राजस्थान का ऐसा गांव, जहां हर घर में फौजी:शहीद की प्रतिमा को पूजते हैं लोग; दादा के बाद पोते ने दी शहादत
परिवार के तीसरे शहीद अजय सिंह:पहले छोटे दादा, बाद में मामा ने दी शहादत; चाचा को मिल चुका सेना मेडल

भैसावता कलां : जम्मू कश्मीर के डोडा में आतंकी मुठभेड़ में शहीद हुए झुंझुनूं के भैसावता कलां के लाल अजय सिंह नरूका की शहादत पर हर किसी की आंखें नम हैं। डोडा शहर से करीब 55 किमी दूर हुए आतंकी मुठभेड़ में बुहाना तहसील के भैसावता कलां के सिपाही अजय सिंह नरूका (26) पुत्र कमल सिंह नरूका को बुधवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।
देश के लिए शहादत का यह जज्बा अजय सिंह नरूका परिवार के लिए किसी परम्परा की तरह है। परिवार में इससे पहले भी सैनिकों ने देश पर प्राण न्यौछावर किए हैं।
18 मार्च, 2022 में अजय सिंह नरूका के मामा तेजपाल सिंह राठौड़ (चांदगोठी-चूरू) श्रीनगर में ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए थे। इससे पहले 14 दिसम्बर, 2021 को अजय सिंह के बाबो सा (दादा के छोटे भाई) सुजान सिंह नरूका ओडिशा में नक्सली के हमले दौरान शहीद हो गए थे। उस वक्त शहीदों को क्षेत्र के लोगों ने तिरंगा यात्रा के साथ अन्तिम विदाई दी थी।
भैंसावता कलां के शहीद जवान अजय कुमार सिंह के सम्मान में पचेरी बॉर्डर से उनके घर तक तिरंगा रैली निकाली गई । सेना की गाड़ी में उनके पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर उनके गांव लाया गया । उनकी अंतिम विदाई में हजारों लोग पहुंचे। सभी भारत माता की जय, अजय सिंह अमर रहे के गगनभेदी नारे लगा रहे थे।
अजय सिंह 18 जुलाई को छुट्टी लेकर अपने गांव आने वाले थे
शहीद सिपाही अजय सिंह नरूका (26) दो महीने पहले छुट्टी पर घर आए थे। इसके बाद ड्यूटी पर वापस लौट गए थे। दो दिन बाद 18 जुलाई को छुट्टी लेकर गांव आने वाले थे। इससे पहले ही मुठभेड़ में शहीद हो गए। मंगलवार काे उनकी शहादत का समाचार आया। अजय सिंह की पार्थिव देह बुधवार सुबह सिंघाना से भैसावता कलां पहुंचने की संभावना है।
ड्यूटी पर आखिरी सांस ली थी शहीद तेजपाल सिंह ने
शहीद सुजान सिंह के बेटे रविंद्र सिंह ने बताया-सूबेदार तेजपाल सिंह राठौड़ भारतीय सेना की 53 राजपूत रेजीमेंट में सेवारत थे। दिसम्बर 1997 में देश सेवा के जज्बे के साथ वे सेना में भर्ती हुए थे और मातृभूमि की सेवा करते हुए ही 18 मार्च, 2022 को हृदयाघात की वजह से उनका निधन हो गया। शहीद राठौड़ मृत्यु से पूर्व लगभग 24 वर्ष तक सेना में सेवारत रहे।
नक्सल विरोधी अभियान में शहीद हुए थे सुजान सिंह
रविंद्र ने बताया-14 दिसम्बर, 2021 को लक्ष्मीपुर तन कोरापुट (ओडिशा) के जंगलों में नक्सल विरोध अभियान में झुंझुनूं जिले के भैसावता कलां गांव निवासी बीएसएफ में हेड कांस्टेबल सुजानसिंह नरूका शहीद हो गए थे। शहीद सुजान सिंह नरूका आज डोडा में शहीद हुए अजय सिंह के बाबो सा थे।

सुजान सिंह नरूका चांदगोठी के शहीद सूबेदार तेजपाल सिंह के बहनोई थे। तेजपाल सिंह तब नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हुए अपने जीजा सुजान सिंह नरूका के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गांव आए थे और उसके बाद वापस ड्यूटी पर चले गए थे और तीन महीने बाद ही श्रीनगर के बड़गाम में ड्यूटी के दौरान हृदयाघात से उनका निधन हो गया।
वहीं सुजान सिंह नरूका अपनी आखिरी छुट्टी पर शहीद अजय सिंह की शादी के लिए ही गांव आए थे। नवम्बर 21, 2021 को अजय सिंह की शादी में शामिल होने के बाद सुजान सिंह वापस ड्यूटी पर गए थे। जोधपुर एयरपोर्ट पर उनका बेटा उन्हें छोड़ने गया था। ठीक 9 दिन बाद तिरंगे में लिपटा सुजान सिंह नरूका का पार्थिव देह गांव वापस लौटा था।

चाचा सेना मेडल से हो चुके हैं सम्मानित
भैसावता कलां के नरूका परिवार के कायम सिंह, दिलबाग सिंह और दीपांशु सिंह भी सैन्य सेवा में हैं। कायम सिंह नरूका रिश्ते में शहीद अजय सिंह नरूका के चाचा लगते हैं। कायम सिंह भारतीय सेना की 23 राजपूत रेजिमेंट में सिक्किम में तैनात हैं। उन्हें 2022 में सेना मेडल से नवाजा गया था।
फौजियों के गांव से बनी पहचान
भैसावता कलां निवासी करणी सिंह ने बताया- सेना के रिटायर्ड फौजी ही युवाओं को सेना में जाने के लिए प्रेरित करते हैं। रिटायर्ड सूबेदार गिरवर सिंह ने बताया- गांव के 300 से अधिक युवक सेना में है। जबकि 500 से अधिक रिटायर्ड पूर्व सैनिक है। उनके अनुसार- सेना में जाकर देश सेवा करने का जज्बा यहां के जवानों में कभी भी कम नहीं होगा।
पहली शहादत 2021 में, दूसरी 2024 में हुई
भैसावता कलां गांव में पहली शहादत 14 दिसंबर 2021 को हुई थी। गांव के ही सुजान सिंह ओडिशा के लक्ष्मीपुर कोरापुट इलाके में नक्सली हमले में शहीद हुए थे। सुजान सिंह 155 बीएसएफ बटालियन में हवलदार के पद पर तैनात थे। वे 1994 में बीएसएफ में शामिल हुए थे। दूसरी शहादत 15 जुलाई 2024 को अजय सिंह नरूका की हुई । शहीद सुजान सिंह और अजय सिंह नरूका एक ही परिवार के है। शहीद सुजान सिंह अजय सिंह नरूका के दादा के भाई थे।
घर आने से दो दिन पहले आई शहीद होने की खबर
अजय सिंह नरूका की शादी 21 नवंबर 2021 को शालू कंवर (24) से हुई थी। मां सुलोचना देवी गृहिणी हैं। परिजनों ने बताया- अजय सिंह दो महीने पहले छुट्टी पर घर आए थे। इसके बाद ड्यूटी पर लौट गए थे। दो दिन बाद 18 जुलाई को छुट्टी लेकर गांव आने वाले थे। इससे पहले परिजनों को उनके मुठभेड़ में शहीद होने की सूचना मिली, जिसके बाद घर में कोहराम मच गया।
जिले से 485 सैनिक शहीद हुए, ये देश में सर्वाधिक
प्रथम विश्व युद्ध से लेकर अब तक झुंझुनूं जिले से 485 जवानों ने शहादत दी है। भारत-पाक युद्ध 1971 में 108 और कारगिल युद्ध में 19 जवानों ने शहादत देकर पाक घुसपैठियों को खदेड़ा था। भारत- चीन 1962 युद्ध हो या भारत-पाक 1965 का रण क्षेत्र, झुंझुनूं के जवानों ने अपने अदम्य साहस का परिचय दिया और दुश्मनों के नापाक इरादों को नेस्तनाबूद किया है।
अकेले झुंझुनूं से 55 हजार जवान सेना में
सेवानिवृत्त सूबेदार गिरवर सिंह नरूका के अनुसार- झुंझुनूं जिले को वीरों की भूमि के नाम से जाना जाता है। यहां बचपन से बच्चों को देश सेवा के लिए प्रेरित किया जाता है। हजारों युवा सेना में शामिल होने के लिए सुबह गांव की पगडंडियों पर दौड़ते नजर आते हैं। गांवों में सड़कों के किनारे लगी शहीदों की प्रतिमाएं युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित करती हैं। बता दें कि वर्तमान में जिले के करीब 55 हजार जवान सेना में कार्यरत है। वहीं जिले में 60 हजार से ज्यादा पूर्व सैनिक है।
आतंकियों के साथ लोहा लेते हुए झुंझुनूं के बेटे की शहादत को सलाम करने के लिए सरकार की तरफ से कैबिनेट मंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पुष्पार्पित कर शहीद अजय सिंह की शहादत को नमन किया। कैबिनेट मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने शहीद परिवार व पिता से मुलाकात कर विश्वास दिलाया कि सरकार शहीद परिवार के साथ है और उन्हें हर संभव सहायताएं प्रदान की जायेगी । वहीं जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने भी दोनों शहीदों के परिजनों से मुलाकात कर उन्हें ढाढ़स बंधवाया।
इस दौरान झुंझुनू सांसद बृजेंद्र ओला, नवलगढ़ विधायक विक्रम जाखल, सूरजगढ़ विधायक श्रवण कुमार, जिला प्रमुख हर्षिनी कुल्हारी, जिला कलक्टर चिन्मयी गोपाल, पुलिस अधीक्षक राजश्री राज ने शहीद को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी । दोनो शहीदों का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस और सेना की टुकड़ी ने हवाई फायर कर गार्ड ऑफ ऑनर दिया और सशस्त्र सलामी दी। शहीद के अंतिम संस्कार में सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर विजेंद्र सिंह राठौड़, पूर्व सांसद संतोष अहलावत, पूर्व विधायक शुभकरण चौधरी, झुंझुनू जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल अनिल कुमार पुनिया, चिड़ावा सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल सुरेश कुमार जांगिड़, बड़ी संख्या में सेना के अधिकारी व जवान, जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के अधिकारी सहित हजारों लोग मौजूद रहे।








