जयपुर : 18 जनवरी 2004, जयपुर रेलवे जंक्शन। टैक्सी स्टैंड पर एक शख्स टैक्सी ड्राइवर चांद खां से मिला और बोला- मेरा नाम डॉक्टर मुकेश खंडेलवाल है। मुझे यूपी के हापुड़ से बीवी-बच्चों को जयपुर लाना है। चलेंगे? डॉ. मुकेश और चांद खां के बीच कुछ देर मोलभाव हुआ और आखिर में भाड़ा तय हो गया। लंबा समय होने के कारण चांद खा ने टाटा सूमो में अपने भाई शराफत खां को भी बिठा लिया।
टाटा सूमो जयपुर से हापुड़ के लिए रवाना हो गई। रास्ते में शराफत ने चांद से कहा- इतने लंबे सफर पर जा रहे हैं। अब्बा को फोन करके इत्तिला कर देनी चाहिए। दोनों ने दौसा में गाड़ी रोककर एसटीडी बूथ से अपने अब्बा गफ्फार खां को फोन किया और बताया कि वो एक सवारी को लेकर यूपी जा रहे हैं, अगले दिन लौटेंगे।
ये वो आखिरी बार था, जब गफ्फार की अपनी दोनों बेटों से बात हुई। इसके बाद न तो फोन आया और न ही दोनों बेटे जयपुर लौटे। कई दिनों तक खबर नहीं मिली तो उन्होंने जीआरपी थाने में दोनों बेटों की गुमशुदगी दर्ज करा दी। इस गुमशुदगी के केस की पड़ताल में सामने आई सीरियल किलर डॉक्टर डेथ उर्फ देवेंद्र शर्मा (51) की कहानी, जिसने सवा सौ से ज्यादा लोगों की किडनियां चुराईं और 100 से ज्यादा मर्डर कर लाशें मगरमच्छों को खिला दीं।
इन्वेस्टिगेशन में पता चला- दौसा में एसटीडी बूथ से दो फोन हुए थे
जीआरपी के तत्कालीन थानाप्रभारी मंसूर अली के नेतृत्व में इन्वेस्टिगेशन शुरू हुई। सबसे पहले फोन नंबरों के आधार पर पुलिस दौसा के महवा स्थित उस एसटीडी बूथ पर पहुंची, जहां से गफ्फार खां को उनके दोनों बेटों ने फोन किया। पड़ताल में पता चला कि दोनों भाइयों के गफ्फार खां को कॉल करने के बाद गाड़ी में बैठे तीसरे शख्स ने इसी एसटीडी बूथ से एक और कॉल लगाया था।
पड़ताल में सामने आया कि ये कॉल कासमपुर, यूपी में चाय बनाने वाली किसी मोटी महिला के नंबर पर किया गया था। पुलिस कासमपुर में उस महिला के पास पहुंची। महिला ने पुलिस को बताया कि डाॅ. देवेंद्र ने उसके रिश्तेदार उदयवीर और राजू रजवा से बातचीत के लिए फोन किया था। उदयवीर व राजू रजवा अलीगढ़ के रहने वाले थे।
एटा की गंगा नहर में दो लाशें मिलीं
जयपुर जीआरपी पुलिस शराफत खां और चांद खां की तलाश में डाॅ. देवेंद्र, उदयवीर व राजू रजवा को खोज ही रही थी कि यूपी के एटा जिले की गंगा नहर में दो लाशें मिलीं। कई दिन पड़ताल के बाद भी दोनों लाशों की शिनाख्त नहीं हुई। आखिर में एटा पुलिस ने दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया। वहीं उनके पास मिले सामान और अन्य चीजों को संरक्षित रख लिया।
इधर शराफत और चांद खां की तलाश में लगी जीआरपी पुलिस को भी मार्च 2004 में एटा की गंगा नहर में दो लाश मिलने का पता चला। शवों का तो अंतिम संस्कार कर दिया गया था, लेकिन घड़ी-कंबल आदि से गफ्फार खां और दूसरे परिजनों ने शिनाख्त की कि ये सामान चांद और शराफत का ही था।
हत्यारों की तलाश में पुलिस टीम दुबारा यूपी भेजी, निर्दोषों को पकड़ लिया
गुमशुदगी का मामला अब हत्या का केस बन चुका था। तत्कालीन आईजी रेलवे हरिश्चंद्र मीणा के निर्देशन में पुलिस निरीक्षक मंसूर अली, सब इंस्पेक्टर महेंद्र भगत सहित लगभग एक दर्जन पुलिसकर्मियों की टीम यूपी भेजी गई। कई जगह पड़ताल व दबिश के बाद उदयवीर और राजू रजवा का पता चला। छापा मारकर उन्हें पकड़ा गया। दोनों से पूछताछ में मुकेश खंडेलवाल उर्फ डॉ. देवेंद्र के यूपी की जेल में होने का पता चला।
जीआरपी ने देवेंद्र शर्मा से पूछताछ की तो उसने जयपुर पुलिस को गुमराह करने के लिए अलीगढ़ के ही एक परिवार द्वारा रंजिशवश दोनों भाइयों की हत्या करने की कहानी सुनाई। तब जीआरपी जयपुर ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और इस केस को क्लोज मान लिया।
स्केच से खुला हत्यारे का राज, कैदी ने की पुलिस की मदद
इस बीच तत्कालीन एसपी डॉ. प्रशाखा माथुर के निर्देशन में गहन जांच चली। जीआरपी व सदर थाना पुलिस ने जयपुर रेलवे स्टेशन पर टैक्सी चालकों से बातचीत कर दोनों भाइयों को टैक्सी बुक कर रवाना हुए व्यक्ति का हुलिया पूछकर स्कैच बनवाया। ये स्कैच डॉक्टर देवेंद्र से मिलता जुलता था।
इसके बाद सब इंस्पेक्टर महेंद्र भगत के नेतृत्व में पुलिस टीम को यूपी भेजा गया। वहां डॉक्टर देवेंद्र शर्मा के साथ जेल में एक ही सेल में बंद काजी सावेश नाम के कैदी ने पुलिस टीम को अलग से मिलने के इशारे किए।
पुलिस टीम जब काजी सावेश नाम के कैदी से मिली तो उसने बताया कि देवेंद्र ने डबल मर्डर में जिन्हें गिरफ्तार करवाया है, वे बेकसूर है। दोहरा मर्डर देवेंद्र व उसके साथियों ने करवाया है। वो यहां जेल में रोजाना पुलिसवालों पर हंसता है और डींगे हांकता है कि उसने न सिर्फ जीआरपी पुलिस को पागल बना दिया बल्कि अपने दुश्मनों का भी इलाज कर दिया है। इसके बाद पुलिस टीम ने डॉक्टर देवेंद्र शर्मा के साथ दुबारा से सख्ती से पूछताछ की।
डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने बताई अपनी कहानी …
अलीगढ़ के पुरैनी गांव के देवेंद्र शर्मा ने बिहार के सीवान से बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन एंड सर्जरी) की डिग्री हासिल की थी। 1982 में शादी की। 1984 से 1995 तक जयपुर के बांदीकुई में जनता अस्पताल और डायग्नोस्टिक्स के नाम से क्लिनिक चलाया।
साल 1994 में थापर चैंबर में भारत फ्यूल कंपनी ने गैस डीलरशिप देने की योजना चलाई, डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने इसमें 11 लाख रुपए इंवेस्ट किए, लेकिन कंपनी भाग गई और पैसा डूब गया।
इस पैसे के भरपाई के लिए देवेंद्र जयपुर, बल्लभगढ़, गुरुग्राम और दूसरी जगह चल रहे किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट में शामिल हो गया। 1994 से 2004 तक उसने अवैध तरीके से 125 से अधिक किडनी की व्यवस्था की, ट्रांसप्लांट के लिए। एक ट्रांसप्लांट के लिए उसे 5-7 लाख रुपए मिलते थे।
टैक्सी लूटने वाले गिरोह के संपर्क में आया
डॉक्टर देवेंद्र साल 2003 तक बांदीकुई में क्लीनिक चलाता रहा। इस दौरान वो उन लोग के संपर्क में आया जो टैक्सी किराए पर लेते और फिर ड्राइवर की हत्या कर टैक्सी लूट लेते थे। आरोपी कासगंज के हजारा नहर में शव को फेंकते थे, जिसमें मगरमच्छ होते हैं, इसलिए किसी का भी शव नहीं मिलता था। लूटी हुई टैक्सी को कासगंज और मेरठ में 20-25 हजार रुपये में बेच दिया जाता था। अब देवेंद्र किडनी ट्रांसप्लांट के साथ ही ये काम भी करने लग गया था।
शराफत और चांद खां की बेल्ट से गला घोंटकर हत्या
डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने बताया कि अपने इसी प्लान को अंजाम देने के लिए ही उसने जयपुर से शराफत खां की टैक्सी बुक की थी। टैक्सी कार से यूपी पहुंचने पर कासमपुर में उसने अपने दोनों साथियों राजू रजवा और उदयवीर को कार में साथ बैठाया।
वहां से वो सब अपने फुफुरे भाई के यहां रात को ठहरे, लेकिन गतिविधि संदिग्ध होने पर भाई ने अगले दिन उन्हें तड़के ही घर से रवाना कर दिया। रास्ते में डाॅ. देवेंद्र शर्मा, राजू रजवा और उदयवीर ने टाॅयलेट के बहाने हाईवे पर गाड़ी रुकवाई। पीछे सीट पर बैठे तीनों आरोपियों ने दोनों भाइयों चांद खां और शराफत खां की बेल्ट से गला घोंटकर हत्या कर दी और उनके शव हजारा नहर में फेंक दिए।
गला घोंट लोगों को मारने में मजा आता था
डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने बताया कि इससे पहले भी उसने और उसके साथियों ने यूपी व अन्य राज्यों में कई टैक्सी चालकों की हत्या की। 100 के बाद उसने हत्या की गिनती करना छोड़ दिया था। उसने साल 2002 से 2004 के बीच दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में 100 से अधिक टैक्सी चालकों की हत्या को कबूला।उसने बताया था कि उसे गला घोंटकर लोगों को मारने में मजा आता था। वह शवों को हजारा नहर में फेंक देता था कि ताकि वहां मगरमच्छ शवों को खा जाएं और कोई सबूत न बचे।
इन दोनों भाइयों के शव बहकर एटा में गंगानहर तक आ गए। इस तरह डबल मर्डर का खुलासा होने पर GRP पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। वहीं, पहले गिरफ्तार हुए लोगों को रिहा किया गया।
डबल मर्डर में पकड़े जाने से पहले ही गुरुग्राम किडनी कांड में हुआ गिरफ्तार
डॉक्टर देवेंद्र शर्मा ने पुलिस को बताया था कि शराफत खां और चांद खां के मर्डर के बाद उसे गुरुग्राम में डॉ अमित द्वारा संचालित अनमोल नर्सिंग होम में किडनी रैकेट मामले में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। वो इसी मामले में जेल में बंद था।
4 साल पहले जयपुर जेल से फरार, दिल्ली पुलिस ने पकड़ा
इस दोहरे हत्याकांड में कोर्ट ने डॉ. देवेंद्र शर्मा उर्फ डॉ. मुकेश खंडेलवाल और उसके दो साथियों उदयवीर उर्फ मकोय तथा उसका भाई राजू उर्फ रजवा को 2018 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। साल 2020 के जनवरी महीने में जयपुर स्थित सेन्ट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे डॉक्टर देवेंद्र शर्मा को 20 दिन की पैरोल मिली और वो जेल से बाहर आ गया।
इसके बाद वो दुबारा जेल नहीं लौटा और फरार हो गया। पेरोल पर बाहर आने के बाद पुलिस से बचने के लिए वो दिल्ली में एक विधवा से शादी कर प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करने लगा। जुलाई 2020 में दिल्ली में नारकोटिक्स सेल की टीम को सुचना मिली कि दिल्ली के बापरौला इलाके में एक सजायाफ्ता कैदी फरारी काट रहा है।
तत्कालीन इंस्पेक्टर राममनोहर के साथ SI श्याम बिहारी सरन, हवलदार अशोक नागर, संजय, सिपाही सुमित व सुनील की टीम ने दबिश देकर यहां से डॉक्टर देवेंद्र शर्मा को गिरफ्तार कर लिया और उसे जयपुर पुलिस के सुपुर्द किया गया। जहां से उसे दुबारा जेल भेज दिया गया।