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पूर्व मंत्री महेश जोशी को ED का नोटिस:आज पूछताछ के लिए बुलाया जयपुर ED मुख्यालय, जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़ा है मामला


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पूर्व मंत्री महेश जोशी को ED का नोटिस:आज पूछताछ के लिए बुलाया जयपुर ED मुख्यालय, जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़ा है मामला

पूर्व मंत्री महेश जोशी को ED का नोटिस:आज पूछताछ के लिए बुलाया जयपुर ED मुख्यालय, जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़ा है मामला

जयपुर : जल जीवन मिशन में करोड़ों रुपए के घोटाले में ED ने पूर्व मंत्री महेश जोशी को नोटिस जारी किया है। नोटिस में आज (सोमवार) महेश जोशी को पूछताछ के लिए जयपुर स्थित ईडी मुख्यालय पहुंचने के लिए कहा गया है। महेश जोशी के करीबी संजय बड़ाया से पिछले तीन दिनों से ईडी मुख्यालय में पूछताछ चल रही है। इसके बाद ईडी ने यह नोटिस जारी कर महेश जोशी को बुलाया है।

जिस तरह से ईडी पिछले 7 दिनों से जल जीवन मिशन में हुई बंदरबांट को लेकर जलदाय विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों से पूछताछ कर रही है, उससे महेश जोशी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

ईडी से मिली जानकारी के अनुसार, जल जीवन मिशन में टेंडर से लेकर अलॉटमेंट, काम, खुदाई और पाइप लगाने के काम में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। एसीबी में दर्ज एफआईआर को आधार बनाते हुए ईडी ने इस मामले की जांच शुरू की थी। इसे लेकर ईडी एक बार जल जीवन मिशन से जुड़े सीनियर आईएएस अधिकारी के आवास और ऑफिस में भी सर्च कर चुकी है।

यह पूर्व मंत्री महेश जोशी का जयपुर रेलवे स्टेशन के पास स्थित घर है, जहां ED की टीम ने 16 जनवरी को छापा मारा था।
यह पूर्व मंत्री महेश जोशी का जयपुर रेलवे स्टेशन के पास स्थित घर है, जहां ED की टीम ने 16 जनवरी को छापा मारा था।

2 महीने पहले ईडी ने महेश जोशी के घर पर किया था सर्च
ईडी की टीम ने 16 जनवरी को पूर्व मंत्री महेश जोशी और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापे मारे थे। जयपुर, दिल्ली और गुजरात की 10 टीमों ने सुबह 5 बजे जयपुर, बांसवाड़ा समेत कई जिलों में स्थित ठिकानों पर छापे की कार्रवाई शुरू की थी। इनमें महेश जोशी के 2 घर, जलदाय विभाग के 2 ठेकेदारों और 2 अधिकारियों के ठिकाने शामिल थे। 15 घंटे चली पूछताछ के बाद ईडी के अधिकारी महेश जोशी के घर से वापस चले गए थे। ईडी की कार्रवाई के दौरान महेश जोशी, उनकी पत्नी व बहू से कुछ फाइलों को लेकर पूछताछ की गई थी।

पांच पॉइंट में समझें, क्या है जल जीवन मिशन घोटाला?
पहला: ग्रामीण पेयजल योजना के तहत सभी ग्रामीण इलाकों में पेयजल की व्यवस्था होनी थी। जिस पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को 50-50 प्रतिशत खर्च करना था। इस योजना के तहत डीआई डक्टर आयरन पाइपलाइन डाली जानी थी। इसकी जगह पर HDPE की पाइपलाइन डाली गई।

दूसरा: पुरानी पाइपलाइन को नया बता कर पैसा लिया गया, जबकि पाइपलाइन डाली ही नहीं गई।

तीसरा: कई किलोमीटर तक आज भी पानी की पाइपलाइन डाली ही नहीं गई है, लेकिन ठेकेदारों ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से मिल कर उसका पैसा उठा लिया।

चौथा: ठेकेदार पदमचंद जैन हरियाणा से चोरी के पाइप लेकर आया और उन्हें नए पाइप बता कर बिछा दिया। सरकार से करोड़ों रुपए ले लिए।

पांचवां: ठेकेदार पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी के सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर लिया, जिसकी अधिकारियों को जानकारी थी। इसके बाद भी उसे टेंडर दिया गया, क्योंकि वह एक राजनेता का दोस्त था।

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