चिड़ावा के मिस्त्री का कमाल: जुगाड़ से बनाई निराई-गुड़ाई मशीन
Innovation: किसानों को फसलों में खरपतवार उखाड़ने में होने वाली समस्या को ध्यान में रखते हुए मिस्त्री ने कबाड़ से जुगाड़ कर निराई-गुड़ाई मशीन बनाने में कामयाबी हासिल की है। इससे एक बीघा की निराई-गुड़ाई करने में महज 25-30 रुपए का खर्च आता है। चिड़ावा में बाइपास रोड पर कृषि उपकरण कारखाना चलाने वाले मिस्त्री […]

चिड़ावा : किसानों को फसलों में खरपतवार उखाड़ने में होने वाली समस्या को ध्यान में रखते हुए मिस्त्री ने कबाड़ से जुगाड़ कर निराई-गुड़ाई मशीन बनाने में कामयाबी हासिल की है। इससे एक बीघा की निराई-गुड़ाई करने में महज 25-30 रुपए का खर्च आता है। चिड़ावा में बाइपास रोड पर कृषि उपकरण कारखाना चलाने वाले मिस्त्री पालाराम सिरसावाले को किसान दोस्त मुरोत का बास निवासी सुरेश कुमार ने फसलों में निराई-गुड़ाई में होने वाली परेशानी बताई थी। किसान ने मिस्त्री को ऐसी मशीन इजाद करने के लिए कहा जिससे कि फसलों में निराई-गुड़ाई करने में सहूलियत हो। इसके बाद मिस्त्री ने 10-15 दिन की मेहनत के बाद मशीन बनाने में कामयाबी हासिल की। इसे किसान अपने खेत में फसलों की निराई-गुड़ाई करने के काम में ले रहा है।
लोहे के टायर से मिलता फायदा
मिस्त्री ने मशीन में लोहे के टायर बनाकर लगाए। जिसमें जगह-जगह ब्लैड लगे हुए हैं। जिस कारण टायर मिट्टी में नहीं धंसते। मशीन को एक व्यक्ति आसानी से चला सकता है। जिसके हत्थे पर ही रेस और कंट्रोल पैनल लगाया गया है। जिससे मशीन को आसानी से कंट्रोल किया जा सकता है। किसान सुरेश ने बताया कि निराई-गुड़ाई करने में मशीन पूरी तरह से कामयाब है। उन्होंने बताया कि गहराई में निराई-गुड़ाई करने के लिए हल बदलने पड़ते हैं।
खेत में ले रहे काम
मिस्त्री पालाराम की इजाद की मशीन को मरोत का बास निवासी किसान सुरेश अपने खेत में काम में ले रहा है। किसान सुरेश ने बताया कि इस मशीन से एक बीघा जमीन की निराई-गुड़ाई करने में महज 25-30 रुपए का खर्च आता है। जिससे सरसों, चना, कपास, बाजरा, मूंग, ग्वार समेत अन्य फसलों से खरपतवार उखाड़ी जा सकती है। मिस्त्री पालाराम के पिता महेंद्रसिंह ने वर्षों पहले कचरे से गैस बनाकर कुएं की मोटर चलाने और बैटरी से चलने वाली कार बनाने में कामयाबी हासिल कर चुके थे।
कबाड़ से यूं बनाई मशीन
मिस्त्री ने कबाड़ से बेकार सामान को काम में लेकर निराई-गुड़ाई करने की मशीन बनाई। मिस्त्री पालाराम के अनुसार मशीन पर टैक्सी का पुराना इंजन लगाया गया है। जो कि साटफैनवेल्ट के माध्यम से नीचे लगे लोहे के टायरों से जुड़ा हुआ है। इंजन के साथ ही टायर भी चलने लगते हैं। जुगाड़ के पीछे पांच हल लगे हुए हैं। जो कि फसल के बाहर उगी खरपतवार को उखाड़ते हुए चलते हैं। हल से मिट्टी की खुदाई भी हो जाती है। जिससे फसल को बढ़वार मिलती है।