रवीन्द्र मंच पर नाटक आधी रात के बाद की प्रस्तुति:इप्टा के स्थापना दिवस पर हुआ मंचन, युवा रंगकर्मी विशाल ने किया निर्देशन
रवीन्द्र मंच पर नाटक आधी रात के बाद की प्रस्तुति:इप्टा के स्थापना दिवस पर हुआ मंचन, युवा रंगकर्मी विशाल ने किया निर्देशन

जयपुर : इंडियन पीपुल्स थिएटर (इप्टा) जयपुर की ओर से इप्टा के 81वें स्थापना दिवस पर रविंद्र मंच के स्टूडियो थिएटर में नाटक आधी रात के बाद का मंचन किया गया। इप्टा जयपुर की ओर से मंचित डॉ शंकर शेष के लिखित नाटक आधी रात के बाद का निर्देशन युवा रंगकर्मी विशाल ने किया। इस प्रस्तुति में एक चोर जज को बाहर की सच्चाई से रूबरू करवाता है, जो अदालत तक नहीं पहुंच पाती है। नाटक में और भी सामाजिक मुद्दे जैसे भू अधिग्रहण, काला बाजारी, गरीबी, न्याय व्यवस्था आदि पर लेखक ने व्यंग्य किया है। नाटक में नैतिक मूल्यों में आ रही गिरावट जैसी अनेक सामाजिक समस्याओं पर सवाल उठाते हुए सफेद पोश पढ़े लिखे, धन पशुओं के साथ साथ न्याय व्यवस्था भी बड़े मार्मिक ढंग से प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है।

नाटक का मुख्य पात्र एक चोर है, जो अपने सवालों से न्याय व्यवस्था पर तीखा कटाक्ष करता है। वह बताता है कि इस न्याय व्यवस्था में जो रसूखदार है, पूंजीपति है, पैसे वाला है, वह बहुत बड़ा गुनाह कर भी बच जाता है, जबकि गरीब इसमें मारा जाता है। नाटक ‘आधी रात के बाद’ के मंचन की शुरुआत में एक चोर एक न्यायाधीश के घर में चोरी करने जाते दिखाया गया है, लेकिन दरअसल वह चोरी करने नहीं बल्कि खुद को पुलिस से पकड़वाने के लिए जज के घर में घुसा है। उसने मुंबई की एक चाल में एक पत्रकार की हत्या होते देखा है। यह हत्या एक अमीर बिल्डर ने करवाई है। इसलिए वह चाहता है कि उसके सीने में दफ्न यह राज पुलिस तक पहुंच जाए।उसे डर है कि यदि वह इस मामले के गुनाहगारों के हाथ लग गया तो उसे मार दिया जाएगा। इसलिए वह जेल जाना चाहता है, ताकि बचा रहे।

वह जज के घर में घुसते ही उनसे कहता है कि वे उसे पुलिस के हवाले कर दें, लेकिन घर के फोन डेड होने से ऐसा नहीं हो पाता है। ऐसे में जज के साथ उसका लंबा संवाद होता है, जिसमें वह न्याय व्यवस्था की कई खामियों को उजागर करता है। इससे जज बहुत प्रभावित होता है। वह जज के सामने हत्या से जुड़े सबूत रखता है, जिसके आधार पर पुलिस कार्रवाई करती है। नाटक के संवाद इतने कसे हैं कि वे दर्शक को बांधे रखते हैं। नाटक का सस्पेंस दर्शकों की जिज्ञासा को शांत नहीं होने देता और वे अंत तक उसके मोहपाश में बंधे रहते हैं।इस नाटक मेंवीजिन कलाकारों ने अभिनय किया उनके नाम इस प्रकार है गौरव गौतम (जज) कमलेश सायर(चोर) हेमराज सिंह(पड़ोसी), कौशल पारीक(प्रोड्यूसर) राहुल यादव (वकील/पत्रकार) साहिल फौजदार (बिल्डर) ने मंच पर अभिनय किया। लाइट डिजाइन वरिष्ठ रंगकर्मी दिनेश प्रधान ने की। मंच परिकल्पना राहुल भाटी ने किया।