[pj-news-ticker post_cat="breaking-news"]

“कार्रवाई के लिए तैयार रहें…” : भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव से सुप्रीम कोर्ट, 10 अप्रैल को केस की अगली सुनवाई


निष्पक्ष निर्भीक निरंतर
  • Download App from
  • google-playstore
  • apple-playstore
  • jm-qr-code
X
टॉप न्यूज़नई दिल्लीब्रेकिंग न्यूज़राज्य

“कार्रवाई के लिए तैयार रहें…” : भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव से सुप्रीम कोर्ट, 10 अप्रैल को केस की अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आईएमए) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रामदेव पर कोविड रोधी टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाया गया.

नई दिल्‍ली : पतंजलि विज्ञापन मामले में आज योग गुरु रामदेव (Baba Ramdev), पतंजलि आयुर्वेद (Patanjali Ayurved) के प्रबंध निदेशक (एमडी) आचार्य बालकृष्ण सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्‍ण के प्रति नाराजगी जताई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत के आदेशों को हल्के में नहीं लिया जा सकता. आपके खेद जताने के तरीके को हम मंजूर नहीं कर सकते. 21 नवंबर के कोर्ट के आदेश के बाद भी अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस की गई. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और पतंजलि विज्ञापन छापे जा रहे थे. इस पर रामदेव के वकील ने कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा. पहले जो गलती हो गई, उसके लिए माफी मांगते हैं. सुप्रीम कोर्ट अब अगले हफ्ते इस मामले की सुनवाई करेगा और रामदेव और बालकृष्‍ण को फिर से कोर्ट में पेश होना होगा. कोर्ट ने रामदेव को हलफनामा दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “कोविड का समय सबसे ज्यादा कठिन था. इस समय इलाज का दावा किया गया. उसको लेकर सरकार ने क्या किया है?” सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा की केवल चेतावनी काफी नहीं थी. कानून के हिसाब केंद्र में कार्रवाई नहीं की. हम हैरान हैं कि केंद्र ने अपनी आंखें मूंदे रखी. आपको ये भी बताना होगा कि राज्यों के खिलाफ कार्रवाई क्यों ना हो?

सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को हलफनामा दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है. केंद्र और उतराखंड से भी हलफनामा मांगा कि क्या कार्रवाई की गई…? सभी से एक हफ्ते में जवाब मांगा गया है. मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी. अगली सुनवाई में भी रामदेव और बालकृष्ण दोनों को कोर्ट में पेश होना होगा.

एसजी तुषार मेहता ने कोर्ट से कुछ समय मांगा जवाब देने के लिए, जिसपर कोर्ट ने कहा हम समय देंगे. साथ ही कहा कि बाबा रामदेव और बालकृष्‍ण मिथ्या शपथ पर कार्रवाई के लिए तैयार रहें. सुप्रीम कोर्ट ने हलफनामे में गलती बताते हुए कहा कि ये परजूरी केस है. रामदेव के वकील को कहा कि आपने हलफनामे में सही तथ्य नहीं रखे. अवमानना के अलावा कोर्ट में झूठा हलफनामा देने का केस भी चलाएंगे.

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि पहले जो हुआ, उसके लिए आप क्या कहेंगे? उन्‍होंने कहा, “आपको कोर्ट को दिए गए अंडरटेकिंग का पालन करना होगा. आपने हर बाधा तोड़ दी है.अब यह कहना है कि आपको खेद है…!” इस पर वकील ने कहा, “यह उनके लिए एक सबक होगा.” जस्टिस कोहली ने कहा, “हम यहां सबक सिखाने के लिए नहीं हैं. वे कहते हैं कि उन्होंने शोध किया है, उन्हें एक बड़ा स्पष्टीकरण देना चाहिए और न केवल जनता को, बल्कि अदालत को भी.” केन्द्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जो कुछ हुआ वो नहीं होना चाहिए.”

रामदेव और बालकृष्ण के वकील ने कहा कि दोनों आगे आकर व्यक्तिगत रूप से माफी मांगने को तैयार हैं. इसके बाद रामदेव और बालकृ्ष्ण अदालत में आगे आए. रामदेव ने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट से हाथ जोड़ कर माफी मांग रहे हैं.” सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव से कहा, “आप चाहे जितने ऊंचे हों, कानून आपसे ऊपर है. कानून की महिमा सबसे ऊपर है.”

सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा, “21 नवंबर के कोर्ट के आदेश जारी करने के बाद अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस की गई. इसमें बालकृष्ण और रामदेवमौजूद थे. आपकी माफी पर्याप्त नहीं है, क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और पतंजलि विज्ञापन छाप रहा था. आपका मीडिया विभाग आपसे अलग नहीं है. आपने ऐसा क्यों किया..? आपको नवंबर में चेताया गया था, इसके बावजूद आपने प्रेस कॉफ्रेंस की… इसलिए आप कार्रवाई के लिए तैयार रहिए. ये देश की सबसे बड़ी अदालत है. आपने एक्ट का उलंघन कैसे किया…? आपने कोर्ट को अंडरटेकिंग देने के बाद भी उलंघन किया. आप परिणाम के लिए तैयार हो जाएं.”

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, “क्या आपने एक्ट में बदलाव को लेकर मिनिस्ट्री से संपर्क किया…? इस अदालत को एक वचन दिया गया था, जो कंपनी के प्रत्येक व्यक्ति पर लागू होता है… शीर्ष से लेकर कतार में अंतिम व्यक्ति तक. वचन का अक्षरशः पालन किया जाना चाहिए था. मीडिया विभाग और विज्ञापन विभाग इसका पालन कैसे नहीं करते ? इसलिए हम कहते हैं कि आपका हलफनामा दिखावटी है. हम आपके माफीनामे से खुश नहीं हैं”

इस पर बाबा रामदेव के वकील ने कहा, “लैप्‍स हुआ है. हम सहमत हैं कि एक चूक हुई है…. उदाहरण के लिए, अधिनियम में टीबी है. हम जानते हैं कि इसका इलाज संभव है… रिस्‍पॉन्‍डेंट ने स्‍वयं परीक्षण किया है.”

फिर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “आप माफी मांगते हैं और अपने कृत्य को उचित भी ठहराते हैं..! आप 1954 के अधिनियम को “पुरातन” कहते हैं. आप कहते हैं कि अब आपके पास आयुर्वेद में किए गए नैदानिक ​​अनुसंधान के साथ साक्ष्य-आधारित वैज्ञानिक डेटा है, जो 1954 अधिनियम की अनुसूची में उल्लिखित रोगों के संदर्भ में वैज्ञानिक अनुसंधान के माध्यम से हुई प्रगति को प्रदर्शित करेगा. क्या आपने अधिनियम में संशोधन के लिए कहा है. क्या आपने सरकार से संपर्क किया है?”

रामदेव के वकील ने कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा. पहले जो गलती हो गई, उसके लिए माफी मांगते हैं. हम आज एक नया हलफनामा दाखिल करेंगे. रामदेव कोर्ट में हैं और वो खुद माफी मांगना चाहते हैं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “हम अवमानना की कार्यवाही करेंगे. माफी स्वीकार नहीं, आपने क्या किया है, उसका आपको अंदाजा नहीं है. अगर आपको माफी मांगनी होती, तो आप शुरू में ही कहते कि हमें माफ कर दें…”

पतंजलि ने कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी

इससे पहले पतंजलि आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण ने कई गंभीर बीमारियों के इलाज में औषधीय प्रभावकारिता का दावा करने वाली कंपनी के हर्बल उत्पादों का विज्ञापन करने और चिकित्सा की अन्य प्रणालियों को कमजोर करने के लिए उच्चतम न्यायालय में बिना शर्त माफी मांगी है. बालकृष्ण की तरफ से 19 मार्च को दाखिल हलफनामे में कहा गया, “प्रतिवादी संख्या 5 (पतंजलि) की ओर से अभिसाक्षी 21 नवंबर, 2023 के आदेश के पैरा 3 में दर्ज बयान के उल्लंघन के लिए इस माननीय न्यायालय के समक्ष बिना शर्त माफी प्रस्तुत करता है.” बालकृष्ण ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी नहीं किए जाएं.

रामदेव को कोर्ट में पेशा होने के लिए कहा था

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों और उनके चिकित्सकीय प्रभावों के विज्ञापनों से संबंधित अवमानना कार्यवाही के मामले में आज योग गुरु रामदेव और कंपनी के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण से व्यक्तिगत रूप से अपने समक्ष पेश होने के लिए कहा था. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कंपनी और बालकृष्ण को पहले जारी किए गए अदालत के नोटिसों का जवाब दाखिल नहीं करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी. उन्हें नोटिस जारी कर पूछा गया था कि अदालत को दिए गए वचन का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए. पीठ ने रामदेव को भी नोटिस जारी कर पूछा कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए.

पतंजलि पर लगे ये आरोप 

सुप्रीम कोर्ट ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आईएमए) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें रामदेव पर कोविड रोधी टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाया गया. कोर्ट ने कहा कि उसे रामदेव को कारण बताओ नोटिस जारी करना उपयुक्त लगता है, क्योंकि पतंजलि द्वारा जारी विज्ञापन 21 नवंबर, 2023 को अदालत में दिए गए हलफनामे का विषय हैं. इसने कहा कि ऐसा लगता है कि रामदेव द्वारा इनकी पुष्टि की गई. इसने निर्देश दिया कि रामदेव और बालकृष्ण अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से पेश हों.

Related Articles