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कोटा में पढ़ाई देखकर बेटी को छत्तीसगढ़ से बुलाया:जिस कोचिंग में एडमिशन दिलाया, उसके बाहर लगाते फलों की दुकान, जेईई मेन्स में हुआ सिलेक्शन


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कोटा में पढ़ाई देखकर बेटी को छत्तीसगढ़ से बुलाया:जिस कोचिंग में एडमिशन दिलाया, उसके बाहर लगाते फलों की दुकान, जेईई मेन्स में हुआ सिलेक्शन

कोटा में पढ़ाई देखकर बेटी को छत्तीसगढ़ से बुलाया:जिस कोचिंग में एडमिशन दिलाया, उसके बाहर लगाते फलों की दुकान, जेईई मेन्स में हुआ सिलेक्शन

कोटा : कोटा में देश के कोने-कोने से डॉक्टर-इंजीनियर बनने का सपना लेकर स्टूडेंट आते है। ऐसी ही एक स्टूडेंट है, छत्तीसगढ़ की रहने वाली करीना चौहान। करीना का जीवन संघर्षों से भरा है। उसके पिता एक कोचिंग के बाहर फलों की दुकान लगाते है। कोटा में पढ़ाई को देखकर अपनी बेटी को भी यहां बुलाया और कोचिंग में एडमिशन दिलवाया।

आज जिस कोचिंग के बाहर वे फलों की दुकान लगाते है, उसी में उनकी बेटी पढ़ती है। कोचिंग संचालक ने भी सपोर्ट किया और करीना की फीस में रियायत दी। करीना ने हाल में जारी जेईई मेन्स 2024 के परिणाम में एससी कैटेगिरी में 43367 रैंक हासिल की है।

पिता अपनी थड़ी यानी दुकान पर काम करते हुए और सामने बेटी का कोचिंग संस्थान
पिता अपनी थड़ी यानी दुकान पर काम करते हुए और सामने बेटी का कोचिंग संस्थान

बेटी की पढ़ाई के लिए मजदूरी भी की

करीना के पिता की सुनने की क्षमता केवल 10 प्रतिशत है। वे चौथी और उनकी पत्नी 12वीं पास है। इसके बाद भी बेटी की पढ़ाई की ललक को समझा है। करीना रिलॉयबल इंस्टीट्यूट की रेगुलर क्लास रूम स्टूडेंट है। उसकी पढ़ाई के लिए पिता ने एक मल्टीस्टोरी के निर्माण में मजदूरी भी की है।

करीना के चाचा करण कुमार ने बताया कि हम लोग पहले दिल्ली में मजदूरी करते थे। मैं फोरमेन था और बड़े भाई साहब मिस्त्री थे। साल 2015 में कोटा में रोड़ नंबर एक पर सुवालका रेजिडेंसी का काम शुरू हुआ तो कंपनी ने कोटा भेज दिया। यहां हम दोनों भाई रहने लग गए। जो पैसा मिलता, उसमें से बचाकर छत्तीसगढ़ में परिवार को भेजते थे। ताकि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई चलती रहे।

पिता भरत के साथ बेटी करीना, भरत चौथी तक पढ़े हुए हैं लेकिन आर्थिक अभाव के बाद भी बेटी को कोटा पढ़ाने के लिए बुलाया
पिता भरत के साथ बेटी करीना, भरत चौथी तक पढ़े हुए हैं लेकिन आर्थिक अभाव के बाद भी बेटी को कोटा पढ़ाने के लिए बुलाया

भूखे रहकर भी दिन गुजारे

चाचा ने बताया कि कोटा में बिल्डिंग का काम तीन-चार साल काम चला, इसके बाद लॉकडाउन ने सब कुछ खत्म कर दिया। काम ठप हो गया। दूसरी जगह भी काम नहीं मिल रहा था। एक वक्त ऐसा आया कि थोड़ी बहुत जमा पूंजी भी रोजमर्रा के खर्चों में खत्म हो गई।

हमें भूखे रहकर दिन निकालने पड़ गए। कभी कोई समाजसेवी खाना दे जाते थे तो पेट भर लेते थे और उसमें भी बचा लेते थे ताकि अगले दिन थोड़ा बहुत पेट भर जाए। परिवार सक्षम नहीं था। बीपीएल कैटेगिरी से आते हैं। छत्तीसगढ़ में भी कच्चा घर बना हुआ था। बच्चे सभी छत्तीगढ़ दादी के पास थे।

2015 में भरत और उनके भाई करण कोटा में मजदूरी करने आए थे। उसके बाद यहां फलों की कच्ची दुकान शुरू की
2015 में भरत और उनके भाई करण कोटा में मजदूरी करने आए थे। उसके बाद यहां फलों की कच्ची दुकान शुरू की

जूस की दुकान खोली

लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी काफी समय तक काम नहीं मिला तो हमने कुछ और काम करने की सोची। देखा कि हम जिस एरिया में रहते हैं, वहां स्टूडेंट्स बहुत हैं। इसे देखते हुए जूस की थड़ी लगा ली। शुरुआत में कोरोना की वजह से स्टूडेंट्स कम आते थे लेकिन, फिर धीरे-धीरे दुकान चलने लग गई।

फिलहाल रोजाना के 600-700 रूपए कमा लेते हैं। जिस बिल्डिंग को बनाया था, उनके मालिकों ने स्थिति देखकर उसी बिल्डिंग में एक फ्लैट कम किराए पर दिलवा दिया। जहां दो कमरों में हम दोनों भाईयों का परिवार रहता है। यहां भी सुविधा के नाम पर कुछ नही है। जमीन पर सोते हैं।

चाचा ने बताया कि कोटा में देशभर से बच्चा पढ़ने आता है। हमने भी हमारी बच्ची को पढ़ने के लिए बुलाया और कोचिंग ने मदद की तो वह पढ़ सकी
चाचा ने बताया कि कोटा में देशभर से बच्चा पढ़ने आता है। हमने भी हमारी बच्ची को पढ़ने के लिए बुलाया और कोचिंग ने मदद की तो वह पढ़ सकी

बच्चों को पढ़ता देख बेटी को बुलाया

भरत और करण ने बताया कि कोटा में पूरे देश के स्टूडेंट्स आकर अपने सपनों को साकार कर रहे हैं। हमारी बच्ची करीना पढ़ाई में अच्छी थी तो सोचा कि उसको कोचिंग दिलवा देते हैं ताकि उसका करियर बन जाए। परिवार में चर्चा की और साल 2023 में करीना को कोटा बुलाया। मेरी थड़ी के सामने ही रिलॉयबल इंस्टीट्यूट संचालित हैं।

वहां के मेंटोर शिवशक्ति सर ने हमारी स्थिति देखकर दोनों साल फीस में रियायत दी। बेटी ने मेहनत की और उसने जेईई मेन्स क्रेक कर लिया। फिलहाल एडवांस्ड की तैयारी में जुटी हुई है। हम तो जैसे-तैसे गुजारा कर रहे हैं लेकिन अब यह सुकुन है कि हमारे परिवार में से भी एक इंजीनियर होगा। करीना का भाई कॉमर्स की पढ़ाई कर रहा है और बहन बीए कर रही है।

अपने भाई बहनों के साथ करीना
अपने भाई बहनों के साथ करीना

सीएस ब्रांच लेना चाहती है करीना

स्टूडेंट करीना ने बताया कि मैंने कभी सपने में नहीं सोचा था कि कोटा जाकर जेईई की तैयारी कर सकूंगी। क्योंकि परिवार की स्थिति नहीं थी। घर का गुजारा ही जैसे तैसे चल रहा है। लेकिन मेरे पापा और चाचा ने दूसरे बच्चों को देख मुझे भी अच्छी शिक्षा देने की ठानी और कोटा बुलाया। पहले तो लगा था कि फीस और रहने का कैसे कर सकेंगे। लेकिन कोचिंग संस्थान ने फीस में मदद की और यही कारण है कि यहां दो साल लगातार पढ़ सकी। अब मैं कंप्यूटर सांइंस ब्रांच हासिल करना चाहती हूं। अभी एडवांस की तैयारी कर रही हूं।

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