9 साल बाद परिवार को मजदूरी करता मिला डॉक्टर:भाई गले लगा तो छलके आंसू; शादी के 6 महीने बाद घर छोड़कर चले गए थे
9 साल बाद परिवार को मजदूरी करता मिला डॉक्टर:भाई गले लगा तो छलके आंसू; शादी के 6 महीने बाद घर छोड़कर चले गए थे

जोधपुर : 4 मार्च को जोधपुर से 212 किमी दूर शिव (बाड़मेर) में वेटरनरी डॉक्टर ओम प्रकाश सोनी के मोबाइल फोन पर कॉल आता है। सामने से आवाज आई कि हम अपना घर आश्रम से बोल रहे हैं। आपका भाई जसराज जोधपुर के बारहवीं रोड पर मजदूरी करता हुआ मिला है। वह हमारे पास है और सुरक्षित है। क्या आप उसे लेने आ सकते हैं?
पहले तो ओम प्रकाश को विश्वास नहीं हुआ। फिर अपना घर आश्रम संचालकों ने वीडियो कॉल के जरिए जसराज से बात कराई। उनके लिए 9 साल पहले घर छोड़कर गए वेटरनरी डॉक्टर जसराज को पहचानना मुश्किल था। बाल बढ़े हुए थे और हालत बहुत बुरी थी। इसके बाद ओम प्रकाश अपने भाई डॉक्टर रविशंकर को लेकर जोधपुर की ओर निकल पड़े।
5 मार्च (मंगलवार) को जब वे वहां पहुंचे तो अपने सबसे छोटे भाई जसराज को देखकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे दौड़कर जसराज से लिपट गए और उनकी आंखों से खुशी छलक पड़ी। भाइयों का मिलाप देखकर वहां मौजूद लोग भी भावुक हो गए।

जोधपुर में दयनीय स्थिति में मिले थे
अपना घर आश्रम के सेवादार देवीलाल ने बताया कि जसराज जोधपुर के बारहवीं रोड पर बड़ी दयनीय स्थिति में थे। वह मजदूरी कर रहे थे। आश्रम के अभियान के तहत इस तरह जीवनयापन करने वाले लोगों को आश्रम लगाकर उन्हें परिजन से मिलाने का प्रयास करते हैं। एक मार्च को हम जसराज को आश्रम लाए। तब उन्होंने अपना पता मेड़ता (नागौर) बताया था।
लेकिन, जब फोन नंबर पूछा तो वह एकदम सही निकला। 4 मार्च की रात परिवार वालों को फोन किया। शुरुआत में तो उन्हें यकीन नहीं हुआ। फिर वीडियो कॉल पर बात कराई तो वे उन्हें पहचान गए।
तीनों भाई हैं डॉक्टर
बड़े भाई ओम प्रकाश ने बताया कि हम तीनों भाई वेटरनरी डॉक्टर हैं। मैं बाड़मेर में ही पशु चिकित्सक हूं। रविशंकर सिरोही में वेटरनरी डॉक्टर है। जसराज की 2014 में सरकारी नौकरी लग गई थी। वह बाड़मेर के शिव में बतौर वेटरनरी डॉक्टर पोस्टेड था। 2015 में जसराज की शादी कर दी थी। शादी के 6 महीने बाद जसराज घर छोड़ कर निकल गया था।
पत्नी भी छोड़कर पीहर चली गई
मझले भाई रविशंकर ने बताया- हमने ढूंढने की बहुत कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। जसराज के पास एक मोबाइल फोन भी था। उस पर कॉल किया तो लोकेशन उत्तर प्रदेश की आई थी। वहां पहुंचते उससे पहले ही भाई की लोकेशन जयपुर आने लगी थी। उसका पता करते हुए जयपुर पहुंचे, वहां से लोकेशन आनी बंद हो गई। 2017-18 तक हमने खूब तलाश की, लेकिन जसराज नहीं मिला। इसी दौरान दो साल तक इंतजार करने के बाद जसराज की पत्नी भी घर छोड़कर पीहर चली गई।
रविशंकर ने बताया- पिता भूरचंद सोनी और माता निर्मला देवी पिछले नौ साल से खाने से पहले हमेशा जसराज के मिलने की उम्मीद में भगवान से प्रार्थना करते थे और तब ही खाना शुरू करते थे।

6 साल जयपुर में रहे
जसराज ने बताया- मैं 6 साल जयपुर में रहा। कुछ समय दिल्ली में भी रहा। इसके बाद जोधपुर आ गया। यहां जीवनयापन के लिए मजदूरी करता था। जहां जगह मिलती, वहां सो जाता था। जसराज इससे ज्यादा बताने की स्थिति में नहीं थे।