्कालीन कुचामन सीओ विद्या प्रकाश, तत्कालीन से सूर्यवीर सिंह, तत्कालीन हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र, कॉन्स्टेबल सोहन सिंह, धर्मपाल व धर्मवीर के खिलाफ धारा 147, 148, 302, 326, 325, 324 और 149 के तहत अपराध का संज्ञान लिया जाता है।

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