धारा की चार सौ बीसी देखें:प्लाज्मा चोरी करते जिसे रंगे हाथ पकड़ा था… 4 धाराएं लगाने के बजाय पुलिस ने सामान्य चोरी की हल्की धारा ही लगाई
धारा की चार सौ बीसी देखें:प्लाज्मा चोरी करते जिसे रंगे हाथ पकड़ा था... 4 धाराएं लगाने के बजाय पुलिस ने सामान्य चोरी की हल्की धारा ही लगाई

जयपुर : जेके लोन अस्पताल से सरकारी सम्पत्ति (ब्लड और प्लाज्मा जैसे सेंसेटिव) की चोरी के बावजूद पुलिस साक्ष्य नहीं जुटा सकी। वहीं कमजोर धारा लगाने से केस की गंभीरता भी कम हो गई। इसके चलते लैब टेक्नीशियन कृष्ण सहाय कटारिया को कोर्ट से जमानत मिल गई। इससे पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
सरकार की ओर से प्लाज्मा चोरी को बेहद गंभीर मानते हुए जहां सरकार ने जेके लोन अस्पताल के ब्लड बैक इंचार्ज को एपीओ कर दिया। जबकि खुद अस्पताल स्टाफ ने प्लाज्मा बैग की चोरी को रंगेहाथ पकड़ा था। यहां तक कि कटारिया ने खुद अस्पताल स्टाफ के सामने चोरी करना स्वीकार किया। अस्पताल स्टाफ से चूक यह हुई कि उन्होंने कटारिया की ओर से चोरी स्वीकार्यता का वीडियो नहीं बनाया। पुलिस की लचर जांच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस ने अस्पताल अधीक्षक सहित अन्य किसी डॉक्टर तक से मामले में पूछताछ नहीं की। यहां तक कि कटारिया को भी छह दिन बाद गिरफ्तार किया जा सका।
पुलिस का कहना- साक्ष्य नहीं मिले… एक्सपर्ट बोले- पुलिस ने यह जानने की कोशिश ही नहीं की कि प्लाज्मा कहां और किसको बेचा?
- प्लाज्मा चोरी हुआ, वीडियो तक नहीं बनाई गई, पुलिस ने गंभीर धाराएं क्यों नहीं जोड़ीं?
- कॉल डिटेल के आधार पर निजी अस्पताल के कर्मियों से पूछताछ क्यों नहीं की गई?
- जेके लोन और एसएमएस अस्पताल के स्टाफ से कड़ी पूछताछ क्यों नहीं की गई? जिन्होंने चाेरी पकड़ी उन्हीं के बयान लिए।
- अधिवक्ता संदीप लुहाड़िया और अधिवक्ता श्रीकृष्ण खंडेलवाल ने बताया कि इस केस में पुलिस ने आरोपी पर नियोक्ता के यहां पर नौकरी करते हुए उसके कब्जे की किसी संपत्ति की चोरी करने की धारा 381 का केस दर्ज किया। धारा 411 को सपठित ही नहीं किया। पुलिस तफ्तीश करती तो यह पता चलता कि आरोपी ने किसके लिए चोरी की और किसे बेचा जाना था। अन्य आरोपियों का खुलासा भी होता और आपराधिक षड्यंत्र की धारा 120बी भी लगती।
- हाईकोर्ट के अधिवक्ता विकास सोमानी ने बताया कि प्लाज्मा की चोरी करना गंभीर अपराध है, जिसमें पुलिस ने लापरवाही से जांच की है। आरोपी ने मामले में न केवल चोरी की, बल्कि अस्पताल प्रशासन के साथ धोखाधड़ी के चलते धारा 420 भी दर्ज होनी चाहिए थी।
आरोपी के वकील बोले- वैचारिक मतभेद के चलते आरोप लगे?:
आरोपी के अधिवक्ता विपुल शर्मा ने कहा कि मामले में एफआईआर 6 मई को दर्ज हुई थी और उसकी गिरफ्तारी 11 मई को हुई है। मामले में पुलिस ने अनुसंधान पूरा कर लिया है और उससे कोई बरामदगी नहीं है। वह अस्पताल में राजकीय कर्मचारी था और उसके आला अधिकारी डॉ. सत्येन्द्र सिंह से अनबन व वैचारिक मतभेद थे। मीडिया के दबाव में एफआईआर दर्ज हुई है। लेकिन पुलिस की ओर से यह भी नहीं बताया जा सका कि वैचारिक मतभेद में चोरी क्यों की गई? पुलिस यह तक नहीं बता सकी कि सरकारी सम्पत्ति की चोरी किस तरह और किसके इशारे पर की गई?
सोनी अस्पताल के ब्लड बैंक में अनियमितताएं, प्लाज्मा चोरी में नाम आया सामने, नोटिस दिया
प्लाज्मा चोरी मामले में सोनी अस्पताल की संदिग्ध भूमिका सामने आने पर यहां के ब्लड बैंक की भी जांच की गई। जांच में ब्लड बैंक में सही जानकारियां दर्ज नहीं किया जाना सामने आया है। मामले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव शुभ्रा सिंह ने बताया कि सोनी अस्पताल को नोटिस दिया गया है। सभी ब्लड बैंकों के निरीक्षण के लिए जोनल टीमों का गठन किया जाएगा।
इन्होंने पकड़ी थी चोरी, यही बयान में बताया
- डॉ. सतेन्द्र: ब्लड बैंक की ऑडिट पेंडिंग थी। प्लाज्मा कम होने की सूचना मिली थी। कटारिया से प्लाज्मा जब्त किया। उसने सभी के सामने चोरी करना स्वीकारा था।
- अजय, रतन और दिनेश; कटारिया की कार से प्लाज्मा को ब्लड बैंक में रखा था। इन्होंने कटारिया से जानकारी ली थी कि प्लाज्मा कब से और क्यों चोरी कर रहा था?