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70 मर्डर किए, हर हत्या के बाद गंगा-स्नान:रोटियां चुराने वाला बना सीरियल किलर, कनपटी पर वार कर लेता जान, 27 की उम्र में फांसी


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70 मर्डर किए, हर हत्या के बाद गंगा-स्नान:रोटियां चुराने वाला बना सीरियल किलर, कनपटी पर वार कर लेता जान, 27 की उम्र में फांसी

70 मर्डर किए, हर हत्या के बाद गंगा-स्नान:रोटियां चुराने वाला बना सीरियल किलर, कनपटी पर वार कर लेता जान, 27 की उम्र में फांसी

जयपुर : आप में से ज्यादातर लोगों ने ये नाम सुना भी नहीं होगा, लेकिन 70 के दशक में इस नाम का खौफ ऐसा था कि लोग शाम ढलने के बाद घर से बाहर निकलने में कतराते थे। मोहल्लों में लोग ग्रुप बनाकर पहरा देते। किसानों ने रात के समय खेतों में सोना बंद कर दिया था। इस खौफ की वजह थी- 3 साल (1971-74) में 70 से ज्यादा मर्डर, यानी हर 15 दिन में एक हत्या। खास बात ये है कि हर कत्ल के पीछे शंकरिया का एक ही मकसद होता था-चोरी। कभी रोटी तो कभी चंद रुपयों के लिए वो बेरहमी से लोगों का कत्ल कर देता। शंकर ने हर मर्डर एक ही तरीके से किया-कनपटी पर वार करके। शंकरिया को फांसी पर लटकाने के बाद इस खौफ का अंत हुआ।

पढ़िए wikipedia की टॉप टेन सीरियल किलर की लिस्ट में शामिल कनपटीमार शंकरिया की पूरी कहानी…

ट्रिपल मर्डर ने पुलिस को किया हैरान

9 सितम्बर, 1973 का दिन था। सुबह 7:30 बजे श्रीगंगानगर जिले की सादुलशहर थाना पुलिस को सूचना मिली कि क्षेत्र के तखत हजारी गांव के गुरुद्वारे में रहने वाले सेवादारों पर रात में किसी ने जानलेवा हमला कर दिया है। पुलिस मौके पर पहुंची तो पता चला कि सेवादार और उसके दो नेत्रहीन बेटों की हत्या कर दी गई है। उनके सर के पास कनपटी पर बहुत जोर से वार किया गया था।

सभी के नाक और मुंह से खून निकल रहा था। वहीं, गुरुद्वारे के कमरों के ताले टूटे हुए थे और सामान बिखरा पड़ा था। सामूहिक हत्याकांड की इस वारदात ने पुलिस को हैरान कर दिया, क्योंकि कनपटी पर वार कर हत्या का ये पहला मामला नहीं था। अकेले श्रीगंगानगर जिले में पिछले कुछ समय में 15 मर्डर हो चुके थे, जिनमें हत्या का यही तरीका था। इससे पहले इसी पैटर्न से मर्डर के कई केस राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के अलग-अलग शहरों से आ रही थी। हत्यारे को पकड़ने के लिए राजस्थान, पंजाब व हरियाणा स्टेट की पुलिस ने ज्वॉइंट ऑपरेशन चलाए, लेकिन सफलता नहीं मिली।

सादुलपुर के तखत हजारी गांव के गुरुद्वारे में हुई हत्याओं के मामले में पुलिस रिकॉर्ड में लाल पेन से लिखा है 'शंकरिया हथौड़ामार पकड़ा गया'
सादुलपुर के तखत हजारी गांव के गुरुद्वारे में हुई हत्याओं के मामले में पुलिस रिकॉर्ड में लाल पेन से लिखा है ‘शंकरिया हथौड़ामार पकड़ा गया’

ट्रेन के टिकट से मिला पहला सुराग

आखिरकार श्रीगंगानगर जिले के तत्कालीन एसपी श्याम प्रताप सिंह को सादुलशहर के तखत हजारी गांव के गुरुद्वारे में हुए मर्डर कांड में एक क्लू में मिला। एक शख्स ने पुलिस को बताया कि उसने उसी दिन तड़के गांव से एक अनजान शख्स को रेलवे पटरियों के पास-पास चलते हुए सादुलशहर रेलवे स्टेशन की तरफ जाते देखा था।

पुलिस ने तुरंत ही सादुलशहर रेलवे स्टेशन के तत्कालीन सहायक स्टेशन मास्टर बलदेव राज बंसल से संपर्क किया और उनसे उस रात और तड़के जारी किए गए सभी रेलवे टिकट की डिटेल मांगी। उन दिनों इस स्टेशन पर रात में बहुत कम यात्री सफर के लिए पहुंचते थे, ऐसे में ये जानकारी अहम साबित हो सकती थी।

सहायक स्टेशन मास्टर बलदेव राज बंसल से पता चला कि तड़के सादुलशहर से बठिंडा का टिकट जारी हुआ था। बठिंडा में पड़ताल की गई तो पता चला कि एक दिन वहां से भी एक टिकट सादुलशहर के लिए जारी हुआ था।

पुलिस को यकीन हो गया कि कातिल का बठिंडा से जरूर कोई कनेक्शन है, क्योंकि उन दिनों बठिंडा में कई मर्डर हुए थे, जिनमें मरने वाले शख्स की कनपटी में वार किया गया था।

सादुलशहर रेलवे स्टेशन से सीरियल किलर कनपटीमार शंकरिया के पास में पहला क्लू मिला।
सादुलशहर रेलवे स्टेशन से सीरियल किलर कनपटीमार शंकरिया के पास में पहला क्लू मिला।

जिसे शक के आधार पर पकड़ा वो बोला- मैंने 72 मर्डर किए हैं

पुलिस इन्वेस्टिगेशन चलती रही और एसपी श्याम सिंह की अगुवाई में श्रीगंगानगर पुलिस ने 3 जुलाई 1974 को बठिंडा से रतनलाल उर्फ शंकरिया प्रजापत नाम के एक शख्स को गिरफ्तार किया गया। रतनलाल उर्फ शंकरिया बठिंडा में रिक्शा चालक था। दरअसल, गुरुद्वारे में मर्डर करने से करीब साल भर पहले सादुलशहर थाना क्षेत्र के तखत हजारी गांव से सादुलशहर की तरफ के एक खेत में शंकरिया ने मजदूरी का काम किया था।

उसने वहां भी चोरी की थी तो उसे मारपीट कर भगा दिया था। तब उस खेत मालिक ने उसे उसके पैरों के निशान से ही पकड़ा था। वो उसके पगमार्क पहचानता था। जब गुरुद्वारे में मर्डर की बात फैली तो वो खेत मालिक भी वहां आया था। उसने पुलिस के सामने पैरों के निशान को लेकर शंकरिया पर संदेह जताया था। कोर्ट के जजमेंट में शंकरिया के पगमार्क पहचानने को लेकर इसी खेत मालिक की संरक्षित गवाही का जिक्र किया हुआ है।

पड़ताल में पता चला कि वह राजस्थान के श्रीगंगानगर के श्रीकरणपुर शहर के कच्ची थेड़ी मोहल्ले में रामदेव मंदिर के पास का रहने वाला है। ऐसे में पुलिस ने यहां इंवेस्टिगेट किया तो पता चला कि कुछ साल पहले इस मोहल्ले में भी 5 हत्याएं की गई थीं। सभी को कनपटी में वार कर मारा गया था। शंकरिया से पूछताछ की तो उसने जो कुछ बताया वो पुलिस को भी हैरान कर देने वाला था। उसने पुलिस को बताया- ‘मैं अब तक 5 या 10 नहीं, 72 हत्याएं की है। हमला तो इससे ज्यादा लोगों पर किया था, लेकिन उनमें कुछ बच भी गए थे।’

गुरुद्वारे के अंदर खंडहरनुमा वो हिस्सा जहां हत्याएं हुई थी।
गुरुद्वारे के अंदर खंडहरनुमा वो हिस्सा जहां हत्याएं हुई थी।

हाथ में जो भी होता, उसी से कनपटी पर वार

शंकरिया के कई मर्डर और हमलों की तो रिपोर्ट तक पुलिस के पास नहीं थी। शंकरिया ने पुलिस को बताया कि वो किसी एक हथियार से कभी नहीं मारता था। जो कुछ उसके हाथ लग जाता वो उसी से विक्टिम के सर के पास कनपटी में जोर से वार करता था। इसके बाद चोट खाने वाला शख्स धड़ाम से नीचे गिरता और उसके मुंह और नाक से खून बहने लगता था। थोड़ी देर वो तड़पता और इसके बाद दम तोड़ देता था।

वकील जो कनपटीमार का केस लड़ने काे तैयार हुए

सरकार ने आखिरकार ये मामला सीआईडी को सौंप दिया था। वहीं शंकरिया की रिमांड खत्म होने के बाद रायसिंहनगर जेल भेज दिया गया। इधर शंकरिया की गिरफ्तारी के बाद सादुलशहर के तखत हजारी गांव में गुरुद्वारे में हुए हत्याकांड का ये मामला हनुमानगढ़ की लोअर कोर्ट में पहुंचा। उस समय कोई भी वकील उसका केस लड़ने के लिए तैयार नहीं हुआ था। आखिर में तब नए-नए वकील बने मनीराम जालप ने उसका केस लेने की हामी भरी।

गुरुद्वारे में ह्त्या करने के बाद शंकरिया ने इसी बावड़ी से पानी लेकर स्नान किया था।
गुरुद्वारे में ह्त्या करने के बाद शंकरिया ने इसी बावड़ी से पानी लेकर स्नान किया था।

जालप ने बताया कि कुछ लोगों ने मुझसे उसका केस लेने की सिफारिश की थी। नई-नई वकालत शुरू की थी, ऐसे में उसका ये केस ले लिया था। एडवोकेट मनीराम जालप ने बताया कि जब मैं उससे मिला तो उसने मुझे बताया था कि वो रुपयों-पैसों के लिए मर्डर करता था। सादुलशहर के गुरुद्वारे में हुए मर्डर के बाद उसे वहां महज 19 रुपए ही मिल पाए थे। जब भी रुपए-पैसों की जरुरत पड़ती, वो दुबारा से किसी शख्स को मार देता और वहां उसके पास से जो भी मिलता उसे लेकर फरार हो जाता। कहीं कोई सुराग नहीं छोड़ता था।

पहले ही कबूल कर दिए अपने जुर्म

एडवोकेट मनीराम जालप ने बताया कि श्रीगंगानगर सेशन कोर्ट में ट्रायल स्टार्ट होने से पहले हनुमानगढ़ की लोअर कोर्ट में इस मामले को लेकर बयान स्टार्ट हुए थे। मैंने शंकरिया के डिफेन्स में प्रोसेडिंग्स की, लेकिन उससे पहले ही शंकरिया ने कोर्ट में अपने गुनाह कबूल कर लिए। उसने कोर्ट में कहा कि वो अब तक 72 हत्याएं कर चुका है। शंकरिया ने मुझे भी कहा- ‘वकील साहब! अब मेरे डिफेंस का कोई मतलब नहीं है, अब मैं बच नहीं पाऊंगा। एक मामले में बचूंगा तो पुलिस दूसरे मामले में पकड़ लेगी। मैं रोज-रोज थाने में पुलिस का ये टॉर्चर सहन नहीं कर सकता। इससे अच्छा है कि मैं सारे गुनाह कबूल कर लूं।’

मई 1979 में जयपुर जेल में फांसी

इसके बाद ये केस श्रीगंगानगर सेशन कोर्ट में पहुंचा। यहां भी शंकरिया अपने कन्फेशन पर कायम रहा। हालांकि, ट्रायल चला और आखिर में शंकरिया को 27 जून, 1975 को फांसी की सजा सुनाई गई। इसके बाद ये मामला हाई कोर्ट में पहुंचा। जहां 5 मई, 1976 को दुबारा शंकरिया को फांसी की सजा सुनाई गई। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में भी सेशन और हाईकोर्ट का फैसला कायम रहा। आखिर में मई 1979 में शंकरिया को जयपुर जेल में फांसी दे दी गई थी। एडवोकेट मनीराम जालप ने बताया कि जब उसे फांसी दी गई तो उसके आखिरी शब्द थे- ‘मैंने बेवजह इतने लोगों की हत्याएं कर दी, अब कोई मेरे जैसा मत बनना’।

अब तक जो आपने पढ़ा वो पुलिस रिकॉर्ड और कोर्ट ऑर्डर में दर्ज है। अब वो पढ़िए जो हमें शंकरिया के पड़ोसियों और उसकी सनक का शिकार हुए लोगों ने बताया...

मंदिर से दान के रुपए तक चुरा लेता

पड़ताल के लिए हम श्रीकरणपुर थाने पहुंचे, यहां मौजूद कोई भी पुलिसवाला शंकरिया उर्फ़ रतनलाल को नहीं जानता था। उनके पास उसका कोई रिकॉर्ड भी मौजूद नहीं था। इसके बाद हम यहां के कच्ची थेड़ी मोहल्ले में पहुंचे। यहां हमें रामदेव मंदिर के पास बने घर में बुजुर्ग ओमप्रकाश मिले। उन्होंने हमें बताया कि सब उससे परेशान थे। उसे कई बार पुलिस ने पकड़ा भी था, लेकिन बार-बार छूट जाता था। इसके बाद उसने ये मोहल्ला छोड़ दिया था और कहीं बाहर मजदूरी करने लग गया था। फिर एक दिन अचानक यहां दो घरों में 5 हत्याएं हुई। सभी लोग डर गए थे।

‘हाथ-पैर खोलो, फिर बताता हूं- कैसे किए मर्डर’

ओमप्रकाश ने बताया कि मेरी उम्र 10 थी, जब 1974 में पुलिस शंकरिया को लेकर मोहल्ले में पहुंची थी। उसके हाथ-पैर बेड़ियों से जकड़े हुए थे। पुलिस वाले उससे पूछ रहे थे- ‘बता, यहां किसे-किसे मारा था, और कैसे मारा था?’ इस पर शंकरिया हंसते हुए बोला- ‘एक बार मेरे हाथ-पैर खोल दो, उसके बाद बताता हूं कि कैसे मारा था।’ ये सब कुछ मैंने अपनी आंखों से देखा था। शंकरिया बेहद दुबला-पतला था, लेकिन उसे कोई डर नहीं था।

वो शख्स, जिसके माता-पिता की शंकरिया ने हत्या की

मोहल्ले में रहने वाले जगविंदर सिंह ने बताया कि माता-पिता की हत्या की बात मुझे मेरे दादा ने बताई थी। शंकरिया को मर्डर करने का नशा चढ़ता था।

पांच हत्याएं, एक बच्ची का रेप

यहां पड़ताल पूरी होने के बाद हम सादुलशहर थाने में पहुंचे। वहां पता चला कि थाने से महज 5 किमी दूर तखत हजारी (करड़वाला) गांव के गुरुद्वारे में शंकरिया ने मर्डर किए थे।

गुरुद्वारे पहुंचे तो यहां एक ग्रंथी मिले। उन्होंने गुरुद्वारे के पास रहने वाले दो बुजुर्गों को बुलाया। उन्होंने हमें बताया कि तब ये गुरुद्वारा पुराना था। अब वहां खंडहर बचा है। वहीं पास में ही नया और बड़ा गुरुद्वारा बना दिया गया है। बुजुर्ग करनैल सिंह ढिल्लो ने बताया कि वो तब महज 17 साल के थे, जब गुरुद्वारे में ग्रंथी और उसके परिवार के लोगों को मारा गया था।

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